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अनेकान्त
[वर्ष ५
अन्तमें लिखा है-"आयुका कुछ भरोसा नहीं, इस लाया है, भद्रबाहनिमित्तशास्त्रके जोड़की एक भी कारण आज यह विचार हुआ कि (यह सब सूचना) दूमरी कृति कहीं देखने में नहीं आती ऐसा प्रतिपादन बतौर रिकार्ड के आपकी सेवामें भेजदें। इसके बाद किया है और लोकविजययंत्रके विषय में यह सूचित आपने अपनी उक्त भापावचनिकाको मेरे पास देखने किया है कि वह सरलतामे घर बैठे देश-विदेशमें होने के लिए भेजा है, भद्रबाहु-निमित्तशास्त्रके कुछ अध्या- वाले मुभिक्ष, दुर्भिक्ष, युद्ध, शान्ति, रोग, वर्षा, महेंयोंका अनुवाद भी भेजा है और 'लोकविजययत्र' गाई और महामारी आदिको प्रतिवर्ष पहले ही नामके प्राकृत-गाथाबद्ध ग्रन्थकी टीका भी मेजी है। जान लेनेका एक निराला ही ग्रन्थ है। इसके साथमें माथही जैन ज्योतिष-विपयक एक लेख भी प्रेपित एक बहुत बड़ा यत्र है जिसमें दिशा-विदिशाओं में किया है जिसमें अन्य बातांक अतिरिक्त जैनाचार्यों की स्थित देश-नगदिके नाम हैं और उनमें होनेवाले मान्यतानुमार चन्द्रमाको मन्दगामी और शनिको शुम अशुभको वाङ्कोंकी महायतास जाना जाता है। शीघ्रगामी सिद्ध किया है, जबकि अन्य ज्योतिर्विद् शाहाजीकी इच्छा है कि इस ग्रंथकी टीकाको एक साथ चन्द्रमाको शीघ्रगामी और शनिको मन्दगामी (शनैश्चर) और निमित्तशास्त्रके अनुवादको क्रमशः अनेकान्तमें बतलाते हैं । त्रैलोक्यप्रकाश. भद्रबाहुनिमित्तशास्त्र ार प्रकाशित किया जाय अथवा वीरसंबामन्दिरसे इनका लोकविजय यंत्र इन तीनों मूल ग्रथोंकी आपने बड़ी स्वतंत्रपमें प्रकाशन किया जाय । मै आपकी इस प्रशंमा लिम्बी है-त्रैलोक्यप्रकाशको जन ज्योतिए- मब शुभ भावना एवं मदिच्छाका अभिनन्दन विपयका और तेजी-मंदी जानने का अपर्व ग्रन्थ बन- करता हूँ।
जुगलकिशोर मुख्तार
पिछली फाइलें समाप्त अनेकान्तके द्वितीय और तृतीय वर्पकी फाइलें कभी की समाप्त हो चुकी हैं, उनके लिये कोई भी मजन आर्डर देनेका कष्ट न उठा । प्रथम वर्षकी ५-६ फाइल ही विक्री के लिये अवशिष्ट हैं, मूल्य ५) पोष्टेज ॥) अलग । शेप चतुर्थ और पंचम वर्ष की फाइलें अभी इच्छानुमार मिल सकती हैं, मूल्य वही ३) रु० पोटेज फ्री।
व्यवस्थापक 'अनेकान्त'
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