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________________ अनेकान्त [वर्ष ४ नी कम्मइकाय जोगी केविचिरं कालादो हादि, ११० ।। शेषास्त्रिवेदाः ॥५२॥ जहरणेण एकसमयो ।। १११ ।। णेरइया चदुसु ठाणेसु सुद्धणqसयवेदा ॥१०५।। उक्कस्सेण तिरिणममया ।। ११२ ॥ तिरिक्खा सुद्धणवंसयवदा एइंदियप्पहुडि जाव चरिदियात्ति ॥१०६॥ प्रणाहाग केविचिरं कालादो होति ।। २१२ ॥ तिरिक्खा निवदा....... ॥१०॥ उक्कस्सेण तिषिणसमया ॥ २१३॥ देवा चदुसुठाणेसु दुवंदा इत्थिवंदा पुरिसर्वदा।।११०|| -षट्खण्डागम -षटखण्ड गम औदारिकवैक्रियिकाहारकतैजसका - तीसरा अध्याय मणानि शरीराणि ॥ ३६॥ जं तं सरीग्णामं तं पंचविहं-आंगलियसरीर- रत्नशकरावालुकापङ्कधूमतमोमहातमःप्रणाम, वेउब्वियसरीरणाम, आहारसगैग्णाम, तेजइय- भाभूमयो घनाम्बुवाताकाशप्रतिष्ठाः सरीरणाम कम्मइयसरीरणामं चेदि ॥१९॥ सप्ताधोऽधः ॥१॥ -षटग्वण्डागम, पयडि अणुयोगद्दार एवं पढमाए पुढवीए णेरडया ।।८।। ओरालिश्रा य देहो दहा वन्विो य जहा। विदियादि जाव सत्तमाय पुढीप रणग्इया ॥८२।। पाहाग्य फम्मइओ पुग्गलदव्वप्पगा सव्व ।। -पटवण्डागम १, १, १.८२ -प्रवचनसार, २,७९ सत्तविहा गरइया णादव्वा पुढविभएण । प्रदेशतोऽसंख्येयगुणं प्राक्तैजसात् ॥३८॥ -नियमसार १६ अनन्तगुणे परे ॥ ३६॥ तेष्वेकत्रिसप्तदशसप्तदशद्वाविंशतित्रयस्त्रिं शत्सागरोपमा सत्त्वानांपरा स्थिनिः।। अनादिसम्बन्धे च ॥४१॥ उक्कस्सण मागविमं तिणि मत्तदस सत्तारम ___ जहएणुक्कस्मपदेण भांगलियवे उब्विय आहार- बावीस तंत्चीम सागरावमाणि ॥४॥-षट्खण्डागम सरीरस्म जहण्णो गुणगाग संढीप असंखेजदि नस्थितीपरावरे त्रिपल्योपमान्तर्मुहर्ने।३। भागो उक्क सो गुणगागं पलिदोवमस्स असंग्वेउजदिभागो॥ तिर्यग्योनिजानां च ॥३६॥ तेजाकम्मइयमरीरम्म जहरणो गुणगाग मणुसा मणुसपज्जत्ता मणुसिणी केविचिरं काला अभवसिद्धिपहिं अणंतगुणो सिद्धाणमणंतभागो॥ दो हो त ।।१८।। जहणणेण खुद्दाभवग्गहणमंतामुहत्तं __ तम्सेव उक्कस्सओ गुणगारो पलिदोवमम्म असंखे- ॥१९॥ उक्कम्सण तिगिणपलिदोवमाणि पुव्वकाडिजदिभागो॥ पुधत्तेणव्वहियाणि |२०|| पंचिंदियतिरिक्ख पंचिंदिजो मो अणादिसरीग्बंधो णाम ॥ ६ ॥ यतिरिक्वपज्जन पंचिंदियतिरिक्खजाणिणी के वचिरं -षटग्वण्डागम कालादो होंति ॥१३।। जहणणेण खुहाभवग्गहणं अंतीनारकसम्मूछिनो नपुंसकानि ॥५०॥ मुहत्तं ॥१४॥ उक्कस्मंगा तिगिणपलिदावमाणि पुन्वन देवाः ॥ ५१ ॥ कोडिपुधत्तेणव्वाहियाणि ।।१५।। -षटग्वण्डागम
SR No.538004
Book TitleAnekant 1942 Book 04 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1942
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size73 MB
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