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________________ किरण १] जग चिड़िया रैन बसेरा है शरीरको नश्वर और आत्माको अमर समझने वाला रहा है। जैनाचार्योंने किसी हालतमें भी हिंसाकी होता है। अपने ब्रतकी मर्यादाका उल्लंघन कर वह इजाजत, परवानगी, छूट, आदेश या आज्ञा नहीं दी अपनी शक्तिभर हिंसाका भाव-हिंसाका विचार अपने है। जो व्यक्ति जिस हालतमें जैसे परिणामोंसे हिंसा मनमें प्राने ही नहीं देता। . करेगा, वह हिंसाकं फलका भागी अवश्य होगा । 'शठेन शाठ्यम्' की नीति, गालीका जवाब गाली, हिंसा-कर्म किसी दशामें भी क्षम्य, ठीक, वाजिबो, थप्पड़का जवाब थप्पड़, लाठीका जवाबलाठी-यहजैन उचित या धर्मानकल नहीं समझा जा सकता। धर्मकी शिक्षा या जैनाचार्योंका सिद्धान्त कभी नहीं अजिताश्रम, लखनऊ। ता० १९-१०-४० जग चिड़िया रैन बसेरा है श्रो गाफिल ! सोच जरा मनमें, जग चिड़िया रैन बसेरा है। मानव ! तूने देखा, तन यह, मिट्टीका एक खिलौना है। तू विहँस रहा है देख जिस, कल देख उसे ही रोना है। उठ जाग, बाँध अपनी गठरी, होता जा रहा सवेरा है। श्रो गाफिल ! सोच जरा मनमें, जग चिड़िया-रैन-बसेरा है । जब आयेगा तूफान प्रबल, झड़ जायेंगे वैभव सारे । कुछ फिक्र करो निज जीवनकी, क्यों बनते जातं मतवाले ॥ सुनले, कुछ सोच समझ भी ले, इस जगमें कोइ न तेरा है। ओ गाफिल ! सोच जरा मनमें, जग चिड़िया-रैन-बसेरा है। मानव मानवको चूस रहा, जग चिल्लाता दाना दाना । यह भरा उदर वह कृशितकाय, अन्तर इसका क्या पहिचाना? सारी दुनिया मतलबकी अब, जो कुछ करले वह तेग है। ' आगाफिल ! सोच खरा मनमें, जग चिड़िया-रैन-बसंरा है ।। तेरे सब साथी चले गये, क्या सोच रहा अपने मनमें ? आना जाना है लगा सदा, कोई रह नहीं मका जगमें । तू भी अब जल्द सम्हल जा रे ! यह अल्प समयका डेग है। श्रो गाफिल ! सोच जरा मनमें, जग चिड़िया-रैन बसेरा है।। जो चला गया वह आवेगा, जो आया है वह जाना है। ओ भोले मानव ! सोच समझ, जग एक मुसाफिरखाना है। सुन ! देख देख मगमें पग रख, सारा जग यही लुटेरा है। ओ गाफिल ! सोच जरा मनमें, जग चिड़िया-रेन-बसेग है। यात्रा तेरी है महाकठिन, कण्टकाकीर्ण पथरीला मग । बाधायें, सिरपर नाच रहीं, मत खरो-बढ़ाते जाना पग ।। ऑधी आई तूफान प्रबल, होता जा रहा अँधेरा है। ओ गाफिल ! सोच जरा मनमें, जग चिड़िया-रैन-बसेरा है। (लेखक-हरीन्द्रभूषण जैन)
SR No.538004
Book TitleAnekant 1942 Book 04 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1942
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size73 MB
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