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________________ ॐ अहम वतत्व-मचातक प्रकाशक वार्षिक मूल्य ४) एक किरणका मुल्य || || नीतिविरोधप्वंसी लोकव्यवहारवर्तकः सम्यक् ।। परमागमस्या भग्नवगर्जयत्यनेकान्तः ! वर्ष ५ किरण ५ वीरसंवामन्दिर (ममन्तभद्राश्रम), सरसावा, जिला महारनपुर वैशाख शुक्ल, वीरनिर्वाण-संवत २४७४, विक्रम संवत २०.५ । १९४८ PuriHINDIWWWJAN WRMANENERNATANAHANE VIRemium" सम्यग्दृष्टि भविज्ञान अग्यो जिन्ह के घट, मीनलचित्त भयो जिम चन्दन । काल करें मिवमारगमे, जगमाहि जिनमक लघुनन्दन ।। मत्यमाप मदा जिन्हकै, प्रगट यो अवदान मिथ्यात-निकन्दन । मांतदशा तिन्हकी पहिचानि, करै करजोर बनारमि बन्दन ॥ स्वाग्थक माँच परमारथक माँच चित, मांचं माँच बैन कह मचि जैनमनी है। काहू के विरोधिनाहि परजाय-बुद्धि नाहि, प्रातमगवपी न गृहम्थ है न जती है। मिद्धि गिद्ध वृद्धि दीमै घटमै प्रगट मदा, अन्तरकी लच्छिमी अजाची लन्छपती है। दाम भगवन्तके उदाम रहै जगनमों, मुखिया मदेव ऐसे जीव मर्माकनी हैजाकै पट प्रगट विवेक गणधरकौमी, हिरदै हरखि महामोहको हरतु है । साँचौ सख मानै निज महिमा अडौल जाने, श्रापुहीमे श्रापनौ सुभाउले धरत है। जैसे जल-कर्दम कतकफल भिन्न करे, तैम जीव अजीव विलच्छनु कम्तु है। HA आतम सकति माधै ग्यानको उदो अराधै, मोई मकिति भवसागर नस्तु है ॥३॥ ) --कवि बनारसीदाम ENAAAAAAAAAIAANTIANE
SR No.538009
Book TitleAnekant 1948 Book 09 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1948
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size35 MB
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