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________________ - अनेकान्त ज्येष्ठ, संवत् २००५ :: जून, सन् १९४८ - संस्थापक-प्रवर्तक बीरसेवामन्दिर, सरसावा वर्ष ६ ★ किरण ६ । सञ्चालक-म्यवस्थापक भारतीय ज्ञानपीठ, काशो सम्पादक-मंडल जुगलकिशोर मुख्तार प्रधान सम्पादक मुनि कान्तिमागर दरबारीलाल न्यायाचार्य अयोध्याप्रसाद गोयलीय डालमियानगर (बिहार) सुखका उपाय (आर्या) जगके पदार्थ सारे वतै इच्छाऽनुकूल जो तेरी । तो तुझको सुख होवे, पर ऐसा हो नहीं सकता ॥ १ ॥ क्योंकि, परिणमन उनका शाश्वत उनके अधीन ही रहता । जो निज अधीन चाहे वह न्याकुल व्यर्थ होता है ॥ २ ॥ इमसे उपाय मुखका, मच्चा, स्वाधीन-वृत्ति है अपनी । गग-द्वेष-विहीना, क्षणमें मन दुःख हरती जो ॥ ३ ॥ -युगवीर
SR No.538009
Book TitleAnekant 1948 Book 09 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1948
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size35 MB
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