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अनेकान्त
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वर्ष ।
उद्योगको प्राप्त करनेकी चेष्टामें हों, कल उसका कोई ४-हमारा पड़ोसी देश वर्मा स्वतंत्र और महत्त्वहीन रहजाय । यदि आप भविष्य के खयालसे
भारतद्वारा अपूर्व स्वागतदेखेंतो वर्तमानके कितने ही संघर्ष व्यर्थ जान पड़ने लगेंगे या उनका स्वरूप बदल जायेगा और तब श्राप
४ जनवरी १९४८ को वर्मा कितने ही वर्षोंकी अपनेको पुराने विचारोंकी गुलामीसे मुक्त पाने लगेंगे
ब्रिटिश पराधीनताके जुएसे उन्मुक्त होकर सर्वतंत्र
स्वतंत्र होगया। यह स्मरणीय रहे कि वर्माको ___ जहांतक मेरा ताल्लुक है, मैं देशकी बड़ी योजनाओंको और किसी भी चीजसे ज्यादा महत्व देता हूं,
यह स्वतंत्रता भारतकी तरह बिना रक्तपात किये ही
प्राप्त होगई है। भारतद्वारा उसकी इस स्वतंत्रताका मेरा विचार है कि देशमें इन्हींसे नयी सम्पत्ति प्राप्त होगी। जब कभी मैं भारतका कोई मानचित्र देखता हूं.
__ अपूर्व स्वागत किया गया और भारतवपैकी तो हिमालय पर्वत-श्रेणीपर मेरी दृष्टि पड़ती है
राजधानी देहलीमें विभिन्न स्थानोंपर इस स्वाधीनता और मैं उस अनन्तशक्तिकी बात सोचता हूं
दिवसके उपलक्षमें अनेक समारोहोंका आयोजन जो उस श्रेणीमें बेकार छिपी पड़ी है, जिसे
किया गया। इस अवसरपर भारतवर्षके गवर्नरकाममें लायाजा सकता है और जिसका
जनरल लाडे माउण्ट वेटन, भारतके प्रधानमंत्री यदि तेजीसे विकास किया जासके तो जो सम्पर्ण भारत ५० जवाहरलाल नेहरू, उप-प्रधानमंत्री सरदार को ही बदल सकती है यह शक्तिका श्राश्चर्य-जनक
। पटेल, राष्ट्रपति डा. राजेन्द्रप्रसाद तथा मंत्रिमंडलके और सम्भवत: संसार में सबसे महान् स्त्रोत है। इसी
अन्य सदस्यों- जैसे सरदार बलदेवसिह, डा. लिये मैं महान् नदी घाटी योजनाओं, बांधों, विशाल
श्यामाप्रसाद मुखर्जी, डा०बी० आर० अम्बेदकर, जलकुण्डों तथा जलविद्य त-केन्द्रोंको अधिक महत्व
राजकुमारी अमृतकौर, श्रीजगजीवनराम, डा०
जानमथाई, श्री एन० गोपाल स्वामी अय्यंगर, देता हूं । ये सब आपको आगे ले जायेंगे। पर शक्ति उत्पन्न करनेसे पहले हमें उसका नियंत्रण और उपयोग
डा० रीफ, बर्मास्थित हाईकमिश्नर, प्रोफेसर भी तो जानना चाहिये।
राधाकृष्णन, मर सी० बी० रमन, डा० कालीदास मुझे श्राशा है कि इस सम्मेलनमें कमसे कम
नाग, और प्रोफेसर बी० एम० बरुआ-ने सन्देश यह ठोस परिणाम तो अवश्य निकलेगा कि हम लोग एवं भाषण दिये पाएडत नेहरू ने बर्माकी स्वतंत्रता मैत्रीपूर्ण ढंगसे काम प्रारम्भ करके एक अवधिके लिये को एशिया विशेष कर भारतके लिये बड़े महत्त्वकी प्रोद्योगिक शान्ति बनाये रखनेका फैसला कर लेगें घटना बतलाते हुए कहा-'भारत व बर्माका परस्पर और एक ऐसा ढंग निकाल लेंगे, जिससे प्रत्येक व्यकि इतना घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है कि यदि एक देश में के प्रति न्याय का व्यवहार होसके। इस बीच में हम कुछ होता है तो दूसरे पर उसका प्रभाव अवश्य शान्तिपूर्वक बैठकर व्यापक नीतियोंके सम्बन्धमें सोच पड़ता है। मुझे इसमें कुछ भी सन्देह नहीं हैं कि विचार कर सकेंगे।
भविष्य में हमारा सम्बन्ध और भी अधिक घनिष्ठ
होगा। यह सिर्फ हमारी एक जैसी भावनाका ही ३ सरकारी कागजातोंमे 'श्री' या 'श्रीमान'
नहीं, बल्कि विश्व और एशियाको घटनाओंका भी शब्दोंका प्रयोग
तकाजा है। शीघ्र ही वह समय आने वाला है जब पंजाबको सरकारने आदेश जारी किये हैं कि अब अन्य देशोंके साथ मिलकर हम सहयोगकी एक से आगे समस्त सरकारी कागजात और फाइलोंमें व्यवस्थाका निर्माण कर सकेंगे। 'मिस्टर' और 'एसकायर' इन अंग्रेजी शब्दों के स्थान उप-प्रधानमंत्री सरदार पटेल ने अपने सन्देश में 'श्री' या 'श्रीमान्' शब्दों का प्रयोग किया जाय । में कहा-'हम जानते हैं और अनुभव करते हैं कि