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वीर-शासन-महोत्सव
(२५०० वर्षकी ममाप्तिके उपलक्षमे) ता०३१ अक्टोबरम नवम्बर १९४४ को कलकत्ता में मनाया जायगा। भगवान महावीरका जीवन समारके उन इने गिने जीवन-मोमेमे है जिनकी दमकती हुई प्रकाश रेखाने भूलेभटके विश्वको सुपथपर लगाया था।
मीर देशनाके पूर्व संसारकी अवस्था नितान्त पतित हो गई थी। मामयोंका विवेक अपनी मानवता मूल प्रायः गुलाम हो चुका था। पुरोहितोंकी मनमानी प्राज्ञा पालन करना ही उनका धर्म हो गया था। उस समय धर्मकी दीपर दयाको तिलांजलि दे जितने प्राणियोंका बलिदान किया गया था उतना शायद विश्वके इतिहास में कभी भी न हुआ होगा। बलिवेदियों पर चहें निरीह प्राणियोंके छन्न-भिन्न हाड-मुण्डोंके संग्रहमे हिमालय जैमी गगनचुम्बी चोटियां चिनी जा सकती थीं और रक-प्रवाहम गंगा-यमुना-पी नदियां बहाई जा सकती थीं। पेस ही विश्वके उम बेवसी और कपीके दिनोमें वीर भगवानने मियाव और उम कर हिमामे बचने के लिये विश्वके मर्थ पाणियोंके हिनका नामम्देश मनाया जिमने अनाचारको दूर कर सर्वोदयनीर्थकी धारा प्रवाहित की।
उमी पुण्यमयी श्रीवीरशासन-जयन्तीके २४०० वर्ष अब पूर्ण हुप है श्रतएवं श्रागामी कार्तिक पूर्णिमा भार्गशीर्ष कृष्णा ४ तक कल कनेमें वह लोकहितकर वीर शासन-महोम्मव मनाया जायगा।
इम महोम्मन पर देशके विभिन्न प्रानाम अनेक विद्वान, श्रीमान और न्यागजिन पधारेंगे। यहाँ जनतर प्रपित विद्वान और गण्यमान महानुभायोंकी भी निमंत्रित किया गया है।
इस धर्मवक महामवकी महानता और अपूर्वता पर ध्यान देने हुए हमाग फर्कव्य है कि जैन धर्मका यथार्थ नभावना करने में हम कोई प्रयन्न उठा न सम्बं ।
विक्रम संवतके मात्र .... वर्षोकी समाप्तिके उपलक्षम "नियहवालदी उम" गायो कपया व्यय कर विजन पमधाममे मनाया गया है.तो फिर क्या जैनोंका यह क्नंन्य नहीं कि ने श्री वीर प्रभु पनि कमजना और प्रांतरिक श्रन्न।महित मंसारके समक्ष पुनः वीर प्रभुका सन्देश सर्वव्यापक करने के लिये विक्रम उन्मवम भी महान प्रायोजन करें । ममा नैनयन्धुपे निवेदन है कि वे श्रीवीरशासन-महोत्सव-स्वागतमिनिके मदम्य बमें श्रीर महोग्यमको मन मन, नये यफन बनाये । इस संबन्धमे विशेष जानकारी के लिये निम्नलिखित पनेपर रिगान को और सभामद फार्म भार भने। ___ याद राव अाने जीवनकाल में पह उस पवित्र दिवस २४०० वर्षकी पूर्णताका शुभ अवसर प्राप्त हना है जिस दिवम भगवान वीर प्रभुने संसारके मोहान्धकार तथा पापाचारोंका नाश कर संपार में शान्ति स्थापन कर जैन धर्मको पुन हद बनाया था। अतएव जैनी होनेके नाते अपना कर्तव्य पालन करना न भूले।
समाचारपत्रों में पढ़ा होगा कि अमेरिकाके क्रिस्टान पादरी भारत में अपने धर्मप्रचारके लिये नाग्य पुस्तकालय स्थापित करनेका आयोजन कर रहे हैं, तो क्या हम अपने इतने प्राचीन और लोकहितकर पवित्र धर्ममे समारको वंचित रखें,
छोटेलाल जैन विनीत- बलदेवदाम मरावगी मंत्री-वीरशामन-महोत्सव निर्मलकुमार जैन (भाग)
स्वागत समिति शांतिप्रमाद जैन (डा. नगर) ५२, बासर चिसपुर रोड, गजराज गंगवाल कलकचा
मोहनलाल लमेच
nodelivere please rem... VEER SEWA MANDIR,
SARSAWA. (SAHARANPUR)
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