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महाकवि पुष्पदन्त
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और इसलिए तब वहाँ तक वैदर्भा माधशकी तरह जानते होंगे और उसका मानद ले सकते होंगे, पहुँच अवश्य ही होगी।
सभी न जनोंने कविको इनाना उत्साहित और सम्मागलकटोको गमधानी पहल नासिक के प.म मयूर- नित किया होगा ? सो भरत मंत्री भी मूलन कार्यक खंडों में भी जी महाराष्ट्रमे ही है, अतएव राष्ट्रकूट ही प्रान्तकं होगे, ऐसा जान पड़ता है। इसी तरफ थे। मान्यखेटको उन्होंने अपनी गज- ३-व्यक्तित्व और स्वभाष धानी सुदूर दक्षिणके अन्तरीप पर शासन करनेकी पुष्पदन्नका एक नाम 'खर' ' था। शायद यह सुविधाके लिए बनाया था। क्योकि मान्यखेटमेन्द्र उनका घरू और बोलचालका नाम होगा। अभिरखकर ही चाल,1, पाराय शोपर ठीक तरह मानमक, अभिमान वित, काव्यरत्नाकर', कविसामन किया जा मकता था।
कुलतिलक", मगम्बनीनिलय' और काव्यापमल्ल' भरतका कविने कई जगह भग्तभद्र लिम्बा है। १ (क) जो विहिणा गाम्मउ कलपिड, तं णमुणे विसी
___मंचलिउ ग्वंद। -म.. मन्धिक० ६.१ नाइल्लड और संलिइय भी भट्ट विशेषणके साथ
(ब) मगध श्रीमदनिन्यवरासुकवेबन्धुर्णरूपतः। उल्लिम्बित हुए हैं । इमस अनुमान होता है कि
-०१० मन्धि ३ पुष्पदनको इन भट्टोंके मान्यखेटम रहनका पता होगा (ग) वाञ्छनित्यमई कुतूहलवनी ग्वण्डस्य कीनिः कृतः । और उमा सूत्रम व घूमतं घामने उस तरफ पहुँच
-म०प० स० ३६ होंगे। बहुन मंभव है कि ये लोग भी पुष्पदन्तकं ही
न २(क) तं सुणांव भणा श्राहमागमे ।- म०५० १.३.१२
(ग्व) कं यास्यस्यभिमानरत्ननिलयं श्रीपुष्यदन्तं विना। प्रान्नके हों और महान गष्ट्रकूटोकी सम्पन्न गजधानी
-म० पु. मं०४५ म अपना भाग्य प्राजमानके लिए प्राकर बस गय
(ग) गण्णहो मंदिर शिवमंतु मनु, माइमाणभेरु गुग्ण ।
er faiत मत बाम हो और कालान्तरमे गजमान्य हो गये हों। उस गगामहंतु ।
-ना. कु. १-२-२ ममय बगर भी गष्टकटोक अधिकारम था, अतएव ३ वयमंजुत्ति उनममत्ति बिर्यालयमंकि अहिमाकि । वहांक लागोका आवागमन मान्यखेट नक होना
४ भो भो केसवतणुकह णवमहमुह कबग्यगाम्वाभाविक है। कमम कम विधोपजीवी लोगो के लिए
रयगाया।
म०पृ० १-४-१० सो पुरन्दरपुरी माम्यग्वटका प्राकषण बहुन ज्यादा ५-६(क) गमग वि भरहे बन नाव, भी काकुलनिलय रहा होगा।
विमुक्कगाव।
- म.पु. १-८-१ भरत मंत्री कविन 'प्राकृत कविण्यासाब. (ग्य) अगह कागउ पफयंतु मग्मागिल उ । लुब्ध' कहा है और प्राकृतसे यहां उनका मतलब
देवियहि माउ वरगाह कायणकुलनिलउ ।
-य० ब०१-८-१५ अपभ्रंश ही जान पड़ना है। इस भाषाकावमाछी (क) जिगचरणकमलत्तिलएण, ता पिउ कबइल्ना और मील :य तथा भरतके पिता और पितामह सिल्लएण।
-म.१० १-८-८ अम्मइए नया एयग ये नाम कर्नाटकी जैसे मालूम होते (ब) बोल्लाविउ काकबपिमल्लउ, किसुई मबउ वय है। परन्तु शायद इसका कारण यह हो कि ये लोग अधिक गहिल्लाउ।
-म.१० ३८-३-५ ममयमे वहाँ रहते हो और इस कारण उम प्रान्तके (ग) गएमास्म पत्थगाए कम्बपिमल्लएण पदमियमहेण । अनुरूप उनक नाम रग्वे गये हो।
-ना.च. अन्तिम पद्य