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अनेकांत
[वर्ष४
हुआ। दानका परिमाण करीब २५ हजार रुपये का है, जिस कि वह सदविवेक जो दुःख-संतापकी अचूक औषध है आपके में दस हज़ार रुपये नकद और पंद्रह हजारकी मालियनका प्रामामें शीघ्र जागृत हो और आप उसके बलपर अपने
आपका ज़बर शामिल है। पतिके तथा विशाल कुटुम्बके आमाको उत्तरोत्तर अधिक उन्नत बनाने और उसका पूर्ण मौजूद होते हुए अपने सारे स्त्रीधनको इस तरहसे दान कर उत्थान करनेमें समर्थ हो । जाना स्वर्गीया श्रीमतीकी भारी वीरता और गहरी धार्मिक जिम विवेकका परिचय आपने श्रीमतीजीकी धार्मिक भावनाका घोतक है. और इसके द्वारा आपने एक अच्छा
भावनात्रोंको बनाये रखने और उनके समाधिमरण एदानकार्य आदर्श स्थापित किया है।
में सब तरहसे सहायक होने में दिया उससे भी अधिक विवेक
की आवश्यकता आपको इस समय अपनको संभालने और बाबू छाटलालजीने इस रकमके लिय जिस प्रकार म्वीया श्रीमतीजीसे परामर्श कर लिया था उसके अनुसार ही वे
अपने अामाका उत्थान करनेके लिय है, और वह विवेक वस्तुउसका व्यय कर रहे हैं. जिन संस्थानोंको जो देना था वह
स्वरूपके गंभीरचिन्तन तथा सत्संगतिके प्रतापसे सहज ही दे दिया गया है-कुछको भेजा जाचुका है और कुछको
सिद्ध हो सकता है । प्राशा है वह अापका ज़रूर प्राप्त होगा। भेजा जारहा है।
श्रीमतीजीके दान-द्रव्यम अापने वीरमवामन्दिरको. उस उपसंहार
की ग्रन्थमालाके जिय, जो पाँच हजारकी रकम प्रदान की है,
इसके लिये मैं और यह संस्था दोनों ही आपके बहुत प्राभारी मी सुशीला, धर्मप्राण, सेवापरायण और प्राज्ञावशवर्तिनी धर्मपन्नीक इम दुःसह वियोगस सुहृद्वर बाबू छोटे
हैं। आपकी इस महायतामे 'जैनलक्षणावली' का काम जो लालजीकं हृदयको जो गहरी चोट लगी है और जो अपार कुछ समय सहयोगकै अभावमें बन्द पडा था वह अब तेजी दुःख तथा कष्ट पहँचा है उसका वर्णन कौन कर सकता है? से चलाया जायगा, और आपकी इच्छानुसार लक्षणावली में निःसन्देह अापके जीवनका एक जबर्दस्त सहारा ही टूट गया
लक्षणोंका हिन्दी सार अथवा अनुवाद भी लगाया जाकर उस
शीघ्र प्रकाशित किया जायगा। है और इमीस पापको संसार-यात्राके
अन्तमें मदगत आत्माके लिये श्रद्धांजलि अर्पण करता समय अपना कोई सहायक तथा सहयोगी नज़र नहीं आता।
हा मै यह दृढ भावना करता है कि श्रीमतीजीका सद्धर्म खूब इस अवसर पर मद्विवेक ही आपको धैर्य बंधा मकता है।
फले और उन्हें परलोकमें यथेष्ट सुग्व-शान्तिकी प्राप्ति होवे । और वही आपको मार्ग दिखा सकता है। हार्दिक भावना है
जुगलकिशार मुख्तार