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________________ अनकान्त मुपारी-पाक ___माना और बहनों के लियं अत्यन्न हिनकर #वातु है । नय और पुगन मी प्रकार के श्वेत ४ और रक्त प्रदर का ममूल दूर करन में ग़जब * का फायदा पहुंचाना है । मासिकधर्म की पीड़ा अनियमितता श्रादि का निश्चय के माथ श्रागम करेगा। मृ? पावका )मा अशोका-रिष्ट त्रियों के धुन-ग्न. प्रदर एवं प्रमृन की अनुपम महौषध है। वंध्या स्त्रियों का व यन्त्र भी इम महोपध के मंचन में नष्ट होकर सुन्दर मन्तान की माना बनने का मौभाग्य प्रान हाना है । मासिकधर्मकी सभी शिकायतें दृर हाजानी हैं। मृ. प्रनि बानल २) २० H अष्टवर्गयुक्तच्यवनप्राश-महाग्मायन समर-मुगन्धित और मवामिन' आयुर्वेद की इम अनुपम प्रापध का निर्माण प्रायः मभी वैद्य एवं कोई-कोई डाक्टर * तक कर रहे है । किन्तु हा एक स्थल पाइप सुन्दर माधनों की सुविध एवं * मर्वथा अभाव है। हमने इम महाग्मायन का निर्माण ताज़ा और परिपक्व बनम्पनियों के * पूर्ण योगम अत्यन्त शुद्धता पूर्वक किया है. जो किमी भी मम्प्रदाय विशप के धर्म-भाव पर आघान नहीं पहुंचाना । औपध निहायन जायकेदार है. नयगंगकी म्यांमी एवं हृदयके मभी * गंगों पर गमबागा है। दिल और दिमाग़ एवं शक्ति मंचयकं लिये व जाड़ नवा है। मूल्य-१ पाव के डब्बं का ५)म. डाक खच पृथक परिवार-महायक-बक्स X गृहस्थ में अचानक उत्पन्न हा जान वाल दिन रात के माधारण मी गगों के लिये हम *बक्ममें ११ दवाइयां हैं, मम्पन्न और महदय * महानुभावों का परोपकागर्थ अवश्य परिवार में ग्यना चाहिये। म प्रनि बम II) म. अंगृगसव नाजा अंगृग के गम में इस अमृन्य और और स्वादिष्ट योग का निर्माण वैज्ञानिक विधि: में हुआ है । मस्तिष्क और शरीर की निवलनाX पर गमबाण है। दिमागी काम करने वाला वकील, विद्यार्थी और मास्टर आदिको निन्य. मेवन करना चाहिय। मृ२) की बानल : भारत आयुर्वेदिक केमिकल्स लिमिटेड, सहारनपुर ।
SR No.538004
Book TitleAnekant 1942 Book 04 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1942
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size73 MB
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