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भनेकान्त
[वर्ष
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(३६) संवत् १६३६ वर्षे फागुन वदि ७........ में श्री सा० सारडा पुत्र देवा नित्यं प्रणमंति (1) मूलसंधे सरस्वती गच्छे प्रभाचन्द्र......... श्री धर्मचन्द्र श्री
(प्राचीन जैन दि. मंदिर बालापुर) ललितकीति भ. चन्द्रकीति....
(४२) संवत् १६६५ वर्षे माघ सुदि १० शुक्रे श्री कष्ठा (जै० म० नांदगांव, अमरावती) संघे भ० श्री ५ भूषण प्रतिष्टितं वीर्यचारित्र यत्रं नित्यं (३७) संवत् १६४१ वर्षे फागुण वदि ७ बुधे श्रीमूल
प्रणमंति ()
(दि० जै० म० नांदगाव) संघेन....."सरस्वतीगच्छे श्री प्रभाचन्द्र......श्री धर्मचन्द्र
(४३) संवत् १६८१ व० फा० सु० २ वै० काटासंघे देवा श्री ललितकीर्ति भट्टारक श्री चन्द्रकीति....
भ० चन्द्रकीर्तिसंगपराग्यातिय स० सजण भा० सजणादे दिनांदगांव सु. ३ संवजी स.."स० श्रावृयेतत् कुटुम्ब पद्मावती नागर
गोत्रे प्रणमंति... (जै० म० बजारगांव नागपुर) (३८) संवत् १६५२ वर्षे माघ वदि ५ रवी श्रीमूलसंधे
(४४) संवत् १६११ विरोधी नाम संवत्सरे रवि....... सरस्वतीगच्छे बलाकारगणे श्री ककृदाचार्यान्वये भट्टारक श्री
(पद्मावतीदेवीके मस्तक पर पार्श्वनाथ भगवानकी मूर्ति अवकलकीर्तिदेवास्ताप? भ. श्री भुवनकीनिदेवास्तत्प?.....
स्थित है, मूर्ति बड़ी सुन्दर है)। नित्यं प्रयमंति (1) (दि. जैन मं० बालापुर)
(दि. जै० म० बजारवाला, मिंदी) (३६) संवत् १६५३ वर्षे बैसाख सुदि १ मूलसंधे
(४५) संवत १६१२ मिति ११ मूलसंघे श्री धर्मचन्दा बलास्कारगणे. भट्टारक पनाकीर्ति विद्याभूषण हेमकीर्ति
प्रति....
(उपर्युक्म मंदिरमें) पदेशात........(षोडस करण यंत्र)
(४६) संवत् १६६६ मूलसंधे बलात्कारगणे. (जैन दि० मंदिर सिंदी)
(मेरी डायरीस) (५०) संवत् १६६३ वर्षे वैसाख वदि चतुर्थि गुरौ श्री मूलसंधे सरस्वती ( गच्छे ) बलात्कारगण मौर्यान्वयं गुप्ति
(४७) शाके १५६१ सर्वत जेष्ठ लज्ञ सुधौ तिलक
कुर्यात श्री मूलसंघे बलाकारगणे सरस्वती गच्छे कुन्दकुन्दागुप्ताचार्य श्री भववाहू श्री जि-बद्धनाचार्य श्री भद्रबाहू जी
चार्यसन्ताने न्यवये भ. श्री भूषण तत्प भ. देवेन्द्रकीर्ति यशोभद्राचार्य कुन्दकुन्दाचार्य श्री उमाश्वाति देवा श्री पननंदिदेव श्री देवेन्द्रकीर्ति देव श्री विद्यानंदि देवा श्री मल्लिभूषण
तत्पट्टे भ. कुमुदचन्द्र तत्पढ़े भ. श्री धर्मचन्द्र तदाम्नाय
धर्माश्चार्य पासकीर्ति तदुपदेशात साहितवाल ज्ञातीय रनेक देव श्री लखमीचन्द्र देव अभयचन्द्र देव अभयनंदि देव श्री
सेठ..."पुत्र..."नित्य प्रणमंति (1) अभिनवरदेव श्री संघवी सुमितिसागरोपदेशात श्री.
(दि. जै० म० बालापुर) (बालापुर जैन मंदिर)
(४८) शाके १५७२ वर्षे मार्गशिर वदि - शुक्र श्री (४१) संवत् १६६४ वर्षे जेष्ठ वदि ३ सोमवासरे मोजा- मूलसंघे भी धर्मचन्द्र स्तपट्टे भ.धर्मभूषण गुरूपदेशात बाद मध्ये श्री मानिसंघ जी राज्ये श्री मूलसंघे भ० देवेन्द्र गांगरडा ज्ञातीय सं जेब सेठी (?) भा० पीलाई तयोः पुत्रा कीर्ति तमनाय श्री संडेल (खंडेल) वाल मयोशनान प्रतिष्ठा सं० (संश्वी) सक सेठ भा० मापाई सं० दस सेठ नेम सेठ कराई बाघर सादरि मध्ये पाटणी गोत्रे साह हूंगा तत्पुत्र एजे (ते) नित्यं प्रणमंति(।) (दि० जै० म० बालापुर) नेमा पु० मा० सदा तत पुत्र दामोदर त्रिपूरण...."मेवत (४) शाके १५७६ खरनाम संवत्सरे फालगुण मासे