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________________ २१८ अनेकान्त [ वर्षे - विशेषताएँ हैं । (२) शान्तिसागर दि. जैन कन्यापाठशाला (१३) जैन सेवासंघ-(गलो नत्यनसिंह जाट)। ये १३ (पाँचवी कक्षा तक), (३) सुन्दरलाल दि० जैन औषधालय धार्मिक संस्थाएँ मुहल्ला पहाड़ी धीरजमें हैं । (४) सुन्दरलाल दि. जैन धर्मशाला और (५) चैत्यालय करोलबाग(गलामें), ये इस वैद्यवाड़ाके धर्मायतन हैं। (१) जैन मन्दिर (छप्परवाले कुएके पास) । इसकी सदरबाजार प्रतिष्ठा सन् १९३५ में हुई थीं। (१) हीगलाल जैन हायर सेकेंडरी स्कूल-स्थापित (१) मुन्शीलाल जैन आयुर्वेदिक औषधालय । सन् १६२० । न्यूदेहली-राजाका बाजार-- (२) शिवदयाल फ्रीनाईट स्कूल (श्रीपार्श्वनाथ युवक (१) अग्रवाल जैन मन्दिर-ला. हरसुखरायजीका मंडल द्वारा संचालित)। बनवाया हुआ मुगलोंके समयका । इसमें मूलनायक प्रतिमा (३) 'जैन संसार (उर्दू मासिक) पत्र कार्यालय । संबत् १८६१ सन् १८०४ की है। (४) धर्मशाला-ला० मूलचन्द मुसद्दीलालकी । ये (२) बुद्धिप्रकाश जैन रीडिंगरूम, सदर बाजार की संस्थायें हैं। (३) खण्डेलवाल जैन मन्दिर-मुगलोंके समयका, डिप्टागंज उर्फ महावीरनगर प्राचीन संबत् १२४८ की प्रतिमा । (१) लाल चैत्यालय, (२) श्रीलालचन्द जैन धर्मार्थ (४) जैन सभा (रजिस्टर्ड) स्थापित सन् १६३६ में । औषधालय-स्थापित सन् १६४० । ये दोनो धर्मायतन ला. (५) दि० जैन वादरी (सभा) । लालचन्द बाड़ीवालोंके बनाये हुये हैं । इसके साथ ही (६) जैनयंगमैन एसोसियेशन-स्थापित सन् १६३५ । (३) श्री १००८ जम्बूकुमार संघ नामक संस्था भी यहाँ है। निशि-मुगलोके समय की। पहाड़ी धीरज पहाड़गंज (मन्टोलामें)-- (१) जैन शिक्षा प्रचारक सोसाईटी (रजिस्टर्ड)। (१) जनमन्दिर । (२) श्री दि० जैन पंचायती धर्मशाला। गली इन्दरवाली कुंचापातीराम(३) जैन संगठन सभा कार्यालय-सन् १९२४। (१) जैनमन्दिर संबत् १६४६ का बना हुआ । (४) सार्वजनिक जैन पुस्तकालय- स्थापित सन् १९२४ (२) जैन प्रेमसभा । (जन संगठन (सभाश्रित)। (३) नेमिनाथ कीर्तनमंडल। (५) श्रीपार्श्वनाथ युवकमंडल कार्यालय, देहली दरवाजा(६) जैनमैरिज वयूरो (जैनसंगटनसभाश्रित) (१) जैनमन्दिर-यह मुगलोंके ममयका बना हुआ है। (७) जैन मन्दिर (गली मन्दिरवालीमें) जो गदरसे दरियागंजपहिले का बना हुआ है। यहां छपे हुए शास्त्रोका अच्छा (१) श्री भारतवर्षीय अनाथक्षक जैन सोसाइटी मंग्रह भी है। (रजिस्टर्ड) स्थापित सन् १६०३, (२) जैन अनाथालय(८) चैत्यालय-ला. मनोहरलाल जौहरीका यहां स्थापित सन् १६०३, (३) जैन चैत्यालय, (४) जैन मंत्रशास्त्रों व छपे शास्त्रोंका अच्छा संग्रह है। आयुर्वेदिक फार्मेसी, (५) टेलरिंग डिपार्टमेंट (६) जैन कन्यापाठशाला-स्थापित सन् १६१८, (६) जैनप्रचारक (मासिकपत्र कार्यालय)। (७) जैन एंग्लो (इसमें आठवीं कक्षा तक पढ़ाई है) वर्नाक्यूलर मिडिल स्कूल । (८) रायबहादुर पारसदास रिफ्रेस (१०) हीरालाल जैन प्राइमरी स्कूल। लायब्रेरी-(इममें अंग्रेजीकी बहुमूल्य पुस्तकोंका संग्रह है)। (११) जैनमन्दिर-(गली नत्यनसिंह जाट) ला० मक्वन- (६) ला. हुकमचन्दका चैत्यालय (नं० ७ में), (१०) लाल का बनवाया हुआ। रंगीलालजैन होमियोपेथिक फ्री डिस्पेन्सरी, ये दरियागंजकी (१२) श्राविकाशालां-(गली नत्यनसिह माट) संस्थाएँ हैं।
SR No.538008
Book TitleAnekant 1946 Book 08 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1946
Total Pages513
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size68 MB
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