SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 361
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३२२ ] अनेकान्त [ वर्ष ६ कुण्डलपुर के बड़े बाबा श्रीमहावीरजी तहखाना खुलवानेपर छठवी शताब्दीसे आजतकके वे भग्नावशेप । श्रीकुण्डलपुरजीके जिन-जिन मन्दिरोमें मब सिक्कं प्राप्त हो सकते हैं जिनसे यह पता लगाना छठवी सदीकी जितनी प्रतिमा पाई जाती वे सब बिलकुल सरल हो जावेगा कि भाग्नवामि कौन-कौन ही रुक्मणीमठमे ही लाकर प्रतिष्ठित की गई हैं। शामक यहाँ दर्शनार्थ आचुके है और उस समय इम चिह्नम्वरुप रुक्मण/मठमे एक पापाणपर यक्ष-यक्षिणी स्थानकी प्रसिद्धि कहाँ-कहाँ तक फैली हुई था। खजूरके वृक्षके नीचे बड़े और उनके मिरपर पाश्व श्रीकुण्डलपुरजीरो करा आधा माल दर फतेपुर नाथ भगवानको प्रतिमा है। रुक्मणीमठके कुछ अवनामक ग्राम है जहाँ भवमणामठ नामक नमन्निरके शेप लक किनार एक चतग्पर पीपलक वृक्षके
SR No.538009
Book TitleAnekant 1948 Book 09 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1948
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy