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है.हीसे वीरसेवामन्दिरसे राजगिरि, राजगिरिसेकसकसा तककी बलि हासे यह इस रूपमें सपा हो सका।
गये हैं, कलकत्ताकीसारी मशीनरीके वे ही एक मूविंगऍजिन प्रतः इसके लिये बाब छोटेलालजी जैसे मूक सेवकका (Moving Engine) रहे हैं और उन्हींकी योजनाओं जितना भी भाभार माना जाय और उन्हें जितमा भी महीनों के अनथक परिश्रमों, व्यक्तिगत प्रभावों तथा स्वास्थ्य धन्यवाद दिया जाय वह सब थोड़ा।
वीरसेवामन्दिरके नये प्रकाशन
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१ आचार्य प्रभाचन्द्रका तत्वार्थसूत्र-जया प्रास ३ अध्यात्म-कमल-माण्ड-यह पंचाध्यायी तथा संक्षिप्त सूत्र, मुख्तार श्री जुगलकिशोरकी सानुवाद व्याख्या नाटीसंहिता भादि ग्रन्थोंके कर्ता कविवर राजमझकी भपूर्व और प्रस्तावना सहित।
रमाइममें मध्यात्मसमरको क्रमे बन्द किया गया
है। साथमें भ्यायाचार्य पं. दरबारीलाल कोठिया और पं. २ सत्साधु-स्मरगा-मंगलपाठ-मुख्तार श्री जुगलकिशोरकी अनेक प्राचीन पोंको लेकर मईयोजना, सुन्दर
परमानन्द शास्त्रीका सुन्दर अनुवाद विस्तृत विषयसूची
तथा मुख्तार श्री जुगलकिशोरकी महत्वपूर्ण प्रस्तावना है। हरायमाही अनुवादादि सहित । इसमें श्रीवीर वर्द्धमान और
बड़ा ही उपयोगी ग्रन्थ है। उनके बादके जिनसेमाचार्य पर्यन्त, २. महान् प्राचार्योंके भनेको भाचार्यों तथा विद्वानों द्वारा किये गये महलके पुण्य ४ हमास्त्रामिश्रावकाचार-परीक्षा-मुल्तार श्रीजुगलस्मरणोंका संग्रह है और शुरुमें । लोकमंगलकामना, किशोरजीकी ग्रन्थपरीक्षामोंका प्रथम अंश, ग्रन्थपरीचाओंके २ नित्यकी भारमप्रार्थना, ३ साधुवेषनिदर्शक जिलस्तुति, इतिहासको लिये हुए १४ पेजकी नई प्रस्तावना . पामसाधुमुखमुद्रा और ५ मामाधुवन्दन नामके पांच सहित। मूल्य ।) प्रकरण है। पुस्तक पढ़ते समय बरे ही सुन्दर पवित्र विचार उत्पन्न होते है और साथ ही प्राचार्योंका कितना ही
प्रकाशन विभाग इतिहास सामने प्राजाता है। नित्यपाठ करने योग्य है भू.)
वीरसेवान्दिर, मरसावा (सहारनपुर) वीरसेवामन्दिरको महायता गत किरगामें प्रकाशित सहायताके बाद वीरसेवा-मन्दिर को भनेकान्त सहायता और अन्यत्र प्रकाशित बाबू नन्दलाल जी कलकत्ताकी सहायताके अलावा जो दूसरी फुटकर सहायता प्राप्त हुई है वह इस प्रकार है, और इसके लिये दातार महोदय धम्यवादके पात्र है...1)दानवीर साहू शान्तिप्रसादजी जैन सबमिया
नगर (पूर्व स्वीकृत दस हजार रु. की सहायता
के मध्ये)। २) श्रीमती चम्मावाईजी धर्मपत्नी स्व. बाब हेमचन्द
जी मोदी, (पुत्रवध पं. नाथूरामजी प्रेमी) बम्बई। श्रीमती धर्मपत्नी मायालालजी जैन, सम्मागेट, परंगख (निजाम स्टेट) सायडेरीमें ग्रन्धके लिये।
अधिष्ठाता 'वीरसेवामन्दिर'
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If not delivered please return to;-- VIR SEWA MANDIR. SARSAWA. (SAHARANPUR)