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किरण]
प्रतिमा-लेख-संग्रह और उसका महत्व
गोकु [M] भ्राता मा. समपर भार्या जमना सुत पईदास मूर्ति है जो १२वीं शतानिकी होनी चाहिए ऐसा अनुमान एते सर्वे पद्मप्रभ नित्वं प्रवमति (मेरी हापरीसे) किया जाता है।)
(२४) संवत् १५४४ वर्षे वैसाख सुदि ३ सोमे श्रीमूख- (३०) संवत ११८६ फागुण सुद १०वीरा"प्रणमंति संघे महारक श्री विद्यानंदि भ. श्री भुवनकीर्ति भ. श्री
(मेरी डायरीमे) ज्ञानभूषण गुरूपदेशात हूं. सा. चांदा भा० रेमाई""भा० (३१) संवत् ११३७ श्री मूलसंधे सेनगणे भट्टारक मेनाइ सुत पचासी पूनसी भान जिनदास भा. माणिकाई मोममेन उपदेश कासवाडे संघवी वासवटी ज्ञातीय जईन पने नित्यं प्रणमंति
(मेरी डायरीमे) सरस्व......"वायमे.."पंच पर मंति प्रतिमा नित्यं प्रणमंति (२५) संवत १५४५ नेनसुख परमसुख परवार ।
(शैतवान जै० म० भारवी) (दि. जै० म० सिवनी) (३२) संवत ११. मूलसंधे ब्रह्म जिणदास जेवरा (२६) संवत १५४८ वर्षे वैसाग्व सुदि ३ श्रीमूलमंधे (?) ज्ञानीय समो० भार्था इतनाई पुत्री नित्यं प्रणमंति भठारक श्री राजेनचन्द्र देव जीवराज नित्यं प्रणमंति
(मेरी डायरीसे) (दि. ० मं० मिवनी)
(३३) संवत् १६०० वर्षे माष बदि सोमे श्री मूब " (२७) संवत १५६० साव सुदि २ बुधे श्रीमलसंघे संधे सरस्वनीगच्छे बलाकारगणे श्री कुंतकुंदचार्यन्वये भ. सरस्वतीगच्छे भट्टारक सकलकीर्तिस्त०म० भुवनकीर्ति स्त. डा० नंविदेवास्तपट्ट भट्टारक श्री देवेन्द्र भ. श्री मस्तिभ० ज्ञानभूषणस्त० भ० विजयकीर्ति गुरूपदेशात् है. जातीय भूषण देवास्तपट्टे भ० लक्ष्मीचन्द्र देवा तत्प? भ० वीर श्रेष्ठी सालिंग भार्या ताक म.पर्वत भा०ढमक द्वितीय चन्द्र देवाम्नापट्टे भ० ज्ञानभूषण पर ज्ञातीय भावजा भार्या पनाह भ्रातृ माइण सुन जिणदास भा. याजबाई एते भा० बाई नयो (:) पोमा सा० नित्यं प्रणमंति श्री शातिनाम निम्यं मोरेर प्रतिष्ठितं प्रादिनाथ चैत्यालय
(प्राचीन नि जै० म० बालापुर) (दि. जै० म० बालापुर भाकोला) (३४) संवत १६ माघ सुनि ६ मूलसंधे . श्री - (२८) संवत् १९६१ वर्षे चैत्र बनि ८ शुक्रे मूलसंधे हमारतपर्ट ब्रह्मा राजपासोपदेशात् पहातो जानः.... भ० ज्ञानभूषण म० भ० विजयकीर्ति स्त० भ० विजय कीर्ति भार्या जबाइ नन पुत्री बाई चांद प्रवमंति गुरूपदेशात् हकप महिला भार्या पतयोःसत भोमा भार्या
(नि.. मं. मांदगांव) जादीकि एत श्री धर्मनाथ तिर्थकर नित्यं प्रणमंति ___ (३५) संवत १६२२ वैवाश सुदि ३ मोमे श्री कमला- '
(मेरी डायरीमे) सार्यान्वये भट्टारक श्री सकसकीर्ति देवास्तपट्टे भट्टारक श्री __ (२१) संवत् ११७६ वर्षे जैनाम संवत्सरे मार्गशीर्ष सु० भुवनकीनि देवास्तस्पट्टे ज्ञानभूषण देवास्तस्पट्टे भट्टारक १० श्री मूलसंधे सरस्वतीगच्छे बलात्कारगणे श्री कुन्नकुन्द विजयकीर्ति देवास्तत्पदं शुभचन्द्रदेवास्ताप? भ० श्री चार्यान्वयेन श्री धर्मचन्द्रा भ० श्री धर्मभूषखोपदेशात नेवा सुमिनिकी निगुरुपरेशात होमा ज्ञातीय गां (गांधी) रामा ज्ञानीय महिया गोत्रे मागणसा सु.तुमा पते पोडश कारण मा. वीरा सु.गा. सांता भा० मरीचा सुगा० भरवास यंत्र नित्यं प्रणमंति
(मेरी डायरीमे) भा. सोभागदे माता वीरदाम भा. कमहादे" ....... नित्यं (यह प्रतिम महा अवस्थित वहां एक और प्राचीन प्रणमंति
(मेरी डायरी)