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भनेकान्त
[वर्ष ४
(१०) संवत् ११०५ वर्षे श्री मूलसंधै भट्टारक पनि नित्यं प्रणमति (सदी मूर्ति) (उपर्युक्त मंदिरमें) देवाः शिष्य देवेन्द्रकीर्ति तरिशष्याः विद्यानं दिशिष्य ब्रह्म- (१६) संवत् १५२२ सर्वरि नाम सं० मू० सं० बैसाख धर्मपाल उपदेशात् पल्लीवाल ज्ञातीब स० राना भार्या रानी सुदि १३ दिने कुन्द २ भ० धर्म भूषण श्री देवेन्द्र प्रणमंति सुत पारिस्वा० भा. हर्ष प्रणमंति...
(खड़ी मूर्नि)।
(उपर्युक मंदिरमें) (दि. जैन मंदिर सिंदी) (१७) संवत् ११२७ माघ बदि ५ श्रा मूलसंधे भ० (११) संवत् ११५ वर्षे मूलसंधे सेन गणे भ०माणिक __......."मिहकीर्ति नित्यं प्रणमंति (नांदवांग, अमरावती) सेन पट्टे भ० नेमसेन उपदेशात गुजर पालीवाल' "
(१८) संवत् १५३१ बैसाख सुदि १० हीरालाल त (परखीवाल जैन मंदिर कोडाली, नागपुर) " "भुवनकीर्ति ......."सौर " ...... सीतल जिन (नित्यं) (१२) संवत १९१७ वर्षे पोष वनि ५ रवौ श्रीमूलसंघे प्रणमंति
(मेरी डायरीम) भ० ज्ञानभूषणस्तस्पट्ट भ. विजयकीर्तिः गुरुपदेशात हुं० (१६) संवत् १५३२ वर्षे बैसाख सुनि ५ रवी काष्ठा
० रामा भा० रमकू सु. श्रे. पाधा भा० सरीयादे सु- संघे नंदितटगच्छे भटारक श्री भीमसेन तत्पद सोमकीर्नि भीमा भा० धर्मादे भा. भोजा भा० चंगी भ्रा० फला भा० प्राचार्य श्री वीरसंण सूरि युक्तः प्रतिष्टितं नारसिंह शातिय माणिदे मा० नारद भा० नारंगदे सु. हरिया श्री मल्लिजिनं बोरवेक गोत्रे चापा भार्या परगू पुत्र केशव भार्या वाल्ही पुत्र (नित्यं) प्रणमति । बुद्ध गोत्रे ।
राघव भडीया रावन भार्या धीराई शीतलनाथ विंबं प्रणमंति (दि. शैतवाल जै० म० अरबी, वर्धा)
(मेरी डायरीमे) (१३) संवत् १११८ वर्षे श्रा० मूलसंधे प्राचार्य श्री (२०) संवत १५३५ श्री मूलसंघे भ० श्री भुवनकीर्नि -विद्यानंदि गुरुपोशात सिंहपुराजाना श्रे० गाईप्रति पुत्र स० भ० श्री ज्ञान भूषणोपदेशात (रत्नत्रय है)। इंगर भा० रांगाई निस्यं प्रणमंति (खड़े चौमुम्बी)
(बजारगांव जे.दि.. बालापुर) (दि. जै० म० बालापुर, भाकोला) (२१) संवत् १५३५ प्रमादि संवत्सरे फाल्गुण सुदि ५ (१५) संवत् १५१६ वर्षे प्लवंग नाम संवनमरे जेष्ट श्रीमूलसंधे बलाकारगणे कुन्दःचा: म० श्री धर्मचन्द्र (?) सुदि ५ (पंचमि) तिथी पटिका ६० पुष्य मात्र ३७६ वज धर्मभूषण देवन्द्रकीर्ति तत्प? कुमुदचन्द्रोपदेशात शेतवाल """"घटि १६ मूलसंधे सरस्वतीगच्छे बलात्कारगणे गोत्रे (१) ज्ञातीय रत्नसाह समरामाह नित्यं प्रणमंति कुम्बकुम्बाम्बायतत्पर भ. श्रीदेवेन्द्रकीर्ति वालपट्ट भ०
(प्राचीन जै० दि० मं० बानापुर) श्रीध धर्मचन्द्रदेवातपट्ट श्री अमरकीर्ति तपट्टे भट्टारक श्री (२२) संवत् १५४१ वर्षे बैशाख बदि । श्री मूलसंधे भूवनकीर्तिस्तत्प४ श्री विणश्रेण (यह लेख अपूर्ण मालूम श्री त्रिभुवनकीर्तिदेवानामचतु..." शांत मौतु भार्या रानी होता है)। (शैतवाल दि. ० म० प्रारबी) पुत्र वैरवा नित्यं प्रणमंति (उपर्युक्त मन्दिरमें)
(१५) संवत् १५२२ सर्वरि नाम सं० मू० सं० बैसाख “ (२३) संवत् ११४२ वर्षे जेष्ठ सुदि ८ शनोः श्री मूलसुदि १३ दिने श्रीमू. सरस्व० बसा. कुन्दः २० भ धर्मा संघे भ० श्री जिमचन्द्र सुदममे (?) भट्टारक सकलाकीर्ति (धर्म ?) चन्द्रस्त. भ. भी धर्मभूषण भ. श्री देवेन्द्रकीर्ति स्तत्प भ० श्री भुवनकीर्तिस्तत्पटे मटारक श्री ज्ञानभूषण स्तत्पटटे भ. कुमुवचन्द्र भ. श्री देवेन्द्र कीर्ति उ० सांवसराज गुरुपदेशात् जांगडा पोरवाद ज्ञातिय स. बाजु मानेगु सु.