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बाबू छोटेलालजी बीमार !
पाठकोको यह जानकर दुःख होगा कि कलकत्ता वीर-शासन-महोत्सवके प्राण बाबू छोटेलालजी महोत्सवकी समाप्ति के अनन्तर ही ता०५ नवम्बरसे बीमार चल रहे हैं-महीनों के दिनरातके अनथक परिश्रमने उनके स्वास्थ्यको भारी धक्का पहुँचाया है। उन्हें पहले इन्फ्लुएंजा हुश्रा, फिर मियादी ज्वर (टाई. फ्राइड फीवर)। ज्वरके न जाने पर छातीका ऐक्स रे लिया गया, उससे मालूम हुआ मुरिसिसकी बीमारी है जो पीछे बढ़कर थाइसिस हो जा सकती है। अतः उनको अब मद्रासके पास मदनपल्जीके T. B. Sanatorium में जाना पड़ेगा, जहां उनके लिये अलग स्थानका निर्माण किया जा रहा है और वहां उनको ५-६ महीने रहना होगा। वे संभवतः २२.या २३ दिसम्बर तक वहांके लिये कलकत्तासे रवाना हो जाएँगे, ऐसा उनके १५ दिसम्बरके पत्रसे ज्ञात हो रहा है। आपकी इस बीमारीके कारगा कलकत्तामे जिस महती संस्थाकी नींव पड़ी है उसके कार्यमे कोई प्रगति नहीं हो सकी । इस संबंध में या छोटेलालजीके पत्रके निम्न शब्द हृदयमें बड़ी ही वेदना उत्पन्न करते है-"चन्दा जितना हुआ था-अन्दाज पौने चार लाखका-उतना ही है। मेरे बीमार होजाने के कारण जो कार्य जितना जहां था वहां ही है और मेरी ऐसी हालतमें अव ५-६ मास कुछ होना संभव नहीं है। इस बीच में समाज का रुपया अन्य कार्यो में उठ जायगा
और मेरी १० लाखकी स्कीम यों ही रह जाती जान पड़ती है ! जैन समाजका भाग्य ही ऐसा हे । या तो पच्छे कार्यकर्ताओंका महयोग नहीं मिलता, या कोई आगे पाता है तो धन्दरोजमे जीवन समाप्त हो जाता है-या कुछ प्रत कर कार्य जहांक तहां ही रह जाते हैं। मैं बीमार न होता तो तुरन्त यहां पाँच लाख हो जाते और वाकी पांच लाख दौरा करके ले आता । भगवानकी मर्जी ! कृपा रक्खें।"
माशा है समाज बायु० छोटेलालजीकी शीघ्र नीरोगताके लिये अविरल भावना भाएगा और उन्हें उनकी स्कीम के विषय मे जग भी निराश न होने देगा।
-जुगलकिशोर मुख्तार
पाठक नोट करलें। भब भी कुछ बन्धु 'भनेकान्त' सम्बन्धी पत्रव्यवहार मेरे पतसं करते रहते है जिससे उन्हें उत्तर भादि मिलने में व्यर्थ की प्रतीक्षा करनी पड़ती है। मै व्यवस्थापकत्वक भारसे मुक्त हो चुका हैं । अतः अनेकान्तके सम्बन्धमें मारा पत्रव्यवहार उसके मम्पादक श्री पं० जुगलकिशोरजी गुख्तार या मैनेजर 'भनेकान्त' बीरसेबामन्दिर मरसावाके पते पर करना चाहिये। -कोशलप्रसाद जैन, सहारनपुर ।
मावश्यकता
बीरमेवामन्दिर को दो तीन अच्छे मेवाभावी विद्वानों की आवश्यक्ता है । जो सजन भाना चाहे उन्हें अपनी योग्यता और कृतकार्यादिके परिचय-सहित नीचे लिखे पते पर शीघ्र पत्र व्यवहार करना चाहिये। बेतन बोग्यतानुसार ।
भधिष्ठाता 'बीरसेवामन्दिर'
सरमाया मिला महारनपुर