________________
हमारी शिक्षा-समस्या (लेखक-बा० प्रभुलाल प्रेमी' पाहरी)
आजके भारत में प्राचीन गुरुता, महानता, गौरवता और इहलौकिक और पारलौकिक कल्याण होसके। यही कारण सुग्बमम्पचता लाने के लिये अनेक समस्याको सुलझाना था कि उस समय मनुष्योकी कौन कहे, देवगण भी पखेगा। उनमें सबसे प्रमुख समस्या जिस, 'एके माधे सब भारतमे जन्म धारण करने के लिये सदैव लालायित रहते थे। सधे कह सकते है वह शिक्षा-समस्या ही सर्व प्रथम इस विषयमे निम्न वाक्य भूखने योग्य नहीं है। हमे सच्ची शिक्षाका परिभाषिक ज्ञान होना आवश्क है।
"गार्यान्त देवाः किल गीतकानि शिक्षा--जिसके द्वारा बालकके शरीर मन और प्रामा
धन्यान्तु ये भारतभूमिभागे। का अधिक सुन्दर सुखद और उल्लासमय विकाम ही उमे
स्वगांपवर्गस्य च हेतुभूने; हम शिक्षा कह मकते हैं। सरवी शिक्षा वही है जिस
भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वान ॥ पाकर मनुष्य अपने शरीर, मन और आमाके उत्तम
प्रोफेसर हेरिन्मने भारत सम्बन्ध में अपनी विचारधारा गुणोंका पर्वाङ्गीण विकास कर सके और उन्हें प्रकाशम इस प्रकार प्रकट की हैजायके। शिक्षा यांत्रिक वस्तु नहीं है। किमीको यंत्रकी तरह "India is the source which not only पढ़ा लिखाकर उस सच्चे प्रोंमे शिक्षित नहीं बना सकते। the rest of Asia but the whole western शिक्षाका अर्थ है समाजकी कटीली डालांके कांटोंको world derived their knowledge and छीलछान कर निकना बना देना, अनुचित तथा हानिकारक their religion" पर्दायोंको समाजसे बीन २ कर निकालना, स्नेहका अर्थात--भारतग्वइ वह उद्गम स्थान है, जहोंमे म बीज बोना, विश्वबन्धुन्धकी वेन मीचना, मानमिक कंवल सम्पूर्ण एशियाने ही, अपि तुमचे पाश्चात्य निजताको तिनाजलि देना, माहमिकता तथा धीरताको संमारने ज्ञान तथा धर्मका पाठ सीखा।" । अमर बनाना और मनुप्यकं हृदयको जागृत करके उमे
पाश्चान्य-मभ्यताभिमानी प्रोफेसर मम्ममूलरने भारत मानवममाजका एक उपयोगी अग बनाना । यही वास्तविक की विद्या और वैभवका क्या ही अनूठं शब्दाम वर्णन शिक्षाका कर्तव्य है। जो शिक्षा केवल दूमरों के ऊपर बोझ कियाहोनवाले अकर्मण्य प्रादमी पैदा करती है, चाहे वे अमीर
"It I were to look over the whole हों या गरीब, सब तरहसे बुरी है। ऐसी शिक्षा समाजको
world to find out country most richlyकाम करने और पैदा करनेकी शकिको ही हानि नहीं
endowed with all the wealth, power पहुंचाती बलिक लोगोंमें एक भयंकर अनैतिक मनोवृत्ति
and beauty that nature bestowed in पैदा करती है।
some parts-a very paradise on earth, प्राचीन गौरव-प्राचीन भारत उमति-सुमेह कहा I should point to India. It I were जाता था, उसका कारण केवल यही है कि उस समय asked undel what sky the human यहां वास्तविकशिक्षाकी कमीन थी। शिक्षाधिकारियों की ही mind has most fully developed on the शिक्षा देनेका अधिकार या । गुरुकुलोंमें गुरु शिस्यों को अपने greastest problems of life, and found निमिपादों द्वारा ऐसी शिक्षा देते थे जिससे उनका solution of some at them which will