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________________ ग़दरसे पूर्वकी लिखी हुई ५३ वर्षकी 'जंत्री ख़ास और उसमें उल्लिखित कुछ पुरानी बातें . [सम्पादकीय ] 3==8 x==8 जसे कोई दो वर्ष पहले, जब हुई घटनाके अनुसार ता. २ जून सन् १८४४ को हुमा R R मुदिन जंत्रियों ( उद्-फारसीकी है। भापके स्वर्गारोहयके बादसे यह जंत्री भापके पंचा-पोथियों) नहीं मिलती थीं- पुत्रों द्वारा लिखी गई है. परन्तु जीवनकाल में भी उनमेंसे भाजकी तरह उन्हें छपाकर प्रचारित किसीन किसीका यथावश्यकता लिखने में कुछ हाय जरूर रहा x ==x 1 करने और सर्वसाधारणके लिये है, ऐसा घटनामोंके उल्लेखपरसे जाना जाता है। इस जंत्री सुलभ बनाने के माधन नहीं थे, तब के अन्तमें एक जंत्री १८५४ के मालकी जिक्दके साथ बंधी लोग पत्रों (संस्कृत पञ्चागों) की तरह है जो लैथूकी (मसाले के पत्थरकी) छपी हुई। और इस उन्हें भी अपने हाथसे लिखा करते अथवा वातको सूचित करती है कि सन् १८५४ में लैथूकी छपी लिखा कर अपने पास रखा करते थे। इन जंत्रियों में मन. जंत्रियों प्रचार में भागई यीं और उन्होंने हायसे लिखमेकी संवतके अलावा प्राय: १ हर महीने के दिन, २ अंग्रेजी जर है जरूरतको हटा दिया अथवा कम कर दिया था। प्रस्तु । तारीख, ३ हिजरी तारीख, ४ फसली तारीख, ५ हिन्दी ____ यह जंत्री कारसी जबान और फारसी-सद् लिपिमें तिथि-मय घदी-पन, ६ दिनमानके घनी पल, ७ नक्षत्र लिखी हुई-कहीं कहीं उ'जबानका भी कुछ प्रयोग नाम-मप घडी-पन, . जोगन म मय घी-पन और है, परन्तु वह बहुत ही कम नगण्यसा है। इसके खाने कैफियत इतनी बात रहती थी । कैफियतके खाने में तथा कैफियतमें और कहीं कहीं हाशियेपर भी तत्कार हाशियेपर उस दिन होनेवाली किसी खास घटनाका उल्लेख घटनाओंका सक्लेख है. जैसे खास ख़ास व्यक्तियोंका जम्मकिया जाता था और इस तरह अपने उपयोगके लिये एक मरण, विवाह-शादी, तीर्थयात्रा, गमनागमन, पूजा-प्रतिष्ठा, प्रकारकी डायरी के रूपमें प्रधान प्रधान घटनामों का रिकार्ड मेला-उत्सव, हाकिमों मादिकी तब्दीली तकरी (नियुक्ति) रखा जाता था। यह रिकाड प्रामाणिकता और इतिहास आल हदगी धादि, सरकारीभार्डरों (पर्वानों) तथा कानूनोंग • कीटसे बड़े महत्वकी चीज होता या।। अवतार, किमी किसी मुकदमेका समाचार, लूटमार, भूकम्प, कुछ हुमा मुझे ऐसी ही एक हस्तलिखित जंत्री वर्षा, बीमारी, युद्ध, त्यौहार, मगुन ( मुहुर्त । और गहने गदर सन् १८५७ से पहलेकी लिखी हुई उपलब्ध हुई थी, मादिके भाव वगैरह वगैरह । भीर ये घटनाएं अकेले कस्वे जिसका नाम है 'जंत्री स्वाम'। यह जंत्री 1 जनवरी सन् मरसावेमे ही सम्बन्ध नहीं रखती बल्कि भाम-पासके 1:01 से ३१ दिसम्बर सन् १९५१ तक १३ वर्षकी जंत्री देहातो, चिलकाना, सुखतामपुर, नकुड, रामपुर, अम्बहटा, है, हाथके बने हुए पपछे देशी कागजपर बड़े साइजमें नानाता.हरबार,मसूरा, जवारा,बाडया, जगाधरी, सध प्रतिपृष्ठ एक महीने के हिसाबसे लिखी गई और इसे मेरे कस्बों सहारनपुर, देहरादून मुजफ्फरनगर, मेरठ, अम्बाबा, प्रपितामह (पदबावा) प लहराय । दोराय जी लाहार और कलकत्ता जैसे शहरोसे भी सम्बन्ध रखती हैं। कान गोने लिखना प्रारम्भ किया था, जो बा. जोरावरसिंह १ ला० दूलहरायजीके पाँच पुत्र थे-फतहचंद, धर्मदास, जो रिंगिंग दर कानूगोके पुत्र तथा सा. बालजीमल गोपालराय, नारायणदास और हरध्यानसिंह, जिनमेंसे ला. साहब कानू गोके पौत्र थे और जिनका स्वर्गवास मंत्री में दी धर्मदासजी इन पंक्तियोके लेखकके सगे बाबा थे।
SR No.538008
Book TitleAnekant 1946 Book 08 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1946
Total Pages513
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size68 MB
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