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________________ किरण ] साहित्य-परिचय और समालोचन [ ३५९ दी. उयार प्रात और है। हिन्दी-साहित्यमें ऐसी पुस्तकको प्रस्तुत करनेके विन्यास अच्छा है । लेखकका यह प्रथम प्रयास लिये लेखक और प्रकाशक दोनो धन्यवादाह हैं। सराहनीय है और पुस्तक प्रचारके योग्य है। छपाई-सफाई सब सुन्दर है। ४. जैनधर्मपर लोकमत-संग्राहक और २. भाग्य-फलं (भाग्य-प्रकाशक-मार्तण्ड)- प्रकाशक, 'स्वतन्त्र' सूरत । मूल्य, जैनधर्म प्रचार । लेखक, पं० नेमिचन्द्र शास्त्री, ज्यातिषाचार्य न्याय- इसमे महात्मा गान्धीसे लेकर राजगोपालाचार्य ज्योतिषतीर्थ साहित्यरत्र । प्रकाशक और प्राप्ति कान्तकुटीर. आरा। मूल्य सजिल्द शा) और कोटिके विद्वानोंके जैनधर्मपर प्रकट किये गये मतोंअजिल्द ११॥)। विचारोका सङ्कलन किया गया है। पुस्तक संग्रहणीय ___ हरेक व्यक्ति यह जानने के लिये उत्सुक होता है तथा प्रचारके योग्य है। कि मेग भाग्यफल कैमा है ? मुझे कब और क्या ५. विश्वविभूति-स्वगारोहः-(श्री गान्धी गुणगीताञ्जलिः) लेखक, मुनि श्रीन्यायविजय । इस पुस्तकद्वारा इन्ही सब बातोपर अपने प्रशंसनीय प्रकाशक. श्री केशवलाल मङ्गलचन्द शाह पाटण ज्योतिषज्ञानका प्रकाश डाला है । इसमें वैशाम्बसे (गुजरात)। मूल्य कुछ नहीं। प्रारम्भ करके चैत्र तक बारह महीनामें उत्पन्न हुए प्रस्तुत छोटी-सी १६ पद्यात्मक रचना मुनि न्यायपुरुषों और स्त्रियोंका तिथि तथा दिनवार फलादेश विजयजीने गान्धोजीके स्वर्गारोहणपर संस्कृतमें रची (शुभाशुभ फलका प्रदर्शन) प्रस्तुत किया है। पुस्तक है और गुजराती अनुवादका लिय हुए है। रचना भारतीय और पाश्चात्य ज्योतिर्विदाके विविध ग्रन्थों ललित और सरल है। तथा प्राचीन और अर्वाचीन विचारोंके आधारसे ६. वस्तुविज्ञानसारलिखी गई है। भाषा मरल और चालू है। हिन्दी श्रीकानजी स्वामी । हिन्दो-अनुवाक, पं० परमेष्ठीदास सार-प्रवक्ता. अध्यात्मयोगी साहित्यके भण्डारमे ऐसी अच्छी भेंट उपस्थित करने जैन न्यायतीर्थ । प्रकाशक, श्रीजैन स्वाध्यायमन्दिर के लिय लेखक अवश्य ही अभिनन्दनके याग्य है। ट्रस्ट सोनगढ़ (काठियावाड़)। मूल्य, कुछ नहीं। हम उनकी इस सत्कृतिका ममादर करते हुए पाठकोसे अनुरोध करते हैं कि वे इस पुस्तकका जरूर मॅगाकर ___यह श्रीकानजी स्वामीके गुजरातीमें दिये गये पढ़ें और अपने फलाफलको ज्ञात करें। आध्यात्मिक प्रवचनोंका महत्वपूर्ण संग्रह है। इसमें अनन्त पुरुषार्थ, आत्मस्वरूपकी यथार्थ समझ. उपा३. सम्राट खारवेल-लेखक, जयन्तीप्रसाद दान-निमित्त आदि मात विषयोंपर अच्छा विवेचन जैन साहित्यरत्न । प्रकाशक और प्राप्तिस्थान, नवयुग किया गया है। स्वाध्याय-प्रेमियोंके लिये पुस्तक पठजैन साहित्य-मन्दिर खतौली। मूल्य १।)। नीय और संग्रहणीय है। ___ यह एक नाटक ग्रन्थ है जिसमें जम्बूकुमार ७. सत्य हरिश्चन्द्र-रचयिता. मुनि श्रीअमर(अन्तिम केवली जम्यूस्वामी) अन्जन मुक्तियज्ञ और चन्द्र कविरत्न । प्रकाशक. सन्मतिज्ञानपीठ आगरा। सम्राट् ग्वारवेल ये चार नाटक निबद्ध हैं। इनमें मूल्य शा)। सम्राट खारवेल अन्य नाटकोंसे बड़ा है और इस सत्य हरिश्चन्द्र भारतीय इतिहासमें प्रसिद्ध हैं। लिये उसकी प्रधानतासे पुस्तकका नाम भी सम्राट गाँव-गाँधमे और नगर-नगरमें उनकी गुण-गाथा गाई खारवेल रखा गया जान पड़ता है। नाटक सभी जाती है। उन्होंने सत्यके लिये स्त्री. पुत्र और अपना भावपूर्ण और शिक्षाप्रद हैं। शब्द और भाव दोनोंका तन भी उत्सर्ग कर दिया था और भारतके परातन
SR No.538009
Book TitleAnekant 1948 Book 09 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1948
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size35 MB
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