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________________ ऐ० पन्नालाल दि० जैन-सरस्वतीभवनबम्बईके कुछ लि. ग्रंथोंकी सूची बम्बईका सरस्वतीभवन, जो सेठ सुखानन्दर्ज की धर्मशाला में स्थित है, आजसे कोई २० वर्ष पहिले ज्येष्ठशुक्ला पंचमी सं० १६७६ विक्रमको स्थापित हुआ था और उस वक्त से बगवर व्यवस्थितरूपसे चल रहा है। इसकी स्थापनामें ऐलक पन्नालालजीका खास हाथ रहा है, और इसलिये यह सरस्वतीभवन ऐलकजीके नामपर ही नामाङ्कित किया गया है। ऐसे ही सरस्वतीभवन अापने झालगपाटन तथा न्यावरमे भी स्थापित कराये है। अापने अनेक स्थानोपर धूम पिरकर पुरानी प्रतियाँ भी इन भवनोमे भिजवाई हैं, नई प्रतियाँ भी कराई है और जनताको आर्थिक सहयोगकी भी प्रेरणा की है। अतः जेनसाहित्यके संग्रह और सुरक्षा के विषयमे यह आपकी खास सेवा है, और जनसमाज इसके लिये आपका चिरऋणी रहेगा । इस भवनमे हस्तलिखित ग्रन्योका अच्छा मंग्रह है, जिसमे दिगम्बर, श्वेताम्बर तथा अजैन सभी प्रकार के ग्रन्थ शामिल हैं और उनके जुदा-जुदा सूची-रजिष्टर बने हुए हैं । हाल मे भवन के प्रधान कार्यकर्ता श्रीमान् पं. रामप्रसादजी शास्त्रीकी कृपा एवं सौजन्यसे मुझे दिगम्बर जैनग्रन्थोकी जो सूची प्राप्त हुई है और जिसके लिये मैं उनका बहुत अाभारी हूँ उससे मालूम होता है कि इस भवन में दिगम्बर जैनप्रन्योकी संख्या ११०० के करीब है, जिनमें ताइपत्रोंपर लिखे हुए ग्रन्थ तथा किसी किसी अन्यकी कई कई प्रतियों भी शामिल हैं। इस सूचीपर से यहाँ सिर्फ उन प्रन्थोंकी सूची पाटकोके सामने रक्खी जाती है जो गत वर्षके अनेकान्तमे प्रकाशित हुई दूसरे भण्डारोकी सूचियोंमें नहीं श्राए हैं, जिससे जैनसाहित्य के विषयमें पाठकोके ज्ञानकी उत्तरोत्तर वृद्धि होसके और उनमें नयेनये साहित्य के अवलोकन, उद्धार और प्रचारकी भावना बलवती हो उठे। __ -सम्पादक कम नं. ग्रन्थ-नाम ग्रन्थकार-नाम भाषा लिपिसंवत् श्ररुणमणि महाकवि रत्न कवि राजमल्ल जयसागर संस्कृत कन्नड़ संस्कृत गुजराती संस्कृत २४५३ शक १४६१ वी.नि. २४४६ UU २४६१ भ. शुभचन्द्र गुणचन्द्रदेव प्रभाचन्द्राचार्य अजितपुराण २८१ अजितपुगण १८७ अध्यात्मकमलमार्तण्ड ख० १२ अनिरुद्धहरण ८१० अन्तःकृतवृत्ति अम्बिकाकल्प ७७५ अमृतधर्मरास ર૬૭ अमोघवृत्तिन्यास ३२५ अर्थव्यंजन पर्यायनिरुपणा ८६८ अष्टसहस्रीपंजिका ६३८ अर्दत्सूत्रवृत्ति ३६६ अंजनापवनंजयनाटक श्रादित्यवार-उद्यापन ६०६ श्रादिपुराण (टिप्पण) श्रादिपुराण सटीक ६६८ श्रादीश्वरफाग ख. १५१ प्राप्तपरीक्षा भाषा ५१० श्रात्मसंबोधन ७.७ । अात्मसंबोधन २४४६ २४५. ૨૪૬૪ X X X लघुसमन्तभद्र कुन्दकुन्द (?) अहंददास केशवसेन प्रभाचन्द्राचार्य जिनसेन टी. ललितकीर्ति भ० शानभूषण श्रीलालपाटनी भ. ज्ञानभूषण | संस्कृत २४५३ २४६३ ८५६ हिन्दी १९२५ १५२६ १९८६ कवि रइधू प्राकृत अपभ्रंश
SR No.538005
Book TitleAnekant 1943 Book 05 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1943
Total Pages460
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size28 MB
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