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चम्पानगर
(लेखक-श्यामलकिशोर झा)
ऑल इण्डिया रेडियो, पटना का चौपाल कार्यकम अच्छा गिना जाता है जिसका यश श्रीयुत् राधाकृष्णप्रसादको मिलना चाहिये, इन्होंने "बिहारके ऐतिहासिक स्थान" शीर्षक व्याख्यानमालाका आयोजन किया था जिसमें प्रस्तुत भाषण भी पढ़ा गया था। हम रेडियोके सौजन्यसे इसे यहाँ प्रकाशित कर रहे हैं।
-मुनि कान्तिसागर
बिहारका अतीत बड़ा ही गौरवशाली रहा है । महान अशोकका बिहार दुनिया के दो बड़े धर्मो-बौद्धधर्म और जैनधर्मका जन्मस्थान रहा है। प्रतापी चन्द्रगुप्तका पाटलिपुत्र, स्वतन्त्र लिच्छिवियोकी वैशाली, रामायणके प्रसिद्ध राजा रोमपादका अङ्ग, नालन्दा और विक्रम-शिलाके प्रसिद्ध विद्यापीठ, ये सब ऐतिहासिक बिहारके एतिहासिक स्थान रहे हैं। परन्तु, यहाँ हम प्राचीनकालमें चम्पा तथा आधुनिक समयके चम्पानगरकी बात करते हैं। चम्पा प्राचीन भारतको एक प्रसिद्ध राजधानी रही है। हिन्दुओंके प्रसिद्ध धर्मग्रन्थ रामायण
और महाभारतमें चम्पाका उल्लेख आया है। वैदिक एवं पौराणिक ग्रन्थोंमे चम्पाका वर्णन किया गया है जिससे पता चलता है कि उस जमाने में चस्पाका एक विशिष्ट स्थान था।
प्राचीन साहित्यमे चम्पा नामक नगरीकी अनेकता है। इसके नाम भी बहुतसे रहे है । जैसे, चम्पा, चम्पावती. चम्पापुरी तथा चम्पानगरी आदि । प्रसिद्ध यात्री हुएनसॉगके कथनानुसार चम्पा स्याम देशका ही नामान्तर है। इसके विपरीत कर्नल मार्कोपोलोने कम्बोडियाक अन्तर्गत टानक्रीन नामक प्रदेशको चम्पा बतलाया है। तीसरा मत स्वर्गीय डा० सर ओरलाटान महोदयका है जिन्होंने पंजाबके चम्बा स्टेट (रियासत)को ही पुरातन चम्पा बतलाया है। कम्ब्रिज विश्वविद्यालयद्वारा सम्पादित और मुद्रित "चेपाय जातक" मे लिखा है कि अङ्ग देश और मगध देशक मध्यमे जो चम्पा नदी वाला प्रदेश है वही चम्पा है। इसी तरह चम्पाक स्थान निर्णयपर और भी बहुतसे विद्वानोने बहुत-सी राये पेश की है।
यहाँ हम जिस चम्पानगरीकी बात कर रहे है, वह भागलपुर शहरसे ४ मील पश्चिम है। रामायण, पुराण आदि धमग्रन्थोमे वणित चम्पानगरी कभी एक प्रादेशिक राजधानी थी. परन्तु आज वह भागलपुर शहरकी सिर्फ एक मुहल्लाके रूपमें जानी जाती है। इसका प्रारम्भिक नाम चम्पा तथा चम्पामालिनी रहा है। रामायणमे कहा गया है कि चम्प। 'रोमपाद' नामक अङ्ग देशके राजाकी राजधानी थी। रामपादने राजा दशरथकी पुत्री शान्ताको गोद ले लिया था और रामपादके पोते चम्पाके नामपर ही इस नगरीका नाम चम्पानगर पड़ा था।
जैन अन्धोंके अनुसार इस नगरीका प्रतिष्ठापक श्रेणिकका पुत्र कोणिक या इतिहास प्रसिद्ध अजातशत्र था। हरिवंशपुराणमें भी चम्पाके १७ शासकोके नाम गिनाये गये है. परन्त उसमे अङ्गके प्रसिद्ध शासक पौरव' का नाम नहीं आया है। पौरव' के बारेमे कहा जाता है कि उसने एक लाख घोड़े, एक हजार हाथी, एक हजार गाय और एक लाख सानेके मुहर दान किये थे। पौराणिक कालके बाद बौद्ध धर्मग्रन्थोंमे भी अङ्गकी महत्ताका वर्णन किया गया है। उसके बादके ग्रन्थ 'दशकुमार चरित्र' और कादम्बरीमे भी चम्पाका नाम आया है।