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________________ किरण ह] समाज-सेवकोंके पत्र [३५३ ___ खंडवा. १-१०-२७ (२) माईदयाल वाला ट्रैक नहीं मिला। ___ जैनकलाके सुधारके लिये ब्रह्मचारी कुंवर (३) सत्यार्थप्रकाशका खंडन लिखकर लाला दिग्विजयसिह नागपुरमें उद्यम कर रहे हैं पता-परवार देवीसहाय फीरोजपुरको भेजा है। वे पं० माणकचन्द दि. जैनमन्दिर इतवारी बाजार । कुछ पुस्तकें हिन्दीकी न्यायाचार्यको दिखाकर सत्यार्थदर्पणमें बढ़ाकर बॉटनेको भेजें । सनातन जैन १० प्रति जिनेन्द्रमत- छापेंगे पंडित माणकचन्दका देखना काफी होगा हर दर्पण १० प्रति अन्य हिन्दीके उपयोगी ट्रैक ५-५ एकके दिखलानेसे पुस्तक बिगड जाती है । ऋषभदास फिर जो वे मंगावें भेजते रहे। ५ सनातन जैन का खंडन सूरजभानको दिखाकर छापं । मुझे भेज दें। सनातनजैनपत्र मिला होगा प्रचार करें सत्यको 6-३-२७ प्रकट किये बिना काम नहीं चल सकता था इससे प्रफ व कापी मामनचन्द प्रेमीके द्वारा भेजी है उद्यम किया है । नवयुवकोको मदद देनी चाहिये। मिले होगे। लेख मेरे पास है मै लाहौर अहिक्षेत्र (१५) मूरत, १-३-२५ होकर जाता हूं। पता-बलवंतराय बैङ्कर पुरानी कार्ड ता० २६ का पाया अनारकली लाहोर। मुझे श्रीमहावीरजी चौदसको सवेरे जाना है उदृके कुछ ट्रक भेंटरूप धर्मस्वरूप. कर्ताखंडन इसलिये मैं तरसको ७ अप्रेलको रातको ॥ बजेकी श्रादिके एक-एक मलके दो-दो ५ व ७ प्रकारके भेज दे गाडीसे महावीरजी जाना चाहता हूं। वस यदि मेरा लिख दे बॉट दे। व्याख्यान उस समयके भीतर होसके तो मैं आनेको ला० प्रभुराम जैन मास्टर गवर्नमेंट स्कूल महाम तैयार हैं इसी श्राशयका तार आपका किया है। जिला राहतक पता पूछा है कुछ नहीं जानन निराकुलता रहे इससे सफरखर्चकी बात भी लिख दी जरूर भेजे। है आप जवाब जरूर देना यदि उपयोग न हो तो भी (१२). ४-२-२७ जवाब देना जिससे मैं न आनेके लिये निश्चित होजाऊँ। टेक पाये लाला लाजपतरायकी पुस्तकपर नोट अर्जुनलाल सेठीजीका भाषण बहुत मर्यादामें होना मैने पहले उनको भेजे थे। अब वह पुस्तक मेरे पास चाहिये वे ऐसीसी बाते कह जाते है कि अस्पृश्योनहीं है यदि वह बदलना स्वीकार करें, आप उनसे का मूर्ति स्पर्श कराई जावे मो कोई जैन सुननेको मिले तो पुस्तक भिजवा दे। मैं फिर नोट लिखकर तैयार नहीं है। इससे उनका भाषण व भगवानदीनका भेज दूंगा। भाषण विचारे हुए शब्दोंमें होना चाहिये जिमसे सनातनजैनमत सूरतमे ही छपवाना वह हमारे शान्ति रहे क्षोभ न रहे जल्सा आप दिनमें शुरू करें अक्षर पढ़ सकेगे। वही चलता रहे। कटक. १६-३-२४ पुराने लोगोको साथ लेकर अपना काम बनाना ला कमेटीका क्या काम होरहा है। अहिंमा धर्मके ठीक होगा। दो ट्रैक भेज देना मेरे नाम C/o सेठ जोखीराम (१६) ' ७-७-२६ मूंगराज १७३ हरीसनरोड कलकत्ता जरूरत है। (१) इटलीकी कापी पढ़ी लौटाते है सब बम्बई. श्राविकाश्रम जुबलीबाग श्वेताम्बर ग्रन्थ हैं। तारदेव ७-११-०७ (२) हमारा एक बढ़िया लेक्चर जैनगजट आपके पत्र ता० १६ । १८-११ के पाए। मदरासमें निकल रहा है। दो अङ्कमें निकल चुका है (१) प्राचीनस्मारककी प्रतियाँ लागतके मूल्यमें शेष और निकलेगा उसे आप ट्रैकृरूप छपवा लें बहुत सूरतसे प्राप्त होंगो मुफ्त नहीं। ही उपयोगी पड़ेगा। मार्च व मईमें निकला है।
SR No.538009
Book TitleAnekant 1948 Book 09 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1948
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size35 MB
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