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वर्ष ३, किरण १० ]
हिंसा र असल सामाजिक धर्म है ? क्या हम उस पर डटे रहें; या उसे छोड़ दें ? इन सागे बातोंका निर्णय आपको करना है । हिंसाकी शक्ति अपने जीवन द्वाराप्रगट करना हमारा
कर्तव्य है ।
ariat aहिसाका प्रयोग
हमने आज तक हिंसाका प्रयोग नहीं किया
हम यह कर्तव्य नहीं कर सके, इसका अनुभव कल हुआ । काँग्रेस महामंडलने ( हाई कमाण्ड ने) कल जो प्रस्ताव किया, उस परमे साफ़ है कि हम परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हुये । वह महामंडल लिये शर्म की बात नहीं है । वह तो मेरे लिये शर्म की बात है । मुझमें इतनी शक्ति नहीं है कि मेरी बात तीर जैमी सीधी उनके हृदय तक पहुँच सके । कांग्रेस में भी तो मैं मुख्य कार्यकर्ता रहा। उनके दिलों पर मैं अपना अमर नहीं कर सका। इसमें शर्म तो मेरा है। इसमें यह सिद्ध हुआ है कि आज तक जिमाका आश्रय लिया, वह सची श्रहिंसा नहीं थी । वह निःशस्त्रों की अहिमा थी । लेकिन मैं तो कहता हूँ कि हिमा बलवानोंका शस्त्र है । हमने आज तक जो कुछ किया, वह अहिंसाके नाम पर दूसरा ही कुछ किया । उसको आप और कुछ भी कह लीजिये; लेकिन अहिंसा नहीं कह सकते | वह क्या था, यह मैं नहीं बता सकता । वह तो आप काका साहब, बिनोबा या किशोरलाल से पूछें। वे बतावें कि हमने जो आज तक किया, उसे कौनसा नाम दिया जाय । लेकिन मैं इतना जानता हूँ कि वह अहिंसा नहीं थी। मेरे नजदीक तो शस्त्रधारी भी बहादुरी में अहिंसक
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व्यक्तिकी बराबरी नहीं कर सकता। वह तो शस्त्र का महारा चाहता है, इसलिये वह अशक्त है । अहिमा अशक्तोंका शस्त्र नही है । मेरा दोष
तो फिर आप पूछेंगे कि मैंने जनता मे उम शस्त्रका प्रयोग क्यों करवाया ? क्या उस वक्त मैं यह नहीं जानता था ? मैं जानता तो था । लेकिन उस वक्त मेरी दृष्टि इतनी शुद्ध नहीं हुई थी । अगर उस वक्त मेरी दृष्टि शुद्ध होतो, तो मैं लोगों से कहता कि 'मैं आपसे जो कुछ कह रहा हूँ, उसे श्राप अहिंसा न करें। आप अहिंसा के लिये लायक नहीं हैं; डरसे भरे हुये हैं। आपके दिल में हिंसा भरी हुई है। आप अंग्रेजों डरते हैं। अगर आप हिंदू हैं तो मुसलमान डरते हैं; अगर आप मुसलमान
हैं तो तगड़े हिन्दुओंसे डरते हैं । इसलिये मैं जो प्रयोग आपसे करा रहा हूँ वह अहिंसा का प्रयोग नहीं है । सारा डरपोकोंका समाज है । उनमें से एक डरपोक आदमी मैं भी हूँ।" यह सब मुझे मा २ कह देना चाहिये था । मुझे यह कह देना चाहिये था कि 'हम प्रतिकार की जिस नीतिका प्रयोग कर रहे हैं वह हिंसा नहीं है।' मैंने गलत भाषाका प्रयोग किया। अगर मैं ऐसा न करता, यह करुण कथा, जो कल हुई, असम्भव थी । इसलिये मैं अपने आपको दोषी पाता हूँ
हमारा हेतु शुद्ध था
वह करुण कथा ता है, लेकिन फिर भी मुझे उस का दुःख नहीं है। हमने ग़लत प्रयोग भले ही किया हो, लेकिन शुद्ध हृदयमे किया। जो अहिंसा नहीं थी उसे श्रहिमा मानकर अपना काम किया ।