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________________ प्रश्नोत्तरी [लेखक-श्री बा० जयभगवान जैन, बी०ए० वकील 1 प्रश्न-आर्य कौन है? विकल्पोमे मौन धरने वाला है. मदा निष्काम उत्तर--नो श्राचार विचारमें श्रेष्ठ है, माहम और सहिष्णुता होकर बर्तने वाला है, जो अपना और दूसरोका में श्रेष्ठ है; जो जीवनको एक यज्ञ समझता है, उद्धार करने वाला है। अपने और दूसरोको सुखी जो सारी दुनियाको एक यज्ञ समझता है, जो बनाने वाला है। आत्मोकर्पके लिये दोषों की बलि देनेमे संकोच प्रश्न-मुसलमान कौन है ? नहीं करता, जो लोक उपकारक लिये स्वार्थीको उत्तर-जो अल्लाह की राकनामे ईमान ग्वता है, जो मब आहुति देनेमे ढील नही करता, जो प्राणो ओर अल्लाह ही अल्लाहको देखना है, जो सबको निछावर करके भी सदा विश्वहित के लिये अग्रसर अल्लाहमे ठग हया देखता है, सबको अल्लाहमे रहता है। ढका हुआ देखता है जो सबको अल्लाह के बन्दे प्रश्न-सनातन कौन है ? समझता है, जो सब हीके माथ भाईयो-जैमा उत्तर-जी जीवन और जगनके पुरुष और प्रकृति, ब्रह्म व्यवहार करता है, प्रेम और वात्सल्य का बर्ताव करता है। और मायारूा मनातन तत्त्वांका जानता है, जो प्रश्न-ईमाई कौन है ? मायामें फँसे ब्रह्म के सनातन विकास-मार्गको समझता है, जो अपनी श्रद्धाको शाधना हुआ, उत्तर-जो ईश्नरको प्रेम पूर्ण रिता समान जानता है, अपनेको ईश्वर का पत्र मानता है, लोकको शानको निर्विकल्प बना हुअा अाचारको विश्व ईश्वरका कुटम्ब समझता है । जो लोककी रक्षा व्यापि करता हुआ मदा अागेको बढ़ता रहता है, पालना करता हुश्रा अपने पिताके गौरवको बढाता जो आगे बढ़ता हुआ, मदा दुसराको बढ़ने के लिये है। जो सबके साथ मत्य का व्यवहार करना है। स्वतन्त्रता और सुभता देना हता है मुझाव और अपने दोषो की क्षमा मागता हुआ दूमर्गक दोषा सहयाग देता रहता है। को क्षमा करता है जो खुद किमीम बेर नहीं प्रश्न-जैन कौन है ? करता, जो अपने बैरियों से प्रेम करता है, विरोधियों उत्तर-जो "जिन"के समान यात्म-शत्रयांको जीतने वाला के लिये प्रार्थना करता है, गाली का जवाब है, राग द्वेष कषायोको जानने वाला है, इन्द्रिय श्राशीर्वादमे देना है, बुगई का बदला भलाईसे विषय-वासनाअोको जीतने वाला है, मन-वचन देता है। जो मन-सेवा को ईश-उआमना समझता काय योगोको वश करने वाला है, जो द्वन्द भरी है, जो दुनया के पाप धोने के लिये, लाकके दुःख दुनिया में निर्द्वन्द रहने वाला है, जा जड़ भरी दूर करने के लिये सदा अपनी कुरबानी देने को दुनिया में जागरुक रहने वाला है, जो पदगल भरी तय्यार रहता है। दुनियामे चैतन्यरूा रहने वाला है जो सब तथ्यों प्रश्न-मिक्ख कौन है? का समन्वय करने वाला है, मबको ज्ञान और उत्तर-जो सन्त परुषांका शिष्य है, मन्नोंकी संगतिमे श्रानन्द देने वाला है, सब अोर दया और अहिसा रहने वाला है, मन्नोंकी आज्ञाको मानने वाला है, फैलाने वाला है। सन के मार्ग पर चलने वाला है । सन्नों के समान प्रश्न-बौद्ध कौन है ? दुःख-सुखकी परवाह नहीं करता, लाभ अलाभकी उत्तर-जो 'बुद्ध' के समान सर्वव्यापी बोधि रग्बने वाला है. परवाह नहीं करता, निन्दा-स्तुति की परवाह नही जो चार आर्य सत्योम विश्वास रखने वाला है, करता। जो सदा लाक हितार्थ कामो के लिये उद्यत जो इच्छाओंको दुःखका मूल समझने वाला है, रहता है. लोक उद्धारके लिये सीस चढ़ानेको तय्यार जो इच्छाश्रीका निरोध करने वाला है; सब ही रहता है,
SR No.538005
Book TitleAnekant 1943 Book 05 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1943
Total Pages460
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size28 MB
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