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अनेकांत
[वर्ष ४
की ओरसे दस रुपयेकी सहायता पीछे अनेकान्त चारको पोरसे उपहार ग्रन्थोंकी योजना भी इस मदमें शामिल
मी और पाठको अर्ध मूल्यमें भेजा जामकेगा।) होगी। (३) उत्सव-विवाहादि दानके अवसरों पर अनेकान्नका (१) अनेकान्तके प्राहक बनना, दूसरोंको बनाना और अनेकांत
बराबर खयाल रग्वना और उसे अच्छी लहायता भेजना के लिये अच्छे अच्छे लेख लिखकर भेजना, लेखोंकी तथा भिजवाना, जिसमें अनेकान्त अपने अच्छे विशेषाङ्क
सामग्री जुटाना तथा उसमें प्रकाशित होनेके लिये निकाल सके. उपहार ग्रन्योंकी योजना कर सके और
उपयोगी चित्रोंकी योजना करना और कराना । उत्तम लेखों पर परम्कार भी दे सके। म्वत: अपनी
सम्पादक 'अनेकान्त'
भनेकान्तके नये ग्राहकोंको भेंट
पिछले वर्ष अनकान्तक ग्राहकोंको पोष्टेज-पैकिग खर्चके लिये चार प्राने अधिक भेजनेपर महत्व के अध्यात्मग्रन्थ 'ममाधितंत्र की कापियां भेटमें दीगई थी। इस वर्ष जो न्य ग्राहक बनेंगे उन्हें भी मूल्य के साथ अथवा बादको चार प्रान अधिक भेजनेपर उक्त ग्रन्थ भेंट स्वरूप दिया जायगा। साथ ही,पं. जुगलकिशोर मुख़्तार सम्पादक 'अनेकान्त' की लिग्वी हई ४८ पृष्ठकी उपयोगी पुस्तक 'मिद्धिमोपान' की एक एक प्रति भी दीजायगा । सूचनार्थ निवेदन है ।
व्यवस्थापक 'अनका त'
भगवान महावीर और उनका समय पं० जुगलकिशोर मुख्तार सम्पादक 'अनेकान्त' की लिखी हुई यह महन्वकी पुस्तक सबके पढ़ने तथा प्रचार करनेके योग्य है। मूल्य एक प्रतिका चार पाने । प्रचारकी दृप्टिसे सौ-दोमो कापियां एक साथ ग्वरीद करने वितरण करके वालों के लिये १५) रु. मेंकड़ा । पोप्टेज अलग ।
मिलने का पता--
__ पन्नालाल जैन अग्रवाल गली हकीम बका, चावड़ी बाज़ार, देहली