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अनेकान्त
[भाषण,धीर निर्माण
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६ गोविन्द II .ध्रुवा(घोर) प्रभूतवर्ष निरूपम, धारावर्ष, कलिवल्लभ
दक्षिण-शाखा ८ गोविन्द III (गोयिन्द) प्रभूतवर्ष, जगत्तुंग, श्रीवल्लभ, पृथ्वीवल्लभ (ई०स० ७९४८१४)
९शर्व अमोघवर्ष । नृपतुंग (ई०सन् ८१४-८७७) अविशयधवल (वीरनारायण) १० कृष्ण II (कार) अकालवर्ष, शुभतुंग (८७७-९१३)
जगतुंग
गुजरात-शाखा १ इन्द्र
कर्क (क्क) 1 (अमोघवर्ष) ३ ध्रुव 11 (निरुपम) ४ अकालवर्ष (शुभतुंग) ५ ध्रुव II
अतितुंग, निरुपम, धारावर्ष ६ (कृष्ण अकालवर्ष)
११ इन्द्र III (नित्यवर्ष)
१४ बडेग (वडिग)।
अमोघवष III
१२अमोघवर्ष
१३ गोविन्द (गभीन्दर)
प्रभूतवर्ष
निरुपम
१५ कृष्ण III (कलर, इसिवकमर) १६ खोडिग अकालवर्ष
नित्यवर्ष १८ इन्द्र v (ई०सन् ९८२ में मर गया)
१७ कक II (ककाल) अमोघवर्ष, नपतुंग, वीरनारायण
यह 'मसम्म राज्यः सदिवं विनिये..."छात्रा' तर होगा ? 'पंप-मारत' में (१-२३ इत्यादि) 'बदेग' (प्रा.ये मा० ० १५ और ११५) इस वाक्यके अनु- बह नाम है। सार पहामिषेकके पहिले ही मर गया मालूम पड़ता है। सोडिग (कोदिग) संभवतः कबर शब्द होगा।
विंग (पहिग)-पह बहुशः कर्नाटक भाषाका यह बहुशः 'कोटु' (=किरीट ) से शायद 'कोहिग' नाम ही मादम पाता है। "बर्देन्दु पौडी"। (शब्द- (=किरीट) अर्थात् 'नरेश' (अथका 'अर्जुन') इस मणिवपंथ) से बने हुए 'गदेंग, (= प्रौड ) का रूपा- प्रकारका अर्थ हुमा होगा।