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________________ बेजोड़ विवाह [ ले० - श्री ललिताकुमारी जैन पाटनी 'विदुषी' प्रभाकर ] जिन दम्पतियोंमें उम्र, शिक्षा, शील, स्वभाव शारीरिक संगठन व स्वास्थ्य श्रादिकी विषमता पाई जाती हो उनका विवाह बेजोर विवाहकी कोटि में है। मसलन वर-वधु वर अवस्था प्राप्त है और बघू बालिका है बधू युवती है और वर बालक है। एक पूर्ण शिक्षित है और एक क़तई निरचर है। एक कमज़ोर है और एक बलिष्ट हैं। एक ज़रूरत से अधिक उम्र और तेज मिजाज़ हैं और एक नम्र और शान्तहृदय है एक अतीव सुन्दर है और एक महान कुरूप है। ऐसे जोड़ों का विवाह ही बेजोड़ विवाहकी श्रेणीमें शुमार किया जाता है। 1 आज हमारे समाज ऐसी अनो और बेटं विवाहों की धूम है और उनमे बने ये दम्पति यत्र नष्ट गोचर होरहे हैं। जिन विद्वान समाज-विज्ञान और वर्तमान प्रचलित भारतीय विवाह संस्थाका गम्भीर अध्ययन किया है, उनका कहना है कि भारतीय घरों में फैले हुए गृहस्थ जीवन के कटु परिणाम और नारकीय बलेश इन्हीं विवाहों का एकान्त फल हैं । कहीं कोई भी ऐसा युगल देखने में नहीं धाता जिसने दाम्पत्य-जीवनका मधुरपल और उसकी पूर्ण सफलता प्राप्त की हो। हर जगह उसका विकृत चौर स्वा भाविक रूप ही देखने में थाना है। ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि १०० में ६५ दम्पतियोंका दाम्पत्य-जीवन दु:ग्वान्त होता है और ५ का सुखान्त हो तो हो । घर घरमें कलह और वैमनस्य दिखाई देता है। जिस गृहस्थ जीवन में हम स्वर्गीय सुखकी कल्पना करते है. वहां शांति और दुःखका साम्राज्य है तथा निराशा और उदासीनताकी काली रेखा खी हुई हैं। जहां उल्लास, आनन्द और वाल्हाद होना चाहिए, वहां निरुत्साह, शोक और श्राकुलताका एक छत्र शासन है। हमने कल किसी दैनिक पत्रमें पढ़ा था-एक स्त्री अपने पतिके बेरुखंपनमे जहर खाकर मर गई । थाज किसी पत्रमें पढ़ रहे हैं-- एक महानुभाव पहली स्त्रीसे मन म मिलनेके कारण दूसरी शादी रचा रहे हैं। कल किसी वारमेंगे किसी शहर व हित दम्पतियों का रागही रात में प्राणान्त होगया। रिपोर्ट मिली है फि उनके संरक्षकोंने उनकी इच्छा के विपरीत उनका विवाह किया था । श्रापका एक मित्र श्थापको खबर सुनाता है— पड़ौस में एक १४ वर्ष की बालिका एक वर्ष पहले अमुकमेटी न्याह होकर आई थी। बेचारीके छः महीने से तपैदिनकी शिकायत है। डाक्टर लोग कहते हैं—किसी मानसिक वेदनासे उसको यह बीमारी हुई है। एक बहन अपनी अंतरंग सहेलीको हार्दिक व्यथा और दुःख-पूर्ण ग्राहके साथ कहती है-बहन । स्याह होनेके याद कभी उन्होंने मेरे साथ रु जोदकर बात नहीं की जाने पर्यो ने मुझसे शुरु ही विरक्त रहते हैं। यह सब क्या है ? बेजोड़ विवाहका दुःखद फल और उसका कटु परिणाम ? यो विवाहका सबसे हास्यास्पद और पृथित रूप है वृद्ध-विवाह ? जिस देश और समाज में ऐसे विवादों पर कोई प्रतिबन्ध नहीं हैं समएि वहां अन्याय और अत्याचारको सादर आह्वान किया जाता है। वृद्ध-विवाह वास्तव समाज के लिए एक कलंक हैं, जिसका दाड़ा सुदूर काल तक भी नहीं मिटाया जा सकता। वह व्यक्ति जो अपनी भजनविरागकी अवस्थामें एक अबोध बालिकाके साथ विवासकी दुष्ट भावना रखता है उसमें मनुष्यच तो है ही कहां, शक हैं कि पशुस्व भी उसमें रहा है या नहीं ? कारण पशुओं के समुदाय में भी ऐसा ग्रस्वाभाविक काम कभी नहीं होता । यह तो मनुष्य समाज ही है । ऐसे अमानुषिक आचरण या व्यक्तियोंको भी जगह दे सकता है। वरना वह पशुओं के समाज में भी स्थान पाने योग्य नहीं है। यदि कोई व्यक्ति उम्र पाने पर भी अपनी दूषित वृतियोंको वशमें नहीं रख सकता है और अनाचार खेत स्वछन्द होकर बिहार करना चाहता है तो किया करे, किंतु एक बालिकाकं पविच कुमार-जीवन पर क्यों कुठाराघात करता है ? वह अपनी विषैली इच्छाओंका शिकार नाना उमंगोंमे फले फूल एक
SR No.538004
Book TitleAnekant 1942 Book 04 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1942
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size73 MB
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