SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 312
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २६२ अनेकान्त वर्ष मुकाबला करनेके लिये हम सबको उस नैनिक एवं श्रामिक समाउका भविष्य सामान्यत: अखिल भारतीय जनताके शनिको मुन्द्र तथा प्रकट करना होगा जो हमारे भीतर दी गजनैतिक उका के साथ घनिष्टतया संबंधित है। पड़ी है। पाामाकी यह शनि पौद्गलिक ऋणुकी श कसे उम मीटिंग में यह भी निश्चय हश्रा था कि इस योजना कहीं अधिक और बलवती है। में अपनी प्रात्माओंको को सफलीभूत बनाने के लिये उपर चारों अधिकारी नयोन्मुख प्रयत्नशील रखना चाहिये। विश्व ६मंड और राष्ट्रीय नेताओं डेपुटेशनके रूपमें साक्षात मिला जाय। रहंडताकी अपेक्षा सत्यं शिवं-सन्दरम्ये ही अंत प्रोत है।' फलत: अभी तक वह जैन डेपुटेशन डा. राजेन्द्रप्रसादजीसे जनाधिकार संरक्षण-बत सयमसमातिषी में कर चुका है और उन्होंने उसके साथ ! सुत विषयपर जैन-विचारकों और नेतायोंको भी अन्य अल्पसंख्यक बड़े ही सौहाई एवं सौजन्यपूर्वक चर्चा की बताई जाती है जातियोंकी भौति यह चिन्ता बनी रही है कि कही विविध तथा अन्तमें यह श्राश्वासन भी दिलाया बताया जाता है कि राजनैतिक हलचलों परिवर्तनोंके फलस्वरूप अथवा स्वतन्त्र वे प्रकरण प्रस्तुत होनेपर इस बातका प्र.वश्य ध्यान रखगे। भारतके नवनिर्मित विधानमें, जिसकी सफलताके हित उन्होंने किन्तु गत २४ जनवरीको विधानसभा अधिवेशनमें सदैव यथाशनि पूर्ण सहयोग एवं बलिदान दिया है. उनकी पं. गोविन्दवह्नभ पन्त द्वारा प्रस्तुत उन सलाहकार समितिसंस्कृति और न्याय्य अधिकारोंकी उपेक्षा न की जाय, उनके निर्माण विषयक जो प्रस्ताव सर्वसम्मतिसे पास हुश्रा है उस साथ अन्याय न किया जाय । कई बार विभिन्न व्यक्रियों तथा में उस समितिके सदस्योंकी संख्या यह पि ७२ निश्चित की कतिपय संस्थानों द्वारा इस प्रकारकी अावाजें उठाई गई गई है तथापि फिलहाल विधानसभा द्वारा केवल ५० किन्तु वे सब नक्कारखानेमें तूतीकी आवाज़ होकर ही रहगई। सदस्य चुने जाने निश्चित हुए हैं, जो इस प्रकार हैंमाद्ध समाप्त होगया, अधिकांश प्रान्तों में सार्वजनिक बंगाल, पंजाब, उप सीमाप्रान्त, बिलोचिस्तान और सिन्धके राष्ट्रीय सरकारें स्थापित होगई, केबिनेट मिशन ाया और हिन्दू ; संयुन प्रान्त, विहार, मध्यप्रान्त, मद्रास, बबई, चलागया, उसके अनुसार केन्द्र में भी अन्त:कालीन राष्ट्रीय सर प्रभासाम और उदीमाके मुसलमान ७; परिगणित जातियोंके कारने कार्यभार संभाल लिया श्रीरस्वतंत्रभारतका विधान बनाने ७; सिक्ख ६; भारतीय ईसाई, पारसी ३: ग्ले इंडियन के लिये विधाननिमंत्री लोक परिषदका भी निर्वाचन एवं कार्य ३; कबायली व बहिष्कृत प्रदेश १३-इस तालिक में प्रारंभ होगया-किन्तु जैन नता कानाम तेल डाले ड़े सोते प्रत्यक्ष ही जैनोंका नाम नहीं है जो कि पारसियों और ग्लो ही रहे, और स्वभावतः जैनियों का कहीं ध्यान भी नहीं रक्या इण्डियनोंकी अपेक्षा संख्यामें कहीं अधिक हैं और हिन्द्र गया। अन्त में, लगभग एक मास हुश्रा, देहली में श्र० भा० मुसलमान, सिक्ख, पारसी, ईसाई श्रादिकी अपेक्षा कहीं 1. जैन परिपदके प्रधान मन्त्री बा. राजेन्द्रकुमारजीके अधिक प्राचीन, स्वतन्त्र एवं विशिष्ट धर्म और संस्कृतिसे संयोजक वमें विभिन्न न नेताकी एक मीटिंग हुई और संबंधित है। ता० २५ जनवरीके 'वीर' की सूचनानुसार उसमें इस विषयका एक प्रस्ताव पास किया गया कि विधानपरिषदके कांग्रेसी सदस्योंने उक्र सलाहकार समिरिके 'केबिनेटमिशन' के १६ मई के दयान पैरा २० के अनुसार लिये अपने प्रतिनिधि चुन लिये हैं जिनमें एक प्रो० के. टी. निर्मित होनेवाली 'नागरिक अधिकारों, अल्पसंख्यक जातियों शाह भी हैं जो जैन हैं। किन्तु जहाँ तक हम समझते हैं तथा आदिवासी एवं बहिष्कृत क्षेत्रों संबंधी सलाहकार प्रो० शाह जैनप्रतिनिधिके रूपमें नहीं चुने गये वरन वे वहाँ समिति' में तो कम कम नियोंका प्रतिनिधित्व स्वीकार एक कांसी:तिनिधिकी है सिर.तसे हैं । अत: उनके निर्वाकर लिया जाय। इस प्रस्तावकी नकलें राष्ट ति प्राचार्य चन द्वारा जैनोंके इस दिशाम किये गये प्रयत्नोंकी सफलता कृालानी, विधान परिषद के अध्यक्ष डा. राजेन्द्रप्रसाद, मानकर सन्तोष कर लेना एक भूल है। अन्तःक लीन सरकारके उपाध्यक्ष पं. जवाहरलाल नेहरू जैनियोंके अपने सांस्कृतिक एवं धार्मिक स्वत्वाधिकारोंके तथा गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल के पास भेजी गई। संरक्षण के हित किये गये इन नगण्य प्रयत्नों से भी कतिपय इस प्रस्तावमें यह भी स्पष्ट कह दिया गया था कि 'जैन अतिशय उग्रगामी जैन सज्जनोंको ही बग़ावत और पूट
SR No.538008
Book TitleAnekant 1946 Book 08 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1946
Total Pages513
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size68 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy