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अनेकान्त
[वर्ष ९
१९ यशोधरचरित-दयासुन्दर कायस्थ (संभवत: जैन पुस्तकालय सूरत से गुजरातीमे १९ पेजका १८ पद्मनाम हों)।
प्रकरणात्मक यशोधरचरित प्रकाशित है। २० यशोधरचरित-देवेन्द्र (मंभवतः पीछे उल्लिखित श्वेताम्बर साहित्यश्वे. रामका का हो ?)
मस्कृत २१ यशोधरचारन-मोमसन
१ यशोधरचरित्र-देवमूरि [ग्र. ३५०] (सम्भव अपभ्रश
है दि० श्रीदेवकी पजिका हो)। १ जमहरचरिर-1 पप्पदंत शाके ८९४ (अपूण २ यशोधरचरित्र-माणिक्यमुरि
प्रति हमारे मंग्रहमे उपलब्ध) ३ यशोधरचरित्र-हेमकुंजर (म० १६८७ पूर्व)
B गंधव परित ३ प्रकरण। ४ यशोधरचरित्र-पद्मसागर (उ. जैन मा मं.इ.) • जमहरचरि-हरिपंगण (अनुपलब्ध)।
५ यशोधरचरित्र --ज्ञानदाम लोंका (म० १६२३) ३ जसहरचार उ--अमरकीर्ति (अनुपलब्ध)।
६ यशोधग्चरित्र-क्षमाकल्याण (स. १९३९ हिन्दी
जैसलमेर) १ यशोधरचरित्र-गौरवदाम म. १५८१ फफौद
गुजगनी-गजस्थानी २ यशोधररित्र--गरीबदाम मं० १६०० अजमेर १ यशोधरराम-(म० १५७३) देवगिरि (प्रति हमारे मग्रहम है)।
२ यशोधरगम-ज्ञान (मम्भव है उपयुक्त ज्ञानदास ३ यशाधरचरित्र--खुशालचन्द्र काला मं० १७९१ वाला ही हा)। सांगानेर ।
३ यशोधरराम-मनोहरदास (विजयगन्छ) (मं० ४ यशोधरचरित्र-परिहानन्द
८७६ श्राव०६ दशपुर) ५ यशोधरचरित्र--भूरजी अग्रवाल ।
४ यशोधरराम-नयमुन्दर (म० १६१८ पोव० ६ यशोधरचरित्र-मनमोद अग्रवाल
१ गु०)। ७ यशोधरचरित्र-पन्नालाल चौधरी (२८वी श०) ५ यशोधरगम-जयनिधान (मं० १६४३) ८ यशोधरचरित्र - नंदराम (१९०४ के लगभग) ६ यशाधरगम-देवेन्द्र (म० १६३८) ९ यशोधरचरित्र व नका-लक्ष्मीदास । ७ यशोधग्राम-उदयरत्न (मं० १७६७ पो शु. गुजगती
५ पाटण) (माणिक्यमरिके चरित्रके आधारपर) १ यशोधग्राम-ब्राजिनदाम(मं०१५२० लगभग) : यशोधरगम-जिनहर्प (मं० १७४७ वै०व०८ २ यशोधररास-मोमकीर्ति (मं. १६००, पंचायती पाटण)। मन्दिर, देवली)।
९ यशोधरराम-विमलकीर्ति (मं० १६६५ विजय कन्नड
दशमी अमृतमर)। १ यशोधरचरित्र-चन्दप्प [चन्दन] वर्णी (श्लोक
अन्यग्रन्थान्तर्गत ३५०)।
१ समगइनकहा-प्रा० हरिभद्रसूरि (वी) आधुनिक हिन्दीमे वादिराज के चरित्रका हिन्दी- २ समगइमकहा-मक्षेप, प्रद्युम्नमरि (सं० १३२४) मार उदयलाल काशलीवाल लिग्वित जैन-साहित्य ३ समराइचकहा-क्षमाकल्याण, सुमति वद्धन प्रमारक कार्यालय, बम्बईसे प्रकाशित होनेका उल्लेख ४ उपदेशप्रामाद-विजयलक्ष्मीसूरि (१९वीं श०) पूर्व किया जाचुका है। माननीय प्रेमीजीकी सूचना- जैन माहिन्यनो संक्षिप्त इतिहाममे हरिभद्रसूरिजी नुसार सहारनपुरके जैनीलालजीने भी यशोधरचरित्र के स्वतन्त्र यशोधररित्रका भी उल्लेख है पर वह (भाषा) छपवाया था, पर अब नहीं मिलता। दि० सम्भव कम ही है।