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________________ ४८२ अनकान्त [ वर्षे आधनिक चम्पानगर जैनियोंका बडा तीर्थ-स्थान है। वहाँ के दो भव्य जैनमन्दिरों. को देखनेसे पता चलता है कि चम्पानगर बहुत प्राचीन समयसे ही जैनधर्मका केन्द्र रहा है। विद्वानोंके कथनानुसार जैनोके बारहवें तीर्थङ्कर वासुपूज्यने यहीं जन्म लिया था। उनके अलावा, कहा जाता है कि जैनियोंके बारहवें तीर्थङ्कर महावीर भी कुछ वर्षों तक यहाँ रहे थे। बारहवें तीर्थङ्कर वासुपूज्यका मन्दिर नाथनगर मुहल्ले में है, जो आज भी शहरसे अलग बसा हुआ है और जिसे देखकर मन्दिरकी प्राचीनताका सहज ही अनुमान किया जा सकता है। चम्पानगरमें जैनियोंका एक दूसरा मन्दिर भी है जिसके बारेमें कहा जाता है कि उसे महावीर तीर्थङ्करके प्रमुख शिष्य सुधर्मने बनवाया था। कहा जाता है कि जिस समय सुधर्म चम्पानगरीमें पधारे थे, वहाँ कोणिकका शासन था। राजा कोणिकने खुले पाँव नगरके बाहर आकर सुधर्मका स्वागत किया था। चम्पा बहुत वैभव सम्पन्न नगर था । वह व्यापारका एक बड़ा केन्द्र था। वहाँ चान्दो सौदागर नामक प्रसिद्ध ल्यापारीके रहनेका वर्णन भी मिलता है। चम्पानगरका एक दूसरा मुख्य स्थान कर्णगढ़ है। स्थान इतनी ऊँचाईपर है कि उसे देखकर ही यह कहा जा सकता है कि प्राचीन समयमे वहाँ अवश्य ही किसी प्रतापी राजाका विशाल किला होगा। कुछ लोगोंका कहना है कि यह स्थान महाभारतके प्रसिद्ध सेनापति दानवीर कर्णका वासस्थान था। परन्तु, इतिहासके कुछ अन्य पंडितोका कहना है कि चम्पानगरका यह कणगढ़ तथा मुंगेर जिलेका कण चम्पा नामक स्थान, कर्ण सुवणके राजा “कर्णसेन" के प्रतिष्ठापित है। इस बातका अभी तक निर्णय नहीं हो सका है। परन्तु, इतना अवश्य है कि यदि कर्णगढकी खुदाई की जाय तो शायद प्राचीन बिहारके गौरवगाथाका एक नया अध्याय भी धरतीके गर्भसे प्रकाशमें लाया जा सकता है। आज कर्णगढ़में सरकारी पुलिस के रङ्गरूटोको शिक्षा दी जाती है। कौन जाने, कभी वहाँ कर्णके रथके पहियो और घोड़ोंके टापोंकी आवाज़ बड़े-बड़े वीरोके दिल न हिला देती हो। आज हमारे देशकी अवस्था बदल चुकी है। इसीलिये जरूरत इस बातकी है कि धरतीके अन्दर दबे हुए प्राचीन विहारके इतिहासका उद्धार किया जाय । और यदि ऐसी कोई योजना बने तो उस समय चम्पानगरको भी भूलना न चाहिए। १ भगवान् महावीर जैनोके चौबीसवें तीर्थङ्कर थे, तीन चातुर्मास रहे थे । स० । २ इसका पुष्ट प्रमाण अपेक्षित है। सं०। ३ भगवान् महावीर जब चम्पा पधारे तब कोणिक राज्यऋद्धि सहित वन्दना करने आया था, औप पातिक सूत्रमे इस घटनाको यथावत् रूपसे अङ्कित किया गया है। स०। ४ बिहार सरकारके वर्तमान शिक्षामन्त्री इसके लिए चेष्टा तो करते हैं परन्तु इन दिनों वे और और समस्याअोमे बुरी तरह उलझे हुए हैं। अापने पोस्टवार स्कीममे खोज की भी एक स्कीम रखी है। सरकारी काम ठहरा, देखें कब तक इस योजनाको क्रियात्मक रूप मिलता है। स० ।
SR No.538009
Book TitleAnekant 1948 Book 09 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1948
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size35 MB
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