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अनेकान्त
वर्ष ६
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उससे भी पूर्वका काल शुद्ध प्रागैतिहासिक ( Pre• टन प्रादि पाश्चात्य विद्वानोंने किया था और उनका अनु. historic) है और इतिहासकी परिधिके बाहिर है। करण भारतीय विद्वान भाज तक करते भारहे हैं। शुद्ध ऐतिहासिक कालके भी तीन विभाग किये जाते हैं- किन्तु २० वीं शताब्दीके विकसित ज्ञान, बढ़े हुए
(6) प्राचीन युग, जिसका वर्णन बौद्ध-हिन्दुयुग, अध्ययन तथा नवीन खोगोंक प्राधारपर इस ढांचेमें बहुत अथवा केवल बौन्डयुग करके भी किया जाता है। यह युग कुछ हेर फेर हुमा है। प्रागैतिहासिक कालके विशेषज्ञोंका नियमित इतिहासके प्रारम्भ कालसे लगा कर मुसलमानों मत है कि भारतवर्ष में मनुष्यका अस्तित्व अन्य देशों द्वारा भारत विजय तक चलता है. सन् की १२ वी अपेक्षा सबसे पहिलेसे पाया जाता है। पार्यों भारत शताब्दी तक)।
प्रवेशसे पूर्व कमसे कम एक इजार वर्ष पूर्व-द्राविड जाति (२) मध्य युग-जिसे मुस्लिम युग भी कहते हैं, पड़ोसी देशोपे आकर इस देशमें बसी थी और द्राविड़ोंके प्राचीन युगकी समाप्तिसे प्रारम्भ होकर अगरेजों की भारत मानेसे भी पहिले मानव, यश, अक्ष. नाग, विद्याधर भादि विजय तक चलता है (१८वीं शताब्दीके मध्य तक)। मनुष्य-जातियां इस देशमें बसी हुई थीं। उनकी मत
(३) पर्वाचीन युग अथवा भांग्लयुग मारेजोंकी नागरिक सभ्यता तथा सुविकसित धार्मिक विचारोंके भारत विजयके साथ प्रारंभ होता है।
निर्देश हरप्पा, महेन्जोदडो प्रभृति पुरातत्व तथा प्राचीन साधारणतया, भारतीय इतिहासकी पाठ्य पुस्तकोमें भारतीय अनुश्रुतिमें पर्याप्त मिलते हैं। सर्व प्रथम प्रागैतिहासिक कालीन पूर्व पाषाण युग, उत्तर ईस्वी पूर्व तीनसे चार हजार वर्षों के बीच आर्य लोगों पाषाणयुग, ताम्रयुग, लोहयुग, द्राविड जातिका भारत ने पश्चिमोत्तर प्रान्तोंसे भारतमें प्रवेश किया। यहां बसनेके प्रवेश तथा उमको सभ्यता, भार्योंका भारतप्रवेश और लगभग एक हजार वर्ष बाद वेदोंकी रचना की, उसके कुछ वैदिक सभ्यता प्रादिका अति संक्षिप्त वर्णन करनेके उप- समय बाद रामायण वर्णित घटनायें घटी, और सन् ईस्वी रान्त रामायण तथा महाभारतके आधार पर कल्पित पूर्व १५०० के नगभग प्रसिद्ध महाभारत युद्ध हुना। यह पौराणिक युग अथवा 'महाकाव्य-काल' (Epic Age) युद्ध वैदिक सभ्यता और वैदिक आर्य-राज्यसत्ताओंके हाम का वर्णन होता है। और उसके ठीक बाद भारतवर्षके का सूचक था। नियमित इतिहासका प्रारंभ बौद्धयुगके साथ २ कर दिया भारतवर्षके नियमित इतिहासका, उसके प्राचीन युग जाता है। महात्मा बुद्धके समयकी राजनैतिक तथा सामा- का वास्तविक प्रारंभ महाभारत युद्धके उपरान्त हो जाता जिक परिस्थिति, उनका जीवन-चरित्र, उपदेश और प्रभाव है। युधिष्ठरके वंशजोंका इतिहास, उत्तर वैदिक साहित्य मगध साम्राज्यका उत्कर्ष, सिकार महान्का आक्रमण, का निर्माण, ब्रह्मवादी जनोंकी उपनिषद विचारधारा, सम्राट अशोकके द्वारा बौधर्मप्रचार, मगधराज्यकी भव. सोलह महजन पर्दोका उदय और परस्पर द्वन्द, अन्तमें नति, शुज कन्व तथा गुप्त राजाँके शासनकाल में आंशिक मगधकी विजय हमें बुद्ध जन्मके समय तक पहुँचा देती ब्राह्मणपुनरुद्धार और शक हूण पाक्रान्ताओंका वृतान्त देते है। इससे मागेका इतिहास पूर्ववत् चलता है। हुएई. सन् की ७वीं शताब्दीमें बौद्ध राजा हर्षवर्धनके इस प्रकार स्वी पूर्व १४०० से सन् 'स्वी १२०० साथ बौद्धयुग (Bubdhistic Period) की समाप्ति तकका लगभग २६०० वर्षका लम्बा काल भारतीय इतिहो जाती है। तदुपरान्त राजपूत राज्योंका उदय तथा हासका प्राचीन युग माना जाता है। अनेक विद्वान इसके संक्षिप्त इतिवृत्त बतलाते हुए १२ वीं शताब्दीके अन्तमें प्रादिके ८०.व अन्तके १०० वर्षोंको प्रधानतया हिन्दु मुहम्मद गौरी द्वारा भारत विजयके साथ साथ भारतीय तथा बीचके लगभग चौदह सौ वर्षाको प्रधानतया बौद्धइतिहासका प्राचीन युग समाप्त होजाता है।
I Pre-Historia India P. C Mitra, P. 106. भारतवर्षके अधिकांश इतिहास-प्रन्योंका यही ढांचा,
1 2 Pargitor- inci e t Indian Historical tradiहै। इसका श्रीगणेश ११वीं शताब्दी प्रारंभमें एनफिम्स- tion: Dr. K. P.Jayaswal, I handarkar &c.