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किरण ५]
जीवन और विश्वके परिवर्तनोंका रहस्य
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तथा व्यवहार और अनुभवकी श्रागमें तपाकर भाविक प्रकृतिकी सदृशता ही खिंचावका कारण यहां यदि ठीक पाया जाय तभी स्वीकार करना चाहिए। है। प्रकृतियों में विषमता होनेपर दोनों इकट्ठा नहीं हमारे आधुनिक वैज्ञानिकों को इधर विशेष ध्यान रह सकते। ये जीवाणु जब स्त्रीके गभाशयमें जाते
चाहिए। इधर अनुसंधानका विशाल अनंत है तो जिन जीवाणु मोंकी वर्गणाओंकी अधिक तक विस्तृत क्षेत्र पड़ा है और जितनो जितनी जान• संख्यामें स्त्रीकी वर्गणाओंकी अधिकाधिक या पचास कारी मिलती जायगी उतनी ही अधिकाधिक दिलचस्पी फीसदीसे अधिक संख्या एवं प्रकृतिसे समानता न इधर बढ़ेगी एवं आत्मज्ञान, आत्मलाभ, अथवा होगी तो वे बाहर निकल जायंग-रुक नहीं सकते। मुख-शान्तिका सच्चा मार्ग मुलभ होगा तथा व्यक्ति फिर रजका साथ हो जानेसे इन जीवाणुओंका अर्ध एवं संमार ऊपर उठने में समर्थ होगा।
शरीर पूरा होकर पूर्ण या पूर्ण विकसित हो जाता किसी भी एक व्यक्तिके शरीरमें अनंतानंत पुद- ह । एसा हालतम उनका वगणााका स
पद- है। ऐसी हालतमें उनकी वर्गणाओंकी संख्या और गल वगणाऍ है। और ये वर्गणाएँ अनंतानंत प्रका
प्रकृतिमें भी फर्क आजाता है-तब फिर वे हो रकी है। यदि बात समझनके लिए यहां हम यह जीवाणु गर्भाशयमें रुक सकते हैं जहां आधे-स-अधिक मान लें कि किसी भी शरोरमे कंवल एक सौ (one
की समानता स्त्रीकी बर्गणाओंके साथ हो यानी hundred प्रकारको ही वर्गणा है और हर एक
पचाससे ऊपर सौ तक जितनी भी अधिक हो सके
दोनाकी वर्गणाओंकी समानता हो । इसके अतिरिक्त प्रकारमे एक ही वर्गणा एक तरहकी है नो इम नरह आगे मुख्य विषयको स्पष्ट करनेके लिये जो बातें
भी स्त्रीके शरीरकी वर्गणाओंकी संख्या प्रकृति एवं बतलाई जायेंगी उनको समझने-समझानेमें आसानी
बनावटम भी सर्वदा हर समय-हर क्षण परिवर्तन होगी।
होता रहता है और साथ ही साथ गर्भाशयस्थित
जीवाणुओंके भी। इस तरह जिस ममय भी यह (१) मानवजन्म-अब हमे दखना है कि
बात ऐसी होजायगी कि दोनोंकी ममानता आधेसे मानव-जन्म कैमा होता है। किसी पुरुषके शरीरकी
कम हो जाय तो फौरन वह जीवाणु बाहर निकल वर्गणाओं की संख्या मौ है और स्त्रीक शरीरकी वगे
जायगा । गर्भपातका भी कारण यही है। इस तरह णायोंकी संख्या भी मौही है। और पुरुपक वीयम
हम देखते हैं कि अन्तको अधिकतर गर्भाशयमें रहनेवाले सूक्ष्म, अपर्याप्त जीवाणु (cells) जिनमे
केवल एक ही जीवाणु टिका रहकर जन्म लेता है। आगे चलकर स्त्रीक रजका संयोग होनेस पूर्ण रूप कहीं कहीं अधिक बच्चे भी एक-साथ जन्म लेते है या शरीर प्राप्त होता है उसको भी वगणाांकी उसके कारणका उपयुक्त रीतिसं ठीक-ठीक समाधान संख्या मो है। बीयम इसतरहक असंख्य जीवाणु या हल मिल जाता है। यह तो एक छोटा-सा उदाएक माथ रहते है और एक साथ के सहगमनमें कई
हरण बहुत ही संक्षेपमें यहां दिया गया-इसका सौ ऐसे जीवाणु गभाशयमे चले जाते है। किसी विस्तृत उपयोग कोई भी जिज्ञासु या अनुसंधान पुरुषके वीयमे व हो जावाणु रहेंगे जिनकी वगेगा- करनेवाला वैज्ञानिक इसी तरह विश्लेषण (Aualyओंमेंसे आधे से अधिक वर्गणाओंका या अधिकम sis) करते हा निकाल सकता है। अधिक वर्गणाओंका गठन या उनकी बनावट ऐमी होगी जिनके स्वभावकी समानता उस परुष (२) सन्तानमें बुद्धि-शक्ति-स्वास्थ्यादि
आधेसे अधिक या अधिकसे अधिक वर्गणाओंके गुणोंका संयोग-लड़का, लड़की जो भी उत्पन्न होत गठन एवं स्वभावके साथ होगी। कर्मप्रकृतियों या हैं उनके गुग्णादिक या बुद्धि और शक्ति स्वास्थ्य वगैरह पुद्गल-वर्गणाओं की समानता, अनुरूपता या स्वा- हर एक चीजका इन वर्गणाओंकी समानता और