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________________ ज्येष्ठ-भाषाढ़ पारनि०सं०२४६६ । जून-जुलाई १९४० वार्षिक मूल्य ३० PARRORMISSLOADferouTHORSHIRSANEINDIMONITISHOROOMove सम्पादक संचालकजुमलकिशोर मुख्तार तनसुखराय जैन अधिष्ठाता वीर-सेवामन्दिर सरसावा (सहारनपुर) कनॉट सर्कस पो. बो० नं०४८ न्यू देहली। FOODavarreranceNOGEORIGINITORIGONDONDONDOPINIORRENE JODOHCOTTO DDEOLOG4வவவவலவனவைகவைட்மாவைவலடை फुलसे MIOFORTOFOTOFOKOFOTOFORORTOFOONOTO [श्री घासीराम जैन] चार दिनकी चाँदनीमें फूल ! क्योंकर फूलता है ? बैठकर सुखके हिडोले हाय ! निश दिन मूलता है ! आयगा जब मलय पावन आज जो हर्षा रही ले उड़ेगा सुख सुवासित, पाकर तुझे सुकुमार डाली, हाथ मल रह जायँगे माली कल वही हो जायगी बनेगा शून्य उपवन ! सौभाग्यसे बस हाय खाली! फिर बता इस क्षणिक जीवनमें अरे क्यों भलता है ? | देखकर लाली जगतफी काल नियदिन झूलता है। कर रहा गार नव नव आज जो तेरे लिये नित्य नित्य सजा सजाकर सर्वस्व करते हैं निछावर, गा रहा आनन्द-धुरपद कल वही पद घनमें प्रेम-वीणाको बजाकर । तेरे लिये फेंके निरंतर कालकी इसमें सदा रहती भरे प्रतिकूलता है। स्वार्थ-मय लीला जगतकी मूर्ख ! क्योंकर इखता है। आज तुम सुकुमारता में विश्वका नाटक क्षणिक है मग्न हो निश दिन निरंतर। पलटते हैं पट निरंतर एक क्षणभरमें अरे । आज जो है कल उसी मेंहो जायगा अति दीर्घ अन्तर। हो रहा। ल अंतर ! है यही जगरीत क्षण क्षण सूक्ष्म और स्थूलता है ।। है अभी अज्ञात इसमें "चन्द्र" क्या निर्मूलता है । चार दिनकी चांदनी में फूल क्योंकर फूलता है। SANOHOROSPITOREENSHIROINOLONDOORDIOSANDEENSATISEMOTORATORREARSE मुद्रक और प्रकाशक-अयोध्याप्रसाद गोयलीय maineCoineDEOGODDEDOHORITISGENowereaNOTESONSIBLEDIEDOil 0 440OHOST
SR No.538003
Book TitleAnekant 1940 Book 03 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1940
Total Pages826
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size80 MB
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