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________________ किरण ५] सम्मान-महोत्सवका देशव्यापी स्वागत २०७ श्री पं० कृष्णचन्द्रजी दर्शनाचार्य, पंचकूला- श्री पं० कैलाशचन्द्रजी शास्त्री, बनारस महामान्य श्री जुगलकिशोरजी वस्तुतः जैन समाजके मुख्तार साहबका त्याग और कार्य दोनों अभिनन्दनीय सर्वस्व त्यागी मेवक हैं। उनकी कोटिके मानव दुर्लभ ही है। जैनसाहित्य और इतिहास के लिये उनका कार्य सदा हैं। उनकी 'मेरी भावना' अकेली रचनाने ही जाने कितनो मार्गदर्शक बना रहेगा। विस्तृत साहित्यके उद्धारक और को ऊंचा उठाया है। मेरी दार्दिक भक्ति और श्रद्धाके समीक्षक मुहारजी अनेक दशक तक हमारे बीच में रहें। पुष्प अर्पित है। श्री पं० बालचन्दजी शास्त्री, अमरावती-- श्री पं० मक्खनलालजी, मथुरा-- मुख्तार साहबका अब तक का सारा जीवन जैन साहित्य __ माननीय मुख्तार माहवका कार्य समाजके लिये पादरीय के उद्धार, निहासकी शोध एवं समाज सुधारणामबीबीता है। उत्सवकी सफलता चाहता हूं। है। आप एक कुशल और प्रामाणिक लेखक हैं। श्रापका श्री पं० पन्नालाल जैन साहित्याचार्य, सागर सम्मान समारोह अन्य माधकोके सम्मानार्थ मार्गप्रदर्शनका मुख्तार माहरके कार्य और कठिन तपस्पाके प्रति मैं काम करेगा, यह श्राशा है। चिर श्रद्धारनन हूँ । समाराह सफन हो। श्री पं० वंशीधरजी व्याकरणाचा, बीनाश्री पं० महेन्द्रकुमारजी न्यायाचाये, खुरई मुख्तार माहबका जीवन सननाध्यमायी महापुरुषका मुहार साहबकी साहित्य सेवा अवर्णनीय है उनके जीवन है। उनकी लेखनी गम्भीर विवेचनापूर्ण है। उन्होने प्रत्येक क्षणका अर्थ साहित्य सेवा है। उन्होंने समाजसे कम समाज और साहित्यी टीस सेवा की। जैन इनिहायकी से कम लेकर उसके लिये अधिक से अधिक किया है । वे । सुसंस्कृत बनाने एवं जैनसजमें विचारकता उत्पन्न करनेका शनायु हो। काफी श्रे। आपका दिया जा सकता है। श्री पं० भगवत्स्वरूप जैन 'भगवत', ऐत्मादपुर श्री पं०वंशीधरजी जैन, इन्दीरमुख्तार साहयका जोड़ मुश्किलसे ही तलाश हो सकता मुख्तार साहब एक तत्वदर्शी, सद्दार्शनिक, सग्ल, शाल है । मेरी अटूट श्रद्धाके पुष्प समर्पित हैं । सन्नापती, अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी, सद्धर्मानुगगी, समीक्षक महानन्याक्त हैं। समाज इस नररत्लकी योजनाओम सहयोग श्री पं० राजेन्द्रकुमार 'कुमरेश' आयुर्वेदाचार्य, करेरा दे और वे दीर्घायु हो, यही प्रार्थना है। मुख्तार ताबका ऋण चुकाया नहीं जा सकता। एक दिन संसार उनका सम्मान करेगा। वे चिरायु हो। कार्यकत्रिों और संस्थानोंके उदगार श्री पं०गरचन्दजी नाहटा, बीकानेर मुख्तार साक्ष्यका कार्य महान .. दान अनुपम है. श्री सुमेरचन्दजी जैन, देहलीप्रयत्न उपादेय है, लगन सराहनीय है और सेवा अनुकरणीय इस शुभ अनुष्ठानके उपलक्ष्यमें मैं श्री मुख्तार साहब के है। वे दर्घायु हो। लिये मंगल कामना करता हूँ। श्री पं० के० भुजबली शास्त्री, आरा श्री वायूलालजी जैन, सभापति जैनसंवकमंडल,तिस्सा साहित्य महारथी मुख्तार साहब जैनममाजके सुविचक्षण मैं सेवक मंडल तिस्साकी ओरसे पंडितजीके प्रति समालोचक, गम्भीर लेखक, सुदक्ष सम्पादक और प्रामा श्रद्धांजलि अर्पण करता हूँ, और श्री वीरप्रभुसे प्रार्थना है णिक अन्वेषक है। उन्होंने भारत और विशेषत: सहारनपुर कि पंडितजी चिरायु हो। जिलेका गौरव बढ़ाया है। वे कर्तव्य परायणता, एकनिष्ठा जैन विद्याभवन, लाहौर और अदम्य अध्यवसायकी मूनि है। भावी साहित्यिकोंके शासन देवतासे प्रार्थना करते है कि श्री मुख्तार माय लिये इनका आदर्श जीवन अवश्य ही पथ प्रदर्शकका काम को दीर्घकाल तक हमारे मध्य रावकर जिनवाणीकी सेवा करेगा। करने का अवसर प्रदान करें।
SR No.538006
Book TitleAnekant 1944 Book 06 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1944
Total Pages436
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size28 MB
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