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________________ ঞ্জিন্ধিক্ষকল্পে १-केन्द्रीय शिक्षा-संस्थाका उद्घाटन और है। इसकी ओर भी पूरा ध्यान दिया जाना चाहिये। लेडी माउन्टबेटनका भाषण अच्छे नागरिक तैयार करने के लिये जो लड़ाई हमें दिसम्बरको दिल्ली में एक केन्द्रीय शिक्षा- लड़नी है उसमें इस बातका विशेष महत्व होगा। २-उद्योगसम्मेलनमें पं० नेहरूका अभिसंस्थाकी स्थापना होकर .उसका उद्घाटन समारोह मनाया गया था। उद्घाटन महामाननीया लेडी मांउ- भाषणटबेटनने किया था। इस अवसरपर भाषण करते अभी हालमें १८ दिसम्बर १९४७ को उद्योग मंत्री हुए आपने राष्ट्रीय अध्यापकोंको योग्यता और चरित्र डा० मुखर्जी द्वारा एक उद्योगसम्मेलन बुलाया गया था निर्माणपर महत्त्वपूर्ण जोर दिया । आपने कहा:- उममें भारतके प्रधान-मंत्री पं० जवाहरलाल नेहरूने 'इस केन्द्रीय शिक्षा-संस्थाका द्वार खोलते हुए औद्योगिक शान्तिकी आवश्यकता व उत्पादन में वृद्धि मुझे बड़ी प्रसन्नता होरही है । यह कहना अत्युक्तिपूर्ण करने के महत्व पर जोर देते हुए एक विस्तृत अभिन होगा कि भारत के अध्यापकोंको योग्यतापर ही भाषण किया था। आपने कहा:भावी सभ्यताके प्रति भारतका कार्य-भार अधिकांशत: 'मैत्री-पर्ण सहयोगमें हडतालों तथा तालेबंदियों निर्भर करेगा। पिछले तीन महीनामें हमारा ध्यान को बन्द करके कुछ समय तक औद्योगिक शान्ति अधिकतर मनुष्योंका जीवन बचानेके कार्य में लगारहा कायम रखना चाहिये। मौजूदा कितने ही आधारभूत है, किन्तु यह शिक्षा-संस्था खोलकर सरकारने स्पष्ट उद्योगोंका राष्ट्रीयकरण होना चाहिये । परन्तु समस्या कर दिया है कि कठिन समस्याओंमें फंस जाने के कारण का अधिकतम हल यह हो सकता है कि सरकारको वह दीर्घकालीन रचनात्मक कार्यक्रम प्रति उदा- नये उद्योगोंकी ओर अधिक ध्यान देना चाहिये और सीन नहीं है। उन्हींका अधिक मात्रामें नियंत्रण होना चाहिये । यह शिक्षामंत्री महोदयने अपने भाषणमें बताया है। सब मैं इसलिये कहरहा हूं कि मै वैज्ञानिक ढंगसे सोच कि यदि ११ वप तककी अवस्था वाले प्राय: ३ करोड़ विचार करनेका आदी रहा है,मै स्थिर रहनेको अपेक्षा बालकोंकी प्रारम्भिक शिक्षा-व्यवस्था करनी है तो आगे बढ़नेकी बात सोचता हूं। आज कल व्यवसा यापकाका आवश्यकता योंके सम्बन्धमें विचार करते समय लोग जीवापड़ेगी। और हर शिक्षित व्यक्तिसे इस कार्य में सहायता दियों, समाजवादियों अथवा कम्यूनिष्टोंकी बात सोचते लेनी होगी । शिक्षाके प्रसार-कायमे, क्या मै शैक्षिक हैं। किन्तु ये बातें वर्तमान स्थिति पर कायम रहनेकी फिल्मों तथा बेतारके माध्यमोंको शिक्षाप्रद उपयोगिता हैं, आगे बढ़नेकी नहीं। यह विचारधारा गये-बीते का भी सुझाव रख सकती हूं मै समझती हूं इस कार्यके युगको हैं। और इसे हमें त्याग देना चाहिये । कुछ लिये उक्त दोनों ही साधनोंके विस्तारके लिये भारतमें प्रगति शाल दृष्टिकोण रखने पर हम साफ देखते हैं काफी बड़ा क्षेत्र है। कि यह एक महत्त्वपूर्ण संक्रान्तिकाल है जिसमें शक्ति हम सभी जान चुके हैं कि केवल पुस्तकोय के नये स्रोतका अनुसंधान किया जा रहा है। यह योग्यता तथा विशिष्ट कुशलता पर्याप्त नहीं है और प्रौद्योगिक क्रान्ति या वैद्यत्निक क्रान्ति है। किन्त चरित्र-बलका उपार्जन भी परमावश्यक है। अध्यापक महत्त्व में इससेभी अधिक व्यापक है। इसमें दस पंद्रह गण अपने छात्रोंको, केवल अपनी योग्यतासे ही या बीस साल लग जायेंगे और आज का सभी कुछ नहीं, बल्कि अपने चरित्रसे भी प्रभावित कर सकता पुराना पड़ जायगा । सम्भव है आज आप जिस
SR No.538009
Book TitleAnekant 1948 Book 09 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1948
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size35 MB
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