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किरण १]
विविध
भारतकी स्वाधीनता अन्य उन देशोंको स्वाधीनताकी इस अवसरपर मैं स्वर्गीय जनरल आंगसानके भूमिकामात्र है, जो अभी पराधीनतामें पड़े हुए हैं। प्रति श्रद्धांजलि प्रकट करता हूं। वे देशभक्त थे और इतिहासमें भारतके बर्मासे निकटतम सम्बन्ध रहे उनकी यह प्रबल अभिलाषा थी कि उनका देश सदा हैं। लगभग एक शताब्दी तक दोनों ही देश स्वतंत्र रहे और यही कारण था कि उन्होंने अपने विदेशी बेड़ियोंमें जकड़े रहे हैं। बर्माके आर्थिक आपको और अपनी वर्मी देशभक्त सेनाको जापानके जीवनमें भारतीयोंने जो हिस्सा लिया है, वह कुछ विरुद्ध लड़नेके लिये मुझे सौंप दिया था। उन्होंने थोड़ा नहीं है। हम सदासे बर्माके स्वाधीनता- और उनकी सेनाने जो हमारी सेनाको सहायता दीवह संग्रामके प्रति अपनी हार्दिक सहानुभूति प्रकट करते बहुत सराहनीय थी। वर्मा मुक्त हो जानेके बाद उन्होंने रहे हैं। जैसे-जैसे व बीतते जायेंगे वैसे-वैसे उच्चकोटिकी राजनीतिका परिचय दिया। रंगून और स्वाधीनतामें साथीपनकी भावनाका विकास होता कैन्डी में मेरी उनसे कई बार मुलाकात हुई। मुझे जायगा - इसी तरह जिस तरह कि पराधीनताको विश्वास होगया था। कि वे अवश्य ही देशके महान बेडियों में जकड़े रहने पर भी इनके दृष्टिकोणम नेता बनेंगे। मुझे आशा थी कि कितने ही वर्षों तक साम्य था। हमारी कामना है कि 'वर्मा पूनर्निर्माण वर्माका भाग्य-निर्माण करने के लिये वे चिरकाल तक तथा पुनस्संस्थापनके काय में प्रगति करे।
जीवित रहेंगे। उनको भीषण हत्यासे हृदय-विदारक ___ डा. राजेन्द्रप्रसाद ने जिन्होंने रंगूनके स्वा
क्षति पहुंची है।
अपनी उपाधिके साथ बर्माका नाम सम्बद्ध करने धीनता समारोहमें बर्मा जाकर भारतका प्रतिनिधित्व किया, हिन्दीमें दिये हुए अपने सन्देशमें बर्मा राष्ट्र
का मुझे गौरव प्राप्त है। इस देशसे मेरा घनिष्ठ सम्पर्क
रहा है। इसलिये इस दिवसको विशिष्ट रूपसे को भारतीय राष्ट्रीयकांग्रेसकी तरफसे. बिहारकी मनाने के लिये मैं उत्सक था। मेरी इच्छा थी कि भारत तरफसे जहां बुद्धको बोधिसत्त्वका ज्ञानका प्रकाश की ओरसे वर्माको कोई उपहार दिया जाय। मिला था, सम्पूर्ण भारतकी तरफसे, विधानपरिषद कलकत्ताके अजायबघर में बर्माका एक राजकी तरफसे और स्वयं अपनी तरफसे बधाई दी।
सिंहासन रखा हुआ है। मांडलेमें लुटदाभवनमें जब ___ लार्ड माउण्ट बैटनने बर्माके प्रति भारतको सद्भा- वाके नरेश थीषा गयेथे वे इसपर बैठे थे। यह उच्च वना प्रकट करते हुए अपने महत्वके भाषणमें कहा- सिंहासन सागौन लकड़ीका बना है और इसमें सोनेका आज बर्माका स्वाधीनता दिवस है। मुझे प्रसन्नता है प्रचुरतासे काम किया हुआ है। और नरेश थीवाके कि हमारे स्वाधीनता दिवसके कुछ समय बाद ही यह उस प्रसिद्ध सिंहासनका यह प्रतिरूप है।जब मैं हालही मनाया जारहा है। गत चार वर्षोंसे बर्माके मामलों में में लन्दन गया था तो मैंने सम्राटसे इस सम्बन्धमें में घनिष्ठतासे निरन्तर रुचि लेता रहा हूं और इस परामर्श किया भारत सरकारके इस प्रस्तावको उन्होंने प्रकार वर्मा देश और वर्मी लोगोंके लिये मेरे हृदय बड़ी प्रसन्नतासे मान लिया कि बर्माकी स्वाधीनताके में वास्तविक स्नेह उत्पन्न हो गया है। दक्षिण पूर्वी अवसरपर यह सिंहासन उसे भेंट कर दिया जाय। एशिया कमानके स्थापित होतेही वर्मा क्षेत्रके शासन यह सिहासन इतना भारी है कि यह यहां नहीं लाया का भार मुझे सौंप दिया गया था। ज्यों ज्यों जापा- जा सकता था। इसे कलकत्तासे ही सीधे रंगून भेज नियोंको हम पीछे हटाते थे त्यो त्यों यह क्षेत्र बढ़ता दिया जायेगा। मुझे आशा है कि मार्च में वर्मा जाने जाता था । वर्माको जापानसे मुक्त कराने के समय तक का मैं वर्मा के प्रधान-मंत्रीका निमंत्रण स्वीकार कर और इसके कुछ महीने बाद तक मैं इस प्रकारसे धर्मा सकूँगा । यदि ऐसा हुआ तो उस समय मैं स्वयं यह का सैन्य गवर्नर था।
सिंहासन भेंट कर सकूगा ।