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________________ अनेकान्त [वष १० यह ग्रन्थ साह जगमीक पत्र माहू टोडरमल्लकी टोडरमल्लका जयघोष करते हुए लिग्वा है कि वह प्रेरणासे रचा गया है और उन्हींके नामांकित राजसभामें मान्य था, अखण्ड प्रतापी, स्वजनोंका किया गया है। ग्रन्थकी कुछ मंधियोंकी आदिमं विकामी, और जीवादि सप्ततत्त्वोंका कथन करनेकतिपय संस्कृत पद्य भी पाये जाते है जिनमे साहू वाला था, विमल गुणोंसे युक्त और भाई तथा पुत्र टोडरका खुला यशोगान किया गया है-उसे कणके से अलंकृत था, जैसा कि उसके निम्न पदासे प्रकट समान दानी, विद्वज्जनोंका मंपोषक, रूप लावण्यम है:युक्त और विवेकी बतलाया है। कविने इस ग्रंथको "नृपतिपदसि मान्यो यो ह्यग्वंदप्रतापः , पूरा कर जब साहू टोडरमल के हाथमें दिया तब स्वजनजन विकासी सप्ततत्त्वावभासी। उसने उसे अपने शीशपर चढ़ाया और कवि मानि- विमल-गुणनिकेतो भ्रान पुत्रो समेतः , कराजको बब आदर-मन्कार किया उसने उसे स जयति शिवकामः माधु टोडरुत्ति णामा।" वस्त्रोंके अतिरिक्त कंकण कुडल और मुद्रिका आदि इम तरह यह प्रथ भी लोकप्रिय भाषामें षणोंस अलंकृत भी किया। उस समय गुणीजनों लिया गया। राजा मापा माथि | लिखा गया है। अपभ्रंश भाषाके साहित्यका की कदर थी; किन्तु आज गुणीजनां और मंतजनक अध्ययन करनेसे यह सहज ही मालूम हो जाता है निरादर करनेवाले तो बहुत है; हां गुगाग्राहक कि उसके द्वारा हिन्दीका विकास कैसे हुआ है। इन बहुत ही कम है। क्योंकि स्वाथे-तत्परता और अहं- दोनों ग्रथोंका अध्ययन करनसे यह सहज ही ज्ञात कारन उमका स्थान ले लिया ह। अपन स्वाथकी हो जाता है कि इनमें हिंदी भापाका कितना विकअथवा कषायकी पूर्ति न होनेपर उनके प्रति अवज्ञा मितरूप पाया जाता है। ग्रन्थमे देशी भाषाके शब्दों और तिरस्कारकी भावना जागृत हो जाती है । 'गुण की भी बहनायत है और अपभ्रंश भाषाकी मरलता न हिगनों किंतु गुणगाहक हिगनों' की नीतिके ।' का नातिक पद-पदपर दृष्टिगोगर होती है, हा पदलालित्यमें अनुसार खद है कि गुणग्राही धमात्मा श्रावकाकी कमी नहीं है। ग्रन्थागत चरितभाग भी सुन्दर है. मन्या विरल है-वे थोड़े है । अस्तु । और उस पढ़ने के लिये उत्साह होता है। इस प्रकार कविने इस प्रथकी चौथी मंधिक आदिम माह य दोनों ही प्रथ प्रकाशनक योग्य है। 11/17
SR No.538010
Book TitleAnekant 1949 Book 10 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1949
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size30 MB
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