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विषय-सूची
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१ सम्यग्दृष्टि-स्व. कवि बनारसीदास २ परमात्मराम-स्तोत्र (बीपअनन्दि मुनिकृत) ३ समवसरण में शद्रोंका प्रवेश-[प्र. सम्पादक ३ वर्णाजीका हालका एक आध्यात्मिक पत्र ५ कुत्ते (कहानी)-[गोयलीय ६ त्यागका वास्तविक रूप-[पं० भीगणशप्रसाद वर्णी ७ ममय रहते मावधान (कविता)--[स्व. कवि भूधग्दास ८ सगीतपुरके मालुवेन्द्र नरेश और जैनधर्म-[बा. कामताप्रमाद ६ जैनधर्म बनाम ममाजवाद-[पं. नेमिचन्द्र ज्योतिषाचार्य १. सन्मति विना विनाद-जुगलकिशार मग्नार ११ मुजफ्फरनगरका परिषद् अधिवेशन -[ या माईदयाल बी. ए. १२ बनाईशाके पत्रका एक अश[बा० ज्योनिप्रमाद जैन १३ पाकिस्तानी पत्र-[गोयलीय १४ मादकीय [श्रयायाधमाद गोयलीय १५ कथित स्वोपज भाष्य--[-बा० ज्यानप्रसाद एम. ए.
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वीरशामन जयन्ती मनाइये
श्रावण कृष्ण-प्रतिपदाकी पुण्यतिथि प्रारही है इम वर्ष आगामी २ जुलाई १९४८ बृहस्पतिवार- महत्व है । भारतवर्षमें पहले वर्षका प्रारम्भ इमी को श्रावणकृष्णाप्रतिपदाकी पुण्य - निथी अथात दिनसे हुश्रा करता था। वीरशासनजयन्नी अवतरित हो रही है । इम दिन इस तरह यह पुण्यतिथि-वीरशासन जयन्तो भगवान महावीर का तीथ (शासन) प्रतित हुआ था- सभीके द्वारा समारोह के माथ मनाये जानेके योग्य इसी दिन उन्होंने अपना लाक-कल्याणकारी सर्वप्रथम है। सब जगह प्रत्येक गाँव और शहर के लोगोंको उपदेश दिया था, उनकी दिव्यध्वनि वाणी पहले पहल अभीसे उसको मनानेकी तैयारियां शुरू कर देनी खिरी थी, जिसे मुन कर दुम्बी और प्रशान्त जनताने चाहिये । वीरसेवामन्दिर इस बार इस पुण्य पर्वको सुख-शान्तिका अपूर्व अनुभव किया था माथ ही मनानेकी कछ विशिष्ट आयोजनाएँ तत्परताके माथ धर्मके नामपर होनवाल बलिदानों और अत्याचाग
कर रहा है। इस दिन अहिमा और अपरिग्रह-जैसे की रोक हुई थी। भगवान वीरने हिसा अहिमा जैन सिद्धान्तोंका प्रचारक सुन्दर साहित्य लोकमें तथा धर्म-अधर्मका तत्व इमी दिनसे ममझाना
प्रचुर मात्रामें प्रचारित किया जाना चाहिये, महावीरप्रारम्भ किया था, अहिंमा और अपरिग्रह धर्मका
सन्देशको घर घरमे पहुँचाना चाहिये और उसके लोगोंको यथार्थ स्वरूप समझाया था और इमलिय
अनुमार चलनेका पूरा प्रयत्न होना चाहिये। यह दिन कृतज्ञ मंसारके लिये बड़े महत्वका है। इमके मिवाय, इम तिथिका ऐतिहामिक भी
-दरवारीलाल कोठिया (न्यायाचार्य)