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________________ धर्म बहुत दुलम है. [.मी अपमानवान व बी.ए., पापक.मी.कीय] यह जीवन दु:खी है: दुःखी रहना जीवनका उमेश नहीं:जिधर देखो, जीवन दुःखी है। यह समस्त जीवन, प्राल यह है कि क्या इस प्रकारका दुःखी जीवन जो चार महाभूतों-द्वारा प्रकाशको घेरकर शरीरवाला जीवनका अन्तिम ध्येय है ! मरणशील जीवन की बना है, रूप-संशा-कर्मवाला बना है, जो इन्द्रियोंसे जीवनकी पराकाष्ठा है? क्या जीवन इसीके लिये बना देखनेमें आता है, बुद्धिसे जाननेमें आता है, दुःखी है। -सीके लिये सता है? क्या इससे आगे ढूंढने के क्यों! लिए, इससे आगे बढ़ने के लिये जीवन में और कुछ इसलिये कि इसमें लगातार परिवर्तन है, लगातार नहीं ? अस्थिरता है, लगातार अनित्यता है, लगातार इष्टताका इनका उत्तर नफ्रीमें ही देना होगा। चूँकि जहाँ वियोग है। ___ यह आर्य सत्य है कि यह जीवन दुःखी है, वहाँ यह भी इसलिये कि इसका प्रादि भोलीभाली बाल्य-लीला आर्य सत्य है कि दुःखी रहना जीवनका उद्देश्य नहीं, में होता है, मध्य मदमस्त जवानीमें होता है, उत्कर्ष मरना जीवनका अन्त नहीं। जीवन इससे कहीं अधिक चिन्तायुक्त बुढ़ापे में होता है और अन्त निश्चेष्टकारी बड़ा है, ऊँचा है, अपूर्व है। मृत्युमें होता है। इस सत्यके निर्धारित करने में क्या प्रमाण है ? इसलिये कि यह प्रकृति-प्रकोपसे, अाकस्मिक उप- इसके लिये दो प्रमाण पर्याप्त है। एक स्वात्मअनुभूति द्रवोंसे सदा लाचार है । भूक-प्यास, गर्मी-सदों, रोग- दूसरा महापुरुष अनुभूति । व्याधिसे सदा व्यथित है । चिन्ता-विषाद, शोक-सन्ताप स्वात्मानमति की साक्षी:से सदा सन्तप्त है । अनिष्ट घटनात्रोंसे सदा त्रस्त है, नित्य नई निराशाओंसे सदा निराश है और मृत्युसे अन्तरात्मा इसके लिये सबसे बड़ा साक्षी है। सबसे सदा कायर है। बड़ा प्रमाण है । वह दुःखकी सत्ताको प्रारमतथ्य मान यह जीवन दुःखी है, इसके माननेमें किसीको कर कभी स्वीकार नहीं करता । वह बराबर इससे लड़ता विवाद नहीं। यह सर्व मान्य है, सब ही के अनुभव यता है । वह बराबर इसके प्रति प्रश्न करता रहता है, सिद्ध है। यह आर्य सत्य है, श्रेष्ठ सत्त्व है। शंकायें उठाता रहता है। इसीलिये वह इसकी निवृत्ति' के लिये, इससे मिल सत्ताके लिये सदा जिज्ञासावान् दीपनिकाय २२ वो मुत्ता बना है।
SR No.538003
Book TitleAnekant 1940 Book 03 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1940
Total Pages826
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size80 MB
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