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________________ किरण] प्रतिमा-लेग्व-संग्रह और उसका महत्व शुक्र पर पंचम्बा निलकवान श्री मूल संधे सरस्वतीगण्छ सरस्वतीगछे बलाकारगणे भ० श्री विशालकीर्तिदेवास्तपढे बलाकारगले कुनकुनाचार्यान्वयं भ० श्री धर्मचन्द्रस्तपट्टे भ. पनकीर्तिगुरुपदेशात पारस संठ भार्या पसाई पुत्र मसेठ भ० धर्मभूषलस्तदाम्नाये महारक प्रजितकीनिपरेशात जैन भार्या रस्लाई पुत्र सक सेठ पने गममे भारी ज्ञातीय पलीवती शाति कमकांतुकमेटी चताह मेठी कुटुम्ब सहीसेना नित्यं परवार (दि. ३० म. नवगांव) प्रथमंति (1) (प्राचीन जै० म० गजापुर) (१७) शाके १६१५ श्री मूलसंधे...."संबरे चैत्र (१०) शाके १५७७ बैषाख सुदि । शुक्र मूलसंधे वदि । श्री कनकदाम्बये प्रतिष्ठितम काहासंधे। मरस्वती गच्छे बलात्कारग कुनकुन्दाम्बवे तत्पढ़े भट्टाएक __(दि. ० म० गलापुर) कुमुदचन्द्र तत्प? भधर्मचन्द्र नपढे भ० धर्मभूषणोपरेशान (५८) शाके १६६० श्रावण सुदि " मंगल धर्मचन्द्र मीन सेठ भा. चाणा तयोः पुत्राः संवरि संठ भा. रंगाई ... .... प्रतिष्टितं (जै० म० मापुर) नयो: पुत्राः सं० उकमेठ भार्या बापाई मं० नुक सेठ भार्या (५९) संवत १८२६ शाके १६१८ वैषाख बदि " रेवाई एतेषाम नित्यं प्रणमंति) पेनगणे श्री सिद्धसेन गुरूपरेशान (शैतवाल जै० म० कोहाली) (शैतवाल जेमं. भारवी) (११) शाके १५७१ वर्षे मार्गमिर सुदि १४ बुधे श्री __ (६०) शाके १७०४ श्री मूलमंधे (#० मं० सिंदी) मूलसंधे सरस्वतीगच्छे बलाकारगणे कुन्नकुन्दाचार्यान्वये भ. (६१) शाके १७०१ एलबंग मंचस्परे मार्गेश्वरमास शुक्र श्रीदेवेन्द्रकीर्तिदेवास्तापट्टे भ. कुमुवचन्द्रदेवास्तस्पट्टे भ. पक्ष तंचमे तिथौ शुक्रवामरे मूलमंधे सरस्वतीग, बलाकारधर्मचन्द्रदेवास्तत्प? भ० धर्मभूषणगुरुपदेशात् बघेरवाल गणं कुन्दकुन्दाचार्य श्री धर्मचन्द्र भ० धर्मोपार्श (पदेशान) ज्ञातीय हरसौ। गोत्रे सा• गुगामा तस्य भार्या चांगा बाई पता नंदीतटाम्नाय नेमीचन्द्रोपदेशात मंतवास श्रीवकस ग्योह पुत्राः पासमा तस्य भार्या चांगाई ऐने नित्यं प्रणमंति जा. बाणदरे श्री मम्मन मंघ प्रणमंनि पोडसकरण यंत्र)। चतुर्विशतिजिनविय (1) (जै० म० नांदगांव) (दि. जै० म० बालापुर) (१२) संवत् १७३४ वर्षे माग मूलमंघ स... देवेन्द्र (६२) संबन १८८४ बालापुर ग्रा०"मरस्वती मूर्ति । कीनिंगुरूपदेशान ज्ञातीय..."निस्पं प्रणमति () (दि. जै० म० बालापुर) (उपर्युक मंदिरमें) (५४) शाके १६०७ मार्ग सुदि १० भ० सोमसेनदेवा (६३) संवत् १ बालापुर ग्रामे मूल० म०० भ. मतुदविद्रकीर्ति स्वामी प्रतिहतं भावपद वा । (पद्मावनीमूर्ति) तत्प४ भ. जिनमेनगुरुपदेशात् गुजर पनीबान ज्ञातीय (दि . म. बालापुर) वापीसेन पुत्र नागजी भार्या......"निस्यं प्रथमंति पालीवालोली (६५) संवत् १६०२ माघ मासं शुमपर स्थावस्तु नाम (११) शाके १६०७ क्रोधनाम संवत्सरे....सुदि १० ,मत्सर म संवत्सरे मेरसी दीवसे भ. देवेन्द्रकीर्ति वादिसिंह स्तने गंगासा पुषे पुकराये सेनगवे अपमसेनान्वये भ. सोमसेनदेवा : बार प्रतिध करापितं (1) (पक्सीवाल जै० म०कोटाली) स्तम्प भ. जिनसेनगुपदेशात जासी ग्रामे भारज्ञासीय [बसकथित गंगामाकेशपर अभी कॉगसी में विद्यमान कमा नित्यं प्रयमंति (1) (पशीवास जे. मकोडांबी) कहा जाता जीवाम मंदिर भी मापने की निर्माण (५६) शाके १६०० वर्षे मार्गसिर सुर १० मूबसंधे कराया है।]
SR No.538004
Book TitleAnekant 1942 Book 04 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1942
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size73 MB
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