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________________ उठती है उरमें एक लहर! इस नियति-नियमकीबेलामें मेरे बीहड़ वन-उपवनमेंयुग-परिवर्तन हो जायेगा, बल्ल रियाँ क्या खिल पाएँगी? प्राणी! भवके निगमागममें हुलसितमनकीचंचलहिलोरयों कब तक श्राए-जाएगा? थिर होगी क्या, मिट जाएँगी! जगके भीषण कोलाहलमें श्रात्माका सच्चित्-शिवस्वरूपश्वासोंके स्वर जाएँ न बिखर ! अन्तस्तलमें देखू झुककर । उठती है उरमें एक लहर !! ___ उठती है उरमें एक लहर ! [ २ ] जीवनके मौन रहस्योंकी वाणी वीणामें वीतरागकागाथा उलझी रह जाएगी। मञ्ज ल स्वर भर जाएगा; यह त्याग-तपस्याकी मेरी हृत्तंत्रीकी झंकारोंसेदुनिया सूनी हो जाएगी! झंकृत जीवन हो जाएगा। मानवताकी अभिलाषाएँ आँखोसे भरकर चिरविषादपाएँगी पीड़ा आठ पहर ! आँसू बन जाएँगे निर्भर ! उठती है उरमें एक लहर !! उठती हैं उरमें एक लहर !! [ ७ ] ममताकी यह काली-बदली नैराश्य-निशा अँधियारीमेंश्राहोसे भरकर दीवानी; क्या कुमुद हास छिटकाएगा? अम्बरको ढक उच्छवासोंसे श्राध्यात्मिक तत्वोंका प्रदीपबरसाएगी खारा पानी। अन्तर आलोक दिखाएगा? भारी मनको हलका करने नन्दन-वनका मादक परागकरुणा रोएगी सिहर-सिहर ! बिखरेगा क्या इस भूतलपर? उठती है उरमें एक लहर !! उठती है उरमें एक लहर !! [ ८ ] यौवनकी पीड़ा तपसीकी मायाके मोहक-पिंजरेसेक्रीड़ाओंमें घुल जानेको मन-पंछी जब उड़ जाएगा; उमड़ी लेकर तपका निखार जिनवरके वह वैरागभरेनिश्चल-निधिमें धुल जानेको। पद अम्बरमें चढ़ गाएगा। उत्तुंग तरंगोंसे बहती जिस परिधि-परामें सिहरणकरमनमें गंगा करलूँ हर-हर ! प्राणी हो जाता मुक्त-अमर! उठती है उरमें एक लहर !! उठती है उरमें एक लहर !! पं० काशीराम शर्मा 'प्रफुलित'
SR No.538004
Book TitleAnekant 1942 Book 04 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1942
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size73 MB
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