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स्मृतिकी रेखाएँ
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(लेखक- अयोध्याप्रसाद गोयलीय)
[८वी किरणका शेष]
बिना हलद-फिटकरी लगे उस वक्त जियारत नसीब मन १९३१में गान्धी-अरविन समझोतके अनु- हो सकी। मार प्रायः सभी राजनैतिक बन्दी छोड दिये गय। मियाँवाली जेलमे तीन राजनैतिक बन्दी पहलेसे परन्तु मेरे भाग्यमे इन स्तराती होटलोके स्वादिष्ट ही मौजूद थे चार हम पहुँच गये। सातों एक ही भोजनका रखा' शेष थी. इसलिये एक वर्षके लिये छोटेसे कमरमे जमीनपर कम्बल विछाकर सात थे।
और राक लिया गया। लेकिन खाली बैठा तो दामाद अभी हमे पहुंच दो-तीन घण्टे हा हुए थे कि देखा भी भारी हो उठता है। इस तरह डण्ड पेल-पेलकर कि दो सिक्व पटापट ततैये मार रहे है। परस्पर राटियां तोड़ना अधिकारावगको कबतक सुहाता ? होड़-मी लगी हुई थी। कमरमें श्राने वाले ततैयाँका मजबूरन उन्होने मियाँवाली जेलमे चालान कर दिया; उछल-उछलकर कहकहे लगा लगाकर मार रहे थे। क्योकि यहाँ भी राजनैतिक बन्दी रोक लिये गये थे। मैं उनकी इस हरकतसे हैरान था कि गान्धीजीके
मियांवाली जेलका तो जिक्र हो क्या मियाँवाली सैनिक यह कौन-मा अहिमा-यज्ञ कर रहे हैं। अभी जिलेमें बदली होते सुनकर बड़े-बड़े ऑफिसर कॉप एक-दूसरसे परिचित भी न हो पाये थे। उनकी इस उठते है। कोई भूल या अपराध किये जानेपर प्राय- संहार-लीलापर क्या कहा जाय ? यह मैं सांच ही श्चिनस्वम्प ही उनका यहाँ ट्रांसफर होता है। रहा था कि मेरे माथ आये पाण्डेय चन्द्रिकाप्रसादसे रतोलाप्रदेश अधिकाधिक गर्मी-मदी अस्मी-अस्मी न रहा गया और वे आवेश भर स्वरम बोले-सरघण्टेकी लगातार ऑधी पानीकी कर्मा मनोरञ्जनका दारजी. यदि आपको दया-धर्म छू नहीं गया है तो अभाव कर और मूख जङ्गली लागोका इलाका अपने साथी जैन साहबकी मनोव्यथाका तो ध्यान हर-एकको रास नहीं आता। जरा-जरामी बातपर रखना था! आप क्या नहीं समझते कि आपके इस खून हो जाना यहाँ श्राम रिवाज है । बादशाही काण्डसे इनको कितनी वेदना हो रही होगी? इतना जमानेमे जिन हत्यारां और पापियोका देश निकालेकी सुनते ही एक सरदारजी तो तत्काल अपनी भूल सजा दी जाती थी। वह इसी प्रदेशमे छोड दिये जात समझ गये और ततैयकी हत्या बन्द करके मुझसे क्षमाथे। उन्हीं अपराधियोके वंशज यहाँ के मूल निवामी याचना कर ली। यह सरदार साहब मास्टर काबुलहै। अब तो यह प्रदेश पाकिस्तानमें चला गया है सिंह थे ! जा ७-८ वर्षसे जेल जीवन बिता रहे थे
और बिना पासपोटके देखना असम्भव होगया है। और आजकल पञ्जाब असेम्बलीके सदस्य हैं। बड़े भाग्य ही अच्छे थे जो इस समयकी विलायतकी सहृदय. तपस्वी और उच्च विचारोंके राष्ट्रवादी