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किरण ३]
जीवनकी पहेली
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उसमें रमन करने वाले हैं, ये धारणाको ही सार चाहते हैं, म्वाश्रित होकर रहना चाहते हैं। ये समझ कर उसम चिमटने वाले हैं, इनका माग जीवन म्वाधारके सहारे ऊपर उठना चाहते हैं, म्वाधारक भावना ही भावना है। इनका माग लोक कल्पना ही सहारे ग्वड़ा रहना चाहते हैं। ये खुली आंखोंस कल्पना है। इनका साग मार धारणा ही धारणा है। वेदन ओंको देखना चाहते हैं। ये आंखें गाड कर ये मब निराधार हैं ये काल्पनिक लोकक पहने इनकी भावनाओंको समझना चाहते हैं, ये ज्ञानबलस
इनके मापे छितोंको गाहना चाहते हैं. इनकी शंकाओं वाले हैं, काल्पनिक मारको पकड़ने वाले हैं, काल्पनिक ।
और ममम्यायोंका परखना चाहते हैं। ये स्पष्ट रूपम अानन्दका लेने वाले हैं । इनका आधार न कोई तर्क है, न कोई बुद्धि, न कार्ड प्रमाण है, न कोई युक्ति ।
मालूम करना चाहते हैं कि आग्विर ये हैं क्या ?
इनका रूप और बनाव क्या है ? इनका कारण ये स्वप्नचरकी भांनि, म्वप्न दृटनपर निगलांक हाजाते
और उद्गम क्या है, ? इनका लक्ष्य और प्रयोजन हैं। ये मुग्धी भांति, मदर । नशा ) टूटनेपर
क्या है ? इनका उपाय और मार्ग क्या है ? ये लोग निगनन्द हाजाते हैं । ये कल्पना टूटने पर।
बड़े ही निर्भीक और माहमी है, बड़े ही त्यागी और बिना पंख हो जाते हैं । ये धारणा दृटन तपम्बी हैं, बड़े ही जिज्ञासु और विचारक है, वई ही पर विना नत्र हा जाते हैं । ये पंम्ब टूटे पंछीके तत्त्वज्ञ और दार्शनिक हैं। ममान धुन्धर्म धुन्धलाये हुये नीचे गिरने लगते है, परन्तु इनममे कूछका तो आयु ही माथ नहीं नीचे गिरने चले जाते हैं, यहाँ तक कि ये फिर हमी देता। ये बेचारे असफल मनांग्थ ही यहांक विदा हा धूलभरी धरणीस प्रा मिलते हैं। फिर इन्हीं बंधनाम जाते हैं। कुछ राग व्याधिक कारण, कुछ घरेलू श्रा बँधते हैं, फिर इन ही दुःग्वोंमे आ फँसने हैं। चिंताओंके कारण, कुछ लौकिक विपनियों के कारण
ये बार बार सत्यके निकट पहुंच कर वापिम चले ऐसी उलझनाम फँस हैं, कि उनमें इनका निकास ही पाते हैं, ये बार बार घर के निकट झांक कर वापिस नहीं होता। ये अपना दर्द दिलमें लिये ही चल लौट आते हैं, ये बड़े ही विकल हैं. बड़े ही दुःखी हैं, जाते हैं। ये सब मामादनगुणस्थान वान हैं।
___ कुछ विचारक एस उत्माही हैं, ऐम दृढ संकल्पी
हैं, ऐम स्थिरबुद्धि हैं कि वे हजार कठिनाइयों पड़ने मिश्रगुणस्थान वाले
पर भी, हज़ार उलझनें बड़ी हानेपर भी अपनी खाज कुछ ही मनुष्य एस हैं, जो इस प्रकार विवश का नहीं छोड़त, यह समस्यायांका किसी न किसी रहना नहीं चाहते, निराधार रहना नहीं चाहने, ये तरह हल करनेम नत्पर हैं, ये अपनी गवेषणाका कल्पना-द्वाग यहांस उड़ना नहीं चाहते, धारणा द्वारा दर्शन ( Philosophy ) रूप मंकालन करनेमे यहांस अलग हाना नहीं चाहतं । ये म्वप्नचरकी कटिबद्ध हैं। भांति भावनाओं को अपनाना नहीं चाहते। अन्धे की परन्तु ये कुछ अपनी भूल-भ्रान्तियों के कारण, भांति इन्हे पकड़ना नहीं चाहते। ये बंद पंछीके समान कुछ पूर्वसंस्कारों के कारण, कुछ पूर्वाग्रहों (Prejuइनके लिये फड़फड़ाना नहीं चाहते। ये स्वाधीन होना dices) के कारण, कुछ अल्पज्ञताकै कारण, कुछ