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________________ किरण नाम-माला ४८७ - बामदेव भूतेम भव, रुंडमालधर ईस। जातुधान दानव दनुज, गकस देव-विपक्ष । जटाजूट कप्पालधर, महादेव सिखरीस ॥२२॥ दिननंदन मानुषभवन, असुर निमाचर जक्स्य ॥३५।। ससिसेखर सितिकंठ सिव, अंधरिपु ईमान। “हरित ककुभ प्रासादिमा,"सुरपति पावक काल । सूली संकर गंगधर, वृषभकंतु वृषजान ॥२३॥ नैरत वरुन पषन धनद, ईस पाठ दिकपाल ॥३६।। ५'उमा अंबिका चंडिका, काली मिवा भवानि । दक्षिन नैगित वारुनी, वायु उतर ईसान । गौरि पार्वती मंगला, हिमगिरितनया जान ॥२४॥ पूरव पालक अध उग्ध, पदस दिसि अभिधान ॥१७॥ १“गनप विनायक गजवदन, लंबोदर वरदानि । 'दिग्गज ऐरावत कुमुद, पुहुपदेत पुंडरीक । ५ षडमुख अगिनिकुमार गुह, सिखिवाहन सनानि ।।२५।। अंजन सारवभौम तह, वामन सूपरतीक ।।३८|| 'इंद्र पुरंदर वजधर, श्राखंडल अमरंस। 'सूर विभाकर घामनिधि, महसकिरन हरि हस । धनवाहन पुरहून हरि, सहसनैन नाकंस ॥२६॥ मारतंड दिनमान तनि, श्रादिति भानप-श्रम ॥३९॥ २'इंद्रपुरी अमगवनी, २२सभा सुधर्मा नाम । सविना मित्र पतंग र्गव, तपन हेलि भग भान । २ इंद्रानी सुपुलोमजा, सची अमरपतिवाम ॥२॥ जगतविलोचन कमलहिन, तिमरहग्न तिगमान ॥४॥ कल्पवृक्ष संतानद्रुम, पारजात मंदार । इंदु छपाकर चंद्रमा, कुमुदबंधु मृगक । हरिचंदन ए पंचसुर, तर नंदनकतार ॥२८॥ औषधीम राहिनिगमन, निसमनि सोम ससांक ॥४१।। "प्रथम सुपदम महापदम, कंद मुकंद खरव्य । चन्द्र कलानिधि नखनपति, हग्गिजा हिमभान । संख नील कख पदमकर, ए नवनिधि सुग्दव्य ॥२९॥ सुधासून द्विजराज विधु, क्षीरसिंधुसुन जान ॥४२॥ 'देववृता च तिलोत्तमा, मेनक भवसि रंभ। 'उडुगन भानि नक्षत्र प्रह, रिक्व तारका सार । २ 'सुधा अमृत पीयूष ग्स, जराहग्न सुरश्रम ॥३०॥ 'सीनल सिमिर तुषार हिम, तुहिन सीत नीहार ॥४३॥ "सुरगिरि गिरिपति हेमगिरि, धरनीधरन सुमेरु। मलिन मलीमसि कालिमा, लंछन अंक कलंक । २'राजगज वैभवन तह, धनपति धनद कुबेर ॥३॥ छाम धित दुर्बल दुन्वित, दीन हीन कृश रंक ॥४४॥ 5°अभ्र मेघ खतमाल धन, धागधर जलधार। विभा मयूम्ब मर्गचिका, जाति काति महधाम । कंद देव दामिनिअधिप, वाग्विाह नभचारि ॥२॥ पाद अंसु दीधिनि किनि, भानुतेज मचि नाम ॥४५॥ धूमजोनि जीमूत प्रग, पावकरिपु पयदान। जीव वृहस्पति देवगुरु, गहिनय बुध सौम । 3 'संपा छननाच चंचला, चपला दामिनि जान ।।३३।। 'मंद सनीचर रवितनय, “भूसुन मंगल भौम ॥४६॥ हाहा हूहू किंपुरुष, विद्याधर गंधर्व। अगिनि धनंजय पवनहित, पावक अनल हुनास। अप्सर यक्ष तुरंगमुम्ब, दवयोनि ए सर्व ॥३४॥ ज्वलनविभावसुसिखिदहन वडवाउदधिनिवाम ४७ १७ पार्वतीनाम १८ गणेशनाम १६ स्वामि- ३३ दैत्य(राक्षस)नाम ३४ दिशानाम ३५ अष्टदिकपालनाम कार्तिकेयनाम २० इन्द्रनाम २१ इन्द्रपुरीनाम २२ इन्द्र- ३६ दशदिशानाम ३७ आठ दिग्गजनाम ३८ सूर्यनाम सभानाम २४ देववृक्षनाम २५ नवनिधिनाम २६ अप्सरा ३६ चन्द्रनाम ४. नक्षत्रनाम ४१ तुषारनाम ४२ कलंक(देवांगना) नाम २७ अमृतनाम २८ सुमेरुपर्वतनाम २६ नाम ४३ दुर्बलनाम ४४ किग्णनाम ४५ वृहस्पतिनाम ४६ कुबेरनाम ३० मेघनाम ३. बिजलीनाम : बुध (ग्रह) नाम ४७ शनिबग्नाम ४८ मंगलनाम . अमि
SR No.538004
Book TitleAnekant 1942 Book 04 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1942
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size73 MB
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