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भनेकान्त
[वर्ष ४
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आशाओंकी पूर्ति नहीं देग्वने । ये यहांकी मान्यताओं सासादन गुणस्थान वालेमें अपनी शंकाओंका समाधान नहीं देखते, अपने मवालोंका जवाब नहीं देग्यत । ये प्रचलित रूढियोंमे ।
इनमेंस कुछ तो यहांस निकल उसपार जानमें
बड़े ही अधीर हैं, ये दुःखसम्बन्धी 'क्यों' 'क्यो' अपनी मिद्धिका माधन नहीं दग्वत, अपने इष्टका मार्ग नहीं दग्यत । उनकी इष्टिम यह दनिया मिवाय
आदि मवालों को समझना नहीं चाहतं, ये दुःखभग
दुनियास उभग्न के उपाय और मार्गपर विचार करना भूलभुलय्याँके और कुछ भी नहीं, मिवाय बाल-क्रीडा
नहीं चाहते, ये यो ही किसी चमत्कार-द्वाग, यों ही के और कुछ भी नही, मिवाय रूढाचालकं और कुछ
किमी अतिशय द्वाग, वंदनासे ऊपर उठना चाहते भी नहीं। ये मान्यताम् सिवाय विश्वासके और कुछ भी नहीं, मिवाय अन्धकारकं और कुछ भी नहीं । ये
हैं-शिव, शान्ति सुन्दरताको पकड़ना चाहते हैं । ढ़ियाँ, य मम्प्रदाय मिवाय परम्परा और कुछ भी
यज्यों ही किसी भीतरी झंकारको सुन पाते हैं नहीं, मिवाय बन्धनोंक और कुछ भी नहीं। ये विश्वाम किमी उचटती अ भाका दंग्य पान है, त्यों ही कल्पना (Faiths). विचारणाको गक गंककर अन्धकारमें के सह सिद्ध मार्ग उसके साथ माथ हा लते हैं। डालने वाले है, ये सम्प्रदाय (Religions) आचरण ये कल्पनाम उमकी तरंगोम मिलकर वहन लगते हैं, को बांध बांधकर बन्धनोम डालने वाले हैं, ये इम उसके म्वगेम घुलकर गाने लगते हैं, उसके रंगमे दुनिया में रहनको तय्यार नहीं, इम अंधकार में पड़न रंगकर दमकने लगते है, उमकं पंग्योंपर चढ़कर उड़न का नय्यार नहीं, ये यहांस वहांकी और यहांम शिव- लगत है। शान्ति सुन्दग्नाकी भोर, अंधकारमे प्रकाशकी ओर, ये बड़े ही भावुक और रमिक है, बड़े ही कवि बंधनसे स्वतंत्रताकी ओर, अपूर्णताम पूर्णताकी श्रार, और कलाकार हैं, ये पतंगकी भान्ति ज्यानिके दीवान बाहिग्स भीतरको पार जानके उत्सुक हैं । इनका मन
हैं, भौंरेकी भान्ति आनंदके प्यासे हैं, ये कायल की भीतरसे बड़ा ही सर्चत है, बड़ा ही जागरुक है, यह
भान्ति ऊँचे ऊँचे गाने वाले हैं, ये चकारकी भांनि पंछीकी तरह फड़फड़ाता रहता है, कायलकी तरह
ऊँचे ऊँचे उड़ने वाले हैं। म्वप्नचर (Soninamगुजारता रहता है, नागक तरह झिल-मिलाता रहता
bulist) की भांति मन ही मन ग्चना बनाने वाले है, मरिनाकी तरह बहता रहता है, ये सब ज्ञानचंतना
हैं, ये मुग्धकी भांनि मन ही मन आनन्द मनान (Passive concious lite) बाल हैं. ये भीतरी वाल है । वंदना, भीतर्ग शंका, भीनग जिनामा, भीतरी कामना ये सब कुछ हैं, परन्तु ये विचारक नहींकी उपेक्षा नहीं करते, उनकी अवहेलना नहीं करते। भेदविज्ञानी नहीं। ये भावनास भावको जुदा करने ये इनपर अपना ध्यान देते हैं, इनका अनुसरण करतं वाले नहीं, ये धारणासं वस्तुमारको जुदा करने वाल हैं, इनको साक्षात करते हैं, इनके अर्थको ग्वालते हैं, नहीं, ये भावनाको ही भाव ममझ कर उससे संतुष्ट इनके रहस्यका समझते हैं।
होने वाले हैं। ये कल्पनाको ही ज्ञान समझ कर