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________________ अनेकान्त आयुर्वेद प्रेमियों के लिये खुशखबरी उत्तरीय भारत में महान संस्था की स्थापना म्वदेशी पंजी में स्वदेश की मेवा __भाग्नवर्ष की धार्मिक जनता आयुर्वेद की पूर्ण प्रेमी एवं पक्षपाती होते हुए भी उसे प्रयोग में लाने में केवा हम लिय घबड़ाती रही है कि शुद्ध और शाम्रान विधिवत नैयार की हुई औपधियों का अभावमा रहा है। उपयुक्त और अनुपयुक्त श्राज क्रान्ति के इम वैज्ञानिक युग में जब की यह निर्विव द मिद्ध हो चुका है कि प्रत्येक प्राणी के लिये जा जिम देश में पैदा हुवा है उस उसी भूमि की पैदा शुदा न कंवल औषधियाँ बल्कि प्रहार की प्रत्येक वस्तु उपयुक्त हानी है । फिर युगप आदि ठंडे दशां का बनी हुई दृपिन औषधियां हमारं गंगों पर किम प्रकार मफल हो मकन है। निर्माण की सुव्यवस्था उनर्गय भारतकी इम कमी का पृग कग्न के लिय ही हमने इम मन्था की स्थापना की है । भाग्न के प्रायः मभी शिक्षित महानुभाव जानते है कि हिमालय पर्वन जहां हम लोग बमन है उत्तम और अमूल्य औषधियों का गढ़ है औषध मंचय करने की हमने जो व्यवस्था की है वह आदर्श है अयुर्वेद के महान प्राचार्यों द्वाग औपध निर्माणकी व्यवस्था निसंदेह मानम पूर्ण सुगन्धका स्वरूप है। मप्रम-निमन्त्रण महारनपुर पधारने वाले मजनों में अत्यन्त नम्र शब्दों में हमार्ग विनय है कि वह एक बार हमारे कार्यालय का. हमार्ग निर्माण शाला का एवं हमारे औषध भंडार का अवश्य निरीक्षण करें। उत्तम वस्तु का मजीव-प्रमाण आयुर्वद-संवा के इम शुभ कार्य का हमने एक लाख रुपये के मूल धन म इन्डियन कम्पनीज एक्ट के अनुमार स्थापित किया है। यह लिग्वत हुए हमारा हृदय हर्ष मे गद्गद् हो जाना है कि जनना ने हमागे संवाओं की पूरी कदर करनी शुरु करदी है। यपि हमारे कार्य को व्यवस्थित रूपसे स्थापित हुए अभी केवल १ माह हो पूग हुवा है किन्तु इम थाई से कालमें ही प्रति-दिन सैंकड़ों रुपये के श्राडगे का श्राना हमारे परिश्रम की सार्थकता, जनता की क़दर एवं हमारी औपधियों की उत्तमता का ज्वलंत उदाहरण है परीक्षा प्रार्थनीय है। कौशलप्रमाद जैन मैंनजिङ्ग डाइरेक्टर भारत आयुर्वेदिक केमिकल्स लिमिटेड, सहारनपुर ।
SR No.538004
Book TitleAnekant 1942 Book 04 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1942
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size73 MB
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