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बनेकान्त
मम्पादक-जुगलकिशोर मुख्तार
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श्रीमान बाब नन्दलालजी जैन कलकत्ताकी
वीरसेवामन्दिरको सहायता
श्रीमान बाष नन्दलालजी जैन. मपुत्र मंठ गमजीवनजी मगवी, कलकत्ताक एक प्रमग्य व्यापारी हैं और बही ही सरल प्रकृति, धार्मिक वृति तथा मौम्य म्वभावके मजन । श्राप वाग्मवामन्दिर में बड़ा प्रेम रखते है, उसके 'आजीवन सदस्य हैं और ममय ममयपर उम महायता देने तथा दिलाते रहते हैं। हालमें वीरशासन-महोत्मवके अवसर पर आपन वाग्मत्रामन्दिरको अपनी ओरम २०००) और अपनी पुत्री म्वर्गीया ताराबाई की भोरस १०००) इम नरह तीन हजार की मगना प्रान कोर. जिमक लिये आपको हार्दिक धन्यवाद है।
अधिष्ठामा 'योग्मेवा-मन्दिर'
विषय-मची
यावश्यक निवेदन , मिड-स्मरण
पिछले वर्ष न ममीन अपनी माग्मे अनेक . जैनधर्मकी चार विशेषताएं
लायरियों, अजैन सस्थानी तथा विद्वानोको अगवान ४ समन्तभद्रका एक और परिचय-पत्र ३ माहिन्य-परिचय और समालोचन
फ्री भिजवाया है उनमे निवनवैम वर्ष भी २ या एनकाण्डके का स्वामी समन्तभद्र ही हैं। अपनी महायता भेजकर उन्ह अपवा तमगेको क्री ५ रनकरण श्रा. और प्राप्तमीमांमाका कर्तृव ३. भिजवानेकी कृपा कर । १४) रुपयमे ४ को फ्रा भंगा
मानव मस्कृतिक इतिहास में म. महावीरकी देन ३५ जा सकता। ८ कलकत्तामे वीरशासनका सकस महोसव
व्यवस्थापक 'अनेकान्न'
वर्य
किरमा
अक्तृबर-नवम्बर १६४४