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गोम्मट
लेखक-प्रोफेमर ए०एन० उपाध्याय, एम० ए०, डी० लिट् ]
(अनुवादक-५० मूलचन्द्र जैन, बी.ए.)
इस लेखको ममाप्त करने पहले मेरे लिये यह गोम्मटमार' के नाम और मूलस्रोतकी व्याख्या श्रावश्यक है कि मै पन पूर्ववर्ती विद्वानोके कुछ करते हुए जे० एल० जैनी कहते हैं."-"प्रन्थकर्ताने विचागेका प्रत्यालांचन कम जिन्होने ऊपरक विषय श्री वर्धमान या महावीरको 'गोम्मटदेव' के नाममे के नाना पोका पर्श किया है और जो विभिन्न पुकारा है । 'गोम्मट' शब्द मम्भवतः 'गो' वाणी और नतीजो पर पहुंच हैं, यद्यपि वाकयान (HI) एक
'मट' या 'मठ' घर से बना है, जिसका अर्थ होता है
'वाणीका घर', वह भगवान जिसमें निरक्षरी बागी, ___पंडित प्रेमी जी लिखते हैं . :-"गोम्मटकी अद्भुतसंगीत, दिव्यध्वनि बहती है। 'सार' का अर्थ मूर्निके कारण चामुण्डंगय इतने प्रसिद्ध हो गये थे निचोड़, मंतितः अर्थ है । इस तरह गोम्मटसार शब्द कि वे गोम्मटगय कहलाने लगे ।" प्रेमीजीने अपने का अर्थ होगा 'भगवान महावीर के उपदेशोका मार' इस निर्णयकी पुष्टिमं कोई हेतु नहीं दियं हैअत.
__ यह अधिक संभाव्य है कि श्री. गोम्मटदेव या भगवान ऐसे निर्णयकी स्वीकृति के विरुद्ध मैं कुछ कठिनाइयो
महाकोरकं प्रति अपनी अधिक भक्तिके कारण चामु. के नोट दिये देता हूँ। ऐमा काई प्रमाण उपस्थित
गडराय भी गजा गाम्मट कहलाते थे । महान् प्रश्न
कर्ता । अर्थात चामुण्डगय) के प्रति अभिनन्दन के नहीं किया गया जिमस यह जाहिर ही कि बेल्गाल
तौर पर इस संग्रह का नाम उनके नामानुसार 'गोम्मकी मूर्ति बनने पहले बाहुबलिको गाम्मट कहा
टमार' रम्बा गया है ।" मैंने दूसरे स्थान पर इम जाता था। 'गय' चामुण्डायकी प्रसिद्ध उपाधि थी;
बानकी व्याख्या की है कि गोम्मटदेव' किम अर्थमे और यदि यह मान लिया जाय कि गोम्मटका अर्थ
'महावीर के बराबर हो मकता था । जबतक यह बाहुबलि था, तो हम गोम्मटराय' इस ममम्त पदकी 'किम प्रकार व्याख्या कर मकने हैं ? मृतिको प्रायः
माबित नहीं किया जाना कि 'गोम्मट' मंस्कृन शमन गोम्मटदेव, नाथ आदि कहते है और बहुत कम नथा
है तबतक संस्कृत शब्दविज्ञानको बनानेका प्रयत्न पिछले लेखोंमें केवल गोम्मट कहा गया है। मैं
२८ गोम्मटमार जीयकाण्ड, जे. एल. जैनीकृत अंग्रेजी
अनवादादि महित, B.J, V. भूमिका प्रण ५-६ । ममझता हूँ प्रेमीजीका निर्णय दुसरे प्रमाणोंकी मैंने इसमें अन्तर बतलाने वाली आवश्यक बातोको अपेक्षा रखता है, जिनके अभावम'वह स्वीकृत नहीं शामिल कर दिया है। किया जा सकता।
२६ देखो मेरा लेख 'Material on the Jnter२७ 'त्रिलोकसार', माणिकचन्द दि०० ग्रन्थमाला नं. १२, pretation of the word Gommata' बम्बई सम्बत् १६७५, भूमिका ४८।
I. H.Q. Vol XVI.No.2