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अनेकान्त
[वर्ष४
को यह न जान पड़ा कि अब क्या किया जाय। गन्धर्वदत्ता राजकुमारीके साथ अपनी राजधानीमें किन्तु ग्वालोंके अधिनायकने शहरमें यह घोषणा पहुँचकर घोषणाके द्वारा वीणा-स्वयम्वरकी शतोंको करादी कि जो कोई भी राजाकी गायोंको वापिस नागरिकोंपर प्रकट कर दिया और साथ ही यह भी लावेगा, उससे मैं अपनी कन्या 'गोविन्दा' का विवाह प्रकट कर दिया कि जो कोई वीणा बजानेकी प्रतियोकर दूंगा। जीवकने यह घोषणा सुनी, वह इन गितामें राजकन्याको इरादेगा उसे वह विद्याधर'बेदरों' की तलाशमें निकल गया और सब गायोंको कन्या प्रदान की जायगी । यह प्रतियोगिता तत्कालीन वापिस ले आया। एक क्षत्रियका एक ग्वाल-कन्या शासक कत्तिवंगारन्की अनुमति पूर्वक कराई गई के साथ विवाह करना अयोग्य होगा, इस लिये उसने थी। आदिके तीन वर्णो के व्यक्ति उस प्रतिद्वन्दिताके नन्दकोन नामक ग्वाल सरदारकी सम्मतिसे अपने लिए आमन्त्रित किए गए थे। इस राजकुमारी एक मित्र वं साथी 'यदुमुहन' के साथ उस गोविन्दा गन्धर्वदत्ताने प्रत्येकको पराजित कर दिया । इस का विवाह करा दिया। इस प्रकार गोविन्दाके विवाह प्रकार छह दिन बीत गए। सातवें दिन जीवकने, का वर्णन करता हुआ दूसरा अध्याय समाप्त होता है। जिसे पुरवासी वणिकपुत्र ही समझे हुए थे, उस
३ गन्धर्वदत्तप्यार इलम्बगम्-गन्धर्वदत्ता विद्या- संगीतकी प्रतियोगितामें अपने भाग्यकी परीक्षा करनी धगधीश कलुषवेगकी कन्या थी। एक ज्योतिषीस चाही । जब उस प्रतिद्वन्दितामें जीवकने अपना यह जानकर कि उसकी कन्या राजमहापुरमें किसीके संगीत-कौशल दिखाया तब विद्याधर कन्याने उसे साथ विवाह करेगी, वह अपनी कन्याको उस नगरमें विजेता स्वोकारकर अपना पति अंगीकार किया। भेजना चाहता था। जब वह इस अवसरकी प्रतीक्षा कुछ राजकुमार जो वहाँ एकत्रित थे उन्होंने ईर्षावश कर रहा था, तब राजमहापुरका एक सेठ, जिसका राजकुमार 'जीवक' से झगड़ा करना चाहा, किन्तु वे नाम श्रीदत्त था अपने जहाजमें समुद्री व्यापारके सब पराजित हुए और अन्तमें जीवकने गन्धर्वदत्ताको फलस्वरूप प्राप्त हुए सुवर्णको रखकर अपने घर लौट अपने प्रासादमें लाकर विधिवत् विवाह क्रिया की । रहा था। जिस प्रकार शेक्सपियरके 'टेम्पैस्ट' नाटकमें इस प्रकार यह तीसरा अध्याय समाप्त होता है, जो जादूसे प्रोसपेरोके द्वारा जहाज नष्ट किया गया है, गन्धर्वदत्ता विवाहविषयको लिये हुए है। उसी प्रकार इस विद्याधरने चमत्कारिक रूपसे ४ गुणमालैयार इलम्बगम्-एकबार वसन्तोत्सवमें जहाजका विनाश प्रदर्शित किया और श्रीदत्त सेठको नगरके युवक नरनारी विनोद और आनन्दोत्सत अपने दरबारमें आनेको बाध्य किया। वहाँ उसे यह मनानेके लिये समीपवर्ती उपवनमें गये थे। इनमें बात बताई गई कि उसे विद्याधर राजधानीमें किस सुरमंजरी और गुणमाला नामकी दो युवतियाँ भी निमित्त लाया गया है। विद्याधगेंके नरेशने उससे थीं। उनमें स्नानके लिये उपयोगमें लाए जाने वाले कहा कि तुम राजकुमारी 'गन्धर्वदत्ता' को अपने साथ चूर्णकी सुगन्धकी विशेषताके सम्बन्धमें विवाद लेजाओ और जो उसे वीणा-वादनमें पराजित करदे उत्पन्न होगया। वे अपने अपने चूर्णको अच्छा बताती एसीके साथ इसका विवाह कर देना । श्रीदत्तने थीं। यह विषय बुद्धिमान युवक जीवक (जीवन्धर)